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बिहार में इंजीनियरों के हजारों पद खाली, ऐसे बढ़ेगी विकास की रफ्तार?

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Published : Sep 15, 2021, 10:38 PM IST

बिहार में लंबे समय से इंजीनियरों (Engineers) के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं. अभियंताओं की भूमिका विकास की योजनाओं को बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने तक में होती है. ऐसे में हजारों पद रिक्त होने से बिहार में विकास की गाड़ी कैसे आगे बढ़ेगी. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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पटना: भारत रत्न विश्वेश्वरैया (Bharat Ratna Visvesvaraya) के जन्मदिन पर पूरे देश में अभियंता दिवस (Engineers Day) मनाया जा रहा है. बिहार में भी कई कार्यक्रम हो रहे हैं, लेकिन बिहार में पिछले लंबे समय से अभियंताओं के हजारों पद खाली पड़े हैं. बिहार में सभी विभागों में कुल 6322 अभियंता के पद स्वीकृत हैं. स्वीकृत पदों में से लगभग 4051 इंजीनियरों के पद अभी भी रिक्त हैं. हालांकि, बहाली की प्रक्रिया भी चल रही है.

ये भी पढ़ें- जिन कनीय अभियंताओं के लिए बंद हुआ JDU का दरवाजा, उनसे मिलने घर से RJD दफ्तर पहुंच गए तेजस्वी

बिहार लोक सेवा आयोग ने 1241 सहायक अभियंताओं का चयन कर पथ निर्माण विभाग को विभाग बांटने की सूची सौंपी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जितने बड़े पैमाने पर विकास कार्य करने का दावा सरकार कर रही है, अभियंताओं के हजारों रिक्त पद के कारण गुणवत्तापूर्ण विकास का कार्य कैसे संभव होगा.

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बिहार में एक तरफ हजारों अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं, तो दूसरी तरफ अभियंता नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं, आंदोलन भी कर रहे हैं. बिहार अभियंता सेवा संघ यानी 'बसा' के महासचिव सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि अभी लगभग 65% अभियंताओं के पद रिक्त हैं. 1241 अभियंताओं की नियुक्ति हो भी जाएगी, उसके बाद भी 45% से अधिक रिक्तियां बचे रह जाएगी.

ये भी पढ़ें- जानें भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया की जयंती पर क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स डे

''2005 से पहले बिहार का बजट आकार काफी छोटा था, लेकिन अब बजट का आकार बहुत बड़ा हो चुका है. विकास की कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन अभियंताओं की कमी के कारण उस पर असर पड़ रहा है. बिहार में अभियंता प्रमुख के पद अब एक भी नहीं रहे, वहीं मुख्य अभियंता के 80% पद खाली पड़े हैं.''- सुनील कुमार चौधरी, महासचिव, बिहार अभियंत्रण सेवा संघ

देखें रिपोर्ट

''बिहार में 2006 के बाद जो भी विकास हुआ है, उसमें अभियंताओं ने प्रमुख भूमिका निभाई है. जिन राज्यों और देश ने तरक्की की है, उसमें अभियंताओं की भूमिका हम रही है और इसके बाद भी पथ निर्माण विभाग सहित सभी विभागों में अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं.''- नितिन नवीन मंत्री, पथ निर्माण विभाग

ये भी पढ़ें- JDU दफ्तर के बाहर बेरोजगार इंजीनियरों का प्रदर्शन, अंदर बैठे मंत्री बोले- 'बिहार सरकार का काम बोलता है'

बिहार में ग्रामीण कार्य विभाग ग्रामीण सड़कों का निर्माण करता है, लेकिन इस विभाग में भी बड़ी संख्या में अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं. ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज का दावा है कि रिक्तियां भरी जा रही हैं.

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''अभी 250 बीपीएससी से बहाली हो रही है और आने वाले दिनों में 9 से 10 हजार पदों को भरा जाएगा. जब तक अभियंताओं के पद नहीं भरे जाएंगे, कंपनियों के माध्यम से उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाएगा.''- जयंत राज, मंत्री, ग्रामीण कार्य विभाग

ये भी पढ़ें- 'हर योजना में भ्रष्टाचार की बू, चेहरा चमकाने के नाम पर करोड़ों झोंक रही सरकार'

बिहार में 2004 से अभियंताओं की बहाली में 2004 में 400, 2008 में 400 और 2014 में 1241 पदों के लिए बहाली शुरू हुई थी, लेकिन अब जाकर बहाली पूरी होने वाली है. बिहार में अभियंताओं के पद तब रिक्त पड़े हैं, वो भी तब जब बिहार के मुख्यमंत्री की कमान संभालने वाले नीतीश कुमार अभियंता ही हैं और पिछले 16 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं.

