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बिना एक्सप्रेस-वे 5 घंटे में कैसे पहुंचेंगे सुदूर इलाके से पटना - Waiting for expressway to Bihar

नीतीश सरकार सबसे ज्यादा काम रोड सेक्टर में करने का दावा करती है. लेकिन पिछले 15 सालों में बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे को जमीन पर नहीं ला सकी है. अब मुख्यमंत्री ने बिहार के सुदूर इलाकों से पटना पहुंचने का लक्ष्य 5 घंटे का रखा है. ऐसे में एक्सप्रेस वे के बिना यह असंभव सा है.

पटना
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Published : Jan 20, 2021, 8:24 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 10:12 PM IST

पटना: नीतीश सरकार के पिछले 15 सालों के कार्यकाल में बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे को धरातल पर नहीं उतार सकी है. जबकि पड़ोसी राज्य यूपी में कई एक्सप्रेस-वे तैयार हो रहे हैं. झारखंड में भी एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि आज एक्सप्रेस-वे विकसित राज्यों की एक जरूरत सी हो गई है.

बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे नहीं
देश में कई राज्यों में एक्सप्रेस-वे पर काम तेजी से चल रहा है. यूपी में तो सबसे अधिक एक्सप्रेस-वे हैं. झारखंड में भी एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है. लेकिन बिहार इस मामले में अभी काफी पीछे है. उत्तर प्रदेश की बात करें, तो कई एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार हैं और एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है.

बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे नहीं

यूपी में बनकर तैयार एक्सप्रेस-वे

  • ग्रेटर नोएडा,आगरा, यमुना एक्सप्रेस-वे 165 किलोमीटर
  • दिल्ली, मेरठ, एक्सप्रेस-वे 96 किलोमीटर
  • आगरा, लखनऊ एक्सप्रेस-वे 302 किलोमीटर

इन एक्सप्रेस-वे पर चल रहा काम

  • गाजीपुर, लखनऊ, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 341 किलोमीटर
  • बुलंदशहर, हरिद्वार, अपर गंगा कैनल एक्सप्रेस-वे 150 किलोमीटर
  • फरीदाबाद, सोनीपत, दिल्ली ईस्टर्न एक्सप्रेस-वे 135 किलोमीटर
  • इलाहाबाद बायपास एक्सप्रेस-वे 86 किलोमीटर
  • ग्रेटर नोएडा, बलिया, गंगा एक्सप्रेस-वे 1057 किलोमीटर

झारखंड में भी बन रहे एक्सप्रेस-वे
यहां तक की पड़ोसी राज्य झारखंड में भी धनबाद रांची जमशेदपुर एक्सप्रेस-वे पर काम तेजी से चल रहा है. लेकिन बिहार में अभी तक एक भी एक्सप्रेस-वे जमीन पर नहीं उतरा है. गाजीपुर लखनऊ पूर्वांचल एक्सप्रेस पटना तक लाने की घोषणा 2017 में की गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. ऐसे डबल इंजन की सरकार में एक्सप्रेस-वे को लेकर बिहार की तरफ से प्रयास भी शुरू हुआ है.

बिहार को एक्सप्रेस-वे का इंतजार
पिछले दिनों मंगल पांडे ने जानकारी दी थी कि मगध क्षेत्र के औरंगाबाद से मिथिला के जयनगर तक बिहार का पहला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे 271 किलोमीटर लंबा होगा. ये एक्सप्रेस-वे 6 जिलों से होकर गुजरेगा. इसके निर्माण से पटना, गया और दरभंगा तीनों एयरपोर्ट का सीधा संपर्क होगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत 80 फीसदी नई सड़क होगी. इस पर 7200 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया है.

लेकिन एनएचएआई के अधिकारी चंदन वत्स ने बातचीत में जानकारी दी है कि अभी इस पर काम कुछ भी नहीं हुआ है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया ही चल रही है. जमीन अधिग्रहण के बाद ही निर्माण की जो प्रक्रिया है, वह सब शुरू होगी. जिसमें अभी लंबा समय लगेगा.

पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर बदले जाने के बाद उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया था कि बनारस से बक्सर तक एक्सप्रेस वे का विस्तार केंद्र सरकार करे. हालांकि उस समय केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक उसमें कोई प्रगति नहीं हुई है.

''आजकल एक्सप्रेस-वे बहुत ही जरूरी चीज है. इसके बिना तेज विकास की कल्पना नहीं कर सकते हैं. खासकर बिहार का बॉर्डर इलाका नेपाल और चीन है. ऐसे में 6 लेन, 8 लेन जैसे एक्सप्रेस-वे की और जरूरत पड़ जाती है''- एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ

एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ
एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ

''हम लोगों ने एक्सप्रेस-वे का एक प्लान मुख्यमंत्री को दिया था. जिसमें सी पोर्ट से सीधे जोड़ने की सलाह दी थी. मुख्यमंत्री ने उसे प्लानिंग कमीशन