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चैत्र नवरात्रि: तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, इस मंत्र के जाप से दूर होंगी बाधाएं

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Published : Apr 8, 2019, 8:46 AM IST

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

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पटना: आज नवात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन को भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने वाला माना जाता है. इस दिन मां के भक्त व्रत भी रखते हैं. मां के इस रूप की सच्चे मन से पूजा करने से सारे रोग दूर होते हैं, शत्रुओं से भय नहीं होता और लंबी आयु का वरदान मिलता है.

मां की पूजा से खत्म होते हैं पाप

मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं और इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं. मां के माथे पर चंद्रमा विराजमान है जो उनका रूप और सुंदर बनाता है. इनकी पूजा करने से मां आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास और मन पर नियंत्रण भी बढ़ाती हैं. इस दिन मन, कर्म, वचन शुद्ध करके पूजा करने वालों के सब पाप खत्म हो जाते हैं.

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

  • मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान करायें
  • मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है.
  • खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें.
  • मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है.
  • मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें.
  • केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं.
  • पंचामृत, चीनी व मिश्री का भोग लगाएं.

कुंडली में मंगल की समस्या के लिए पूजा विधि
अगर कुंडली में मंगल कमजोर है या मंगल दोष है तो आज की पूजा विशेष परिणाम दे सकती है. लाल रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करें. मां को लाल फूल, ताम्बे का सिक्का या ताम्बे की वस्तु और हलवा या मेवे का भोग लगाएं. पहले मां के मन्त्रों का जाप करें फिर मंगल के मूल मंत्र "ॐ अँ अंगारकाय नमः" का जाप करें. मां को अर्पित किये गए ताम्बे के सिक्के को अपने पास रख लें. चाहें तो इस सिक्के में छेद करवाकर लाल धागे में गले में धारण कर लें.

मां का मूल मंत्र

इस दिन मणिपुर चक्र को प्रबल करने के लिए साधना की जाती है. मां का आर्शीवाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा.

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।

पटना: आज नवात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन को भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने वाला माना जाता है. इस दिन मां के भक्त व्रत भी रखते हैं. मां के इस रूप की सच्चे मन से पूजा करने से सारे रोग दूर होते हैं, शत्रुओं से भय नहीं होता और लंबी आयु का वरदान मिलता है.

मां की पूजा से खत्म होते हैं पाप

मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं और इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं. मां के माथे पर चंद्रमा विराजमान है जो उनका रूप और सुंदर बनाता है. इनकी पूजा करने से मां आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास और मन पर नियंत्रण भी बढ़ाती हैं. इस दिन मन, कर्म, वचन शुद्ध करके पूजा करने वालों के सब पाप खत्म हो जाते हैं.

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

  • मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान करायें
  • मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है.
  • खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें.
  • मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है.
  • मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें.
  • केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं.
  • पंचामृत, चीनी व मिश्री का भोग लगाएं.

कुंडली में मंगल की समस्या के लिए पूजा विधि
अगर कुंडली में मंगल कमजोर है या मंगल दोष है तो आज की पूजा विशेष परिणाम दे सकती है. लाल रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करें. मां को लाल फूल, ताम्बे का सिक्का या ताम्बे की वस्तु और हलवा या मेवे का भोग लगाएं. पहले मां के मन्त्रों का जाप करें फिर मंगल के मूल मंत्र "ॐ अँ अंगारकाय नमः" का जाप करें. मां को अर्पित किये गए ताम्बे के सिक्के को अपने पास रख लें. चाहें तो इस सिक्के में छेद करवाकर लाल धागे में गले में धारण कर लें.

मां का मूल मंत्र

इस दिन मणिपुर चक्र को प्रबल करने के लिए साधना की जाती है. मां का आर्शीवाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा.

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।

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नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मां के इस रूप की सच्चे मन से पूजा करने से रोग दूर होते हैं, शत्रुओं से भय नहीं होता और लंबी आयु का वरदान मिलता है। इसके साथ ही मां आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास और मन पर नियंत्रण भी बढ़ाती हैं। मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं और इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं। मां के माथे पर चंद्रमा विराजमान है जो उनका रूप और सुंदर बनाता है। इस दिन मणिपुर चक्र को प्रबल करने के लिए साधना की जाती है। मन, कर्म, वचन शुद्ध करके पूजा करने वालों के सब पाप खत्म हो जाते हैं।

ऐसे करें पूजा...

मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान करायें। मां को सुनहरे या भूरे रंग के वस्त्र पहनाएं और खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें। केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं। मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें। पंचामृत, चीनी व मिश्री का भोग लगाएं।



मां का आर्शीवाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा।



"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।



नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।"


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