एक तरफ अभियंत्रण सेवा संघ के लोगों का कहना है कि अभियंताओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए, लेकिन यहां तो स्वीकृत पद ही भरे हुआ नहीं है. अभियंताओं की भूमिका विकास की योजना बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने तक में होती है. ऐसे में बिहार के विकास की गाड़ी तेज रफ्तार से बढ़ेगी, इसकी संभावना फिलहाल कम ही है.

पटना: भारत रत्न विश्वेश्वरैया (Bharat Ratna Visvesvaraya) के जन्मदिन पर पूरे देश में अभियंता दिवस (Engineers Day) मनाया जा रहा है. बिहार में भी कई कार्यक्रम हो रहे हैं, लेकिन बिहार में पिछले लंबे समय से अभियंताओं के हजारों पद खाली पड़े हैं. बिहार में सभी विभागों में कुल 6322 अभियंता के पद स्वीकृत हैं. स्वीकृत पदों में से लगभग 4051 इंजीनियरों के पद अभी भी रिक्त हैं. हालांकि, बहाली की प्रक्रिया भी चल रही है.

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बिहार लोक सेवा आयोग ने 1241 सहायक अभियंताओं का चयन कर पथ निर्माण विभाग को विभाग बांटने की सूची सौंपी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जितने बड़े पैमाने पर विकास कार्य करने का दावा सरकार कर रही है, अभियंताओं के हजारों रिक्त पद के कारण गुणवत्तापूर्ण विकास का कार्य कैसे संभव होगा.

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बिहार में एक तरफ हजारों अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं, तो दूसरी तरफ अभियंता नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं, आंदोलन भी कर रहे हैं. बिहार अभियंता सेवा संघ यानी 'बसा' के महासचिव सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि अभी लगभग 65% अभियंताओं के पद रिक्त हैं. 1241 अभियंताओं की नियुक्ति हो भी जाएगी, उसके बाद भी 45% से अधिक रिक्तियां बचे रह जाएगी.

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''2005 से पहले बिहार का बजट आकार काफी छोटा था, लेकिन अब बजट का आकार बहुत बड़ा हो चुका है. विकास की कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन अभियंताओं की कमी के कारण उस पर असर पड़ रहा है. बिहार में अभियंता प्रमुख के पद अब एक भी नहीं रहे, वहीं मुख्य अभियंता के 80% पद खाली पड़े हैं.''- सुनील कुमार चौधरी, महासचिव, बिहार अभियंत्रण सेवा संघ

देखें रिपोर्ट

''बिहार में 2006 के बाद जो भी विकास हुआ है, उसमें अभियंताओं ने प्रमुख भूमिका निभाई है. जिन राज्यों और देश ने तरक्की की है, उसमें अभियंताओं की भूमिका हम रही है और इसके बाद भी पथ निर्माण विभाग सहित सभी विभागों में अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं.''- नितिन नवीन मंत्री, पथ निर्माण विभाग

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बिहार में ग्रामीण कार्य विभाग ग्रामीण सड़कों का निर्माण करता है, लेकिन इस विभाग में भी बड़ी संख्या में अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं. ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज का दावा है कि रिक्तियां भरी जा रही हैं.

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बिहार में 2004 से अभियंताओं की बहाली में 2004 में 400, 2008 में 400 और 2014 में 1241 पदों के लिए बहाली शुरू हुई थी, लेकिन अब जाकर बहाली पूरी होने वाली है. बिहार में अभियंताओं के पद तब रिक्त पड़े हैं, वो भी तब जब बिहार के मुख्यमंत्री की कमान संभालने वाले नीतीश कुमार अभियंता ही हैं और पिछले 16 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं.

एक तरफ अभियंत्रण सेवा संघ के लोगों का कहना है कि अभियंताओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए, लेकिन यहां तो स्वीकृत पद ही भरे हुआ नहीं है. अभियंताओं की भूमिका विकास की योजना बनाने से लेकर उसे जमीन पर उतारने तक में होती है. ऐसे में बिहार के विकास की गाड़ी तेज रफ्तार से बढ़ेगी, इसकी संभावना फिलहाल कम ही है.

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