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IMA पासिंग आउट परेड: इस बार अलग अंदाज में अफसर बने जेंटलमैन कैडेट्स

आईएमए की पासिंग आउट परेड में 423 जेंटलमैन कैडेट्स शामिल हुए. आईएमए के इतिहास में कई परंपराओं को तोड़ा गया. जबकि कुछ नई परंपराओं को अपनाया गया.

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Published : Jun 13, 2020, 7:05 AM IST

Updated : Jun 13, 2020, 8:40 AM IST

देहरादून: इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) के 88 साल के गौरवपूर्ण इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ा. कोरोना संकट के बीच आईएमए के इतिहास में कई परंपराओं को तोड़ा गया, जबकि कुछ नई परंपराओं को अपनाया गया. पहली बार हुआ है, जब आईएमए की पासिंग आउट परेड सिर्फ रस्म अदायगी तक सीमित रही. पासिंग आउट परेड में कैडेट्स के परिजनों को निमंत्रण नहीं दिया गया. आज आईएमए की पासिंग आउट परेड में 423 जेंटलमैन कैडेट्स शामिल हुए. इसमें 333 भारतीय कैडेट्स और 90 विदेशी कैडेट्स शामिल थे.

IMA
भारतीय सेना को मिलेंगे 333 जांबाज

आज इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास होकर 333 जांबाज भारतीय सेना में अधिकारी बन गए. पासिंग आउट परेड में बड़ी संख्या में देश-विदेश के युवा कैडेट पास आउट होते हैं और न केवल कैडेट्स के परिवार के लोग बल्कि देश विदेश से कई गणमान्य लोग इस परेड में शिरकत करते हैं. लेकिन कोरोना संकट के कारण पहली बार पीओपी के तहत होने वाली विभिन्न गतिविधियों को सीमित कर दिया गया. आज हुई पासिंग आउट परेड के दौरान दर्शक दीर्घा पूरी तरह से खाली रही. हालांकि, लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए परिजनों ने अपने बच्चों की परेड घर बैठे देखा.

ये भी पढ़ें:कानपुर से 1750 मजदूरों को लेकर बिहार रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन

कौन-कौन सी परंपरा टूटी

1- आईएमए की कठिन ट्रेनिंग के बाद पास आउट कैडेट्स के लिए सबसे भावुक करने वाला पल तब होता है, जब उनके परिजन उनकी वर्दी पर रैंक लगाते हैं, लेकिन इस बार पहली दफा पीपिंग सेरेमनी के दौरान ऑफिसर्स ने जेंटलमैन कैडेट्स की वर्दी पर रैंक लगाया और उनके परिवार की भूमिका अदा करते दिखाई दिए.

2- इस बार जेंटलमैन कैडेट्स चैटवुड बिल्डिंग से अंतिम पग निकालते हुए अपने करियर के प्रथम 'पग' पर आगे बढ़े. दरअसल अंतिम पग के साथ ही पासआउट अधिकारियों को उनके रेजिमेंट में तैनाती दे दी गई.

3- इस बार बेस्ट प्रदर्शन करने वाली कंपनी और कैडेट्स को मेडल नहीं छूने की व्यवस्था की गई.

IMA
आईएमए की पासिंग आउट परेड

जानिए इतिहास

बता दें कि, 1 अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ आईएमए की स्थापना हुई और 1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पासआउट हुआ था. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ भी इसे एकेडमी के छात्र रह चुके हैं. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से देश-विदेश की सेनाओं को 62 हजार 139 युवा अफसर मिल चुके हैं. इनमें मित्र देशों के 2,413 युवा अफसर भी शामिल हैं. आईएमए में हर साल जून और दिसंबर में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है. इस परेड के दौरान अंतिम पग पार करते ही कैडेट्स सेना में अधिकारी बन जाते हैं.

किस राज्य से कितने कैडेट्स

इस बार भारतीय सेना को 333 जांबाज अधिकारी मिले. उत्तर प्रदेश से 66, हरियाणा से 39, उत्तराखंड से 31, बिहार से 31, पंजाब से 25, महाराष्ट्र से 18, हिमाचल प्रदेश से 14, जम्मू कश्मीर से 14, राजस्थान से 13, मध्य प्रदेश से 13, केरल से 8, गुजरात से 8, दिल्ली से 7, कर्नाटक से 7, पश्चिम बंगाल से 6, आंध्र प्रदेश से 4, छत्तीसगढ़ से 4, झारखंड से 4, मणिपुर से 4, चंडीगढ़ से 3, नेपाल से 3, असम से 2, उड़ीसा से 2, तमिलनाडु से 2, तेलंगाना से 2, मेघालय, मिजोरम और लद्दाख से एक-एक कैडेट पास हुए.

