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लापरवाही: PMCH पोषण पुनर्वास केंद्र के बाहर कूड़े में मिले हजारों पैकेट आयोडाइज्ड नमक

बिहार में कुपोषण का मामला किसी से छुपा नहीं है और कुपोषण के मामले में बिहार देश के टॉप 5 राज्यों में आता है. जहां कुपोषण की स्थिति काफी गंभीर है. बिहार में कुपोषण के हालात को दूर करने के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं.

पटना
PMCH पोषण पुनर्वास केंद्र के बाहर कूड़े में मिले हजारों पैकेट आयोडाइज्ड नमक
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Published : Jun 1, 2021, 10:18 PM IST

पटना: बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किए गए हैं. लेकिन PMCH के अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही से पोषण पुनर्वास केंद्र एक बार फिर मजाक बन कर रह गया है. जहां PMCH पोषण पुनर्वास केंद्र के बाहर कूड़े में हजारों पैकेट आयोडाइज्ड नमक मिले हैं और कई नमक के पैकेट जला भी दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें...पटना: लॉकडाउन का असर, PMCH में आने वाले कोरोना मरीजों की संख्या में भारी कमी

आखिर क्यों हो रही आयोडाइज्ड नमक की बर्बादी
PMCH पोषण पुनर्वास केंद्र के बाहर विभिन्न ब्रांड्स के नमक के पैकेट मिले हैं और यहां जितने नमक के पैकेट बाहर नजर आ रहे हैं, उससे कहीं अधिक नमक के पैकेट अंदर मिट्टी में दबा दिए गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आम जनता के पैसों की PMCH में इस प्रकार बर्बादी क्यों हो रही है. पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को पोषित आहार देने के लिए जो विभिन्न ब्रांड्स के आयोडाइज्ड नमक काफी रुपए खर्च करके खरीदे जाते हैं, उन्हें बाहर क्यों फेंका गया है ?

ये भी पढ़ें...PMCH के शिशु रोग विभाग में 'ग्रीन फंगस' के संक्रमण का खतरा, तीसरी लहर से ऐसे बचेंगे बच्चे

2017 में हुआ था पोषण पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन
पटना के पीएमसीएच में साल 2017 में शिशु वार्ड के बगल में पोषण पुनर्वास केंद्र खोला गया. जिसका उद्देश्य था कि 1 महीने से 12 साल तक के कुपोषित बच्चों का इलाज करना और उन्हें उचित पोषाहार देना. इसके लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स और सलाहकार की व्यवस्था भी की गई है. लेकिन पुनर्वास केंद्र में डॉक्टर कभी नजर नहीं आते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएमसीएच को वर्ल्ड क्लास हॉस्पिटल बनाने का सपना संजोया है. मगर अस्पताल प्रबंधन की मनमानी की वजह से यह पूरा होता नहीं दिख रहा है.

मौके पर एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं
वहीं इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम पोषण पुनर्वास केंद्र के अंदर पहुंची तो पाया कि पुनर्वास केंद्र के अंदर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं है. एक नर्स मौजूद थी और उन्होंने बताया कि यहां 1 महीने से 12 साल तक के कुपोषण से ग्रसित बच्चों को पोषित आहार उपलब्ध कराया जाता है. अभी के समय 4 बच्चों का पोषाहार चल रहा है. उन्होंने जानकारी दी कि नवजात शिशु की माताओं को भी उचित पोषाहार कुछ दिनों के लिए दिया जाता है ताकि बच्चे को पोषित आहार मिले. साथ ही माताओं को उचित पोषाहार के नियम भी बताए जाते हैं.

बाहर आयोडाइज्ड नमक खुले में क्यों फेंके गए हैं, इस संबंध में जिम्मेदारों ने कोई भी जानकारी नहीं दी. नर्सों ने पोषण पुनर्वास केंद्र के प्रभारी चिकित्सक का नंबर देने से भी इनकार कर दिया और बताया कि डॉक्टर यहां पर रहते हैं, अभी कहीं बाहर गए हैं.

पटना: बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किए गए हैं. लेकिन PMCH के अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही से पोषण पुनर्वास केंद्र एक बार फिर मजाक बन कर रह गया है. जहां PMCH पोषण पुनर्वास केंद्र के बाहर कूड़े में हजारों पैकेट आयोडाइज्ड नमक मिले हैं और कई नमक के पैकेट जला भी दिए गए हैं.

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आखिर क्यों हो रही आयोडाइज्ड नमक की बर्बादी
PMCH पोषण पुनर्वास केंद्र के बाहर विभिन्न ब्रांड्स के नमक के पैकेट मिले हैं और यहां जितने नमक के पैकेट बाहर नजर आ रहे हैं, उससे कहीं अधिक नमक के पैकेट अंदर मिट्टी में दबा दिए गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आम जनता के पैसों की PMCH में इस प्रकार बर्बादी क्यों हो रही है. पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को पोषित आहार देने के लिए जो विभिन्न ब्रांड्स के आयोडाइज्ड नमक काफी रुपए खर्च करके खरीदे जाते हैं, उन्हें बाहर क्यों फेंका गया है ?

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2017 में हुआ था पोषण पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन
पटना के पीएमसीएच में साल 2017 में शिशु वार्ड के बगल में पोषण पुनर्वास केंद्र खोला गया. जिसका उद्देश्य था कि 1 महीने से 12 साल तक के कुपोषित बच्चों का इलाज करना और उन्हें उचित पोषाहार देना. इसके लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स और सलाहकार की व्यवस्था भी की गई है. लेकिन पुनर्वास केंद्र में डॉक्टर कभी नजर नहीं आते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएमसीएच को वर्ल्ड क्लास हॉस्पिटल बनाने का सपना संजोया है. मगर अस्पताल प्रबंधन की मनमानी की वजह से यह पूरा होता नहीं दिख रहा है.

मौके पर एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं
वहीं इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम पोषण पुनर्वास केंद्र के अंदर पहुंची तो पाया कि पुनर्वास केंद्र के अंदर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं है. एक नर्स मौजूद थी और उन्होंने बताया कि यहां 1 महीने से 12 साल तक के कुपोषण से ग्रसित बच्चों को पोषित आहार उपलब्ध कराया जाता है. अभी के समय 4 बच्चों का पोषाहार चल रहा है. उन्होंने जानकारी दी कि नवजात शिशु की माताओं को भी उचित पोषाहार कुछ दिनों के लिए दिया जाता है ताकि बच्चे को पोषित आहार मिले. साथ ही माताओं को उचित पोषाहार के नियम भी बताए जाते हैं.

बाहर आयोडाइज्ड नमक खुले में क्यों फेंके गए हैं, इस संबंध में जिम्मेदारों ने कोई भी जानकारी नहीं दी. नर्सों ने पोषण पुनर्वास केंद्र के प्रभारी चिकित्सक का नंबर देने से भी इनकार कर दिया और बताया कि डॉक्टर यहां पर रहते हैं, अभी कहीं बाहर गए हैं.

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