देहरादून: इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) के 88 साल के गौरवपूर्ण इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ा. कोरोना संकट के बीच आईएमए के इतिहास में कई परंपराओं को तोड़ा गया, जबकि कुछ नई परंपराओं को अपनाया गया. पहली बार हुआ है, जब आईएमए की पासिंग आउट परेड सिर्फ रस्म अदायगी तक सीमित रही. पासिंग आउट परेड में कैडेट्स के परिजनों को निमंत्रण नहीं दिया गया. आज आईएमए की पासिंग आउट परेड में 423 जेंटलमैन कैडेट्स शामिल हुए. इसमें 333 भारतीय कैडेट्स और 90 विदेशी कैडेट्स शामिल थे.

IMA
भारतीय सेना को मिलेंगे 333 जांबाज

आज इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास होकर 333 जांबाज भारतीय सेना में अधिकारी बन गए. पासिंग आउट परेड में बड़ी संख्या में देश-विदेश के युवा कैडेट पास आउट होते हैं और न केवल कैडेट्स के परिवार के लोग बल्कि देश विदेश से कई गणमान्य लोग इस परेड में शिरकत करते हैं. लेकिन कोरोना संकट के कारण पहली बार पीओपी के तहत होने वाली विभिन्न गतिविधियों को सीमित कर दिया गया. आज हुई पासिंग आउट परेड के दौरान दर्शक दीर्घा पूरी तरह से खाली रही. हालांकि, लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए परिजनों ने अपने बच्चों की परेड घर बैठे देखा.

ये भी पढ़ें:कानपुर से 1750 मजदूरों को लेकर बिहार रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन

कौन-कौन सी परंपरा टूटी

1- आईएमए की कठिन ट्रेनिंग के बाद पास आउट कैडेट्स के लिए सबसे भावुक करने वाला पल तब होता है, जब उनके परिजन उनकी वर्दी पर रैंक लगाते हैं, लेकिन इस बार पहली दफा पीपिंग सेरेमनी के दौरान ऑफिसर्स ने जेंटलमैन कैडेट्स की वर्दी पर रैंक लगाया और उनके परिवार की भूमिका अदा करते दिखाई दिए.

2- इस बार जेंटलमैन कैडेट्स चैटवुड बिल्डिंग से अंतिम पग निकालते हुए अपने करियर के प्रथम 'पग' पर आगे बढ़े. दरअसल अंतिम पग के साथ ही पासआउट अधिकारियों को उनके रेजिमेंट में तैनाती दे दी गई.

3- इस बार बेस्ट प्रदर्शन करने वाली कंपनी और कैडेट्स को मेडल नहीं छूने की व्यवस्था की गई.

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आईएमए की पासिंग आउट परेड

जानिए इतिहास

बता दें कि, 1 अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ आईएमए की स्थापना हुई और 1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पासआउट हुआ था. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ भी इसे एकेडमी के छात्र रह चुके हैं. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से देश-विदेश की सेनाओं को 62 हजार 139 युवा अफसर मिल चुके हैं. इनमें मित्र देशों के 2,413 युवा अफसर भी शामिल हैं. आईएमए में हर साल जून और दिसंबर में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है. इस परेड के दौरान अंतिम पग पार करते ही कैडेट्स सेना में अधिकारी बन जाते हैं.

किस राज्य से कितने कैडेट्स

इस बार भारतीय सेना को 333 जांबाज अधिकारी मिले. उत्तर प्रदेश से 66, हरियाणा से 39, उत्तराखंड से 31, बिहार से 31, पंजाब से 25, महाराष्ट्र से 18, हिमाचल प्रदेश से 14, जम्मू कश्मीर से 14, राजस्थान से 13, मध्य प्रदेश से 13, केरल से 8, गुजरात से 8, दिल्ली से 7, कर्नाटक से 7, पश्चिम बंगाल से 6, आंध्र प्रदेश से 4, छत्तीसगढ़ से 4, झारखंड से 4, मणिपुर से 4, चंडीगढ़ से 3, नेपाल से 3, असम से 2, उड़ीसा से 2, तमिलनाडु से 2, तेलंगाना से 2, मेघालय, मिजोरम और लद्दाख से एक-एक कैडेट पास हुए.

Last Updated : Jun 13, 2020, 8:40 AM IST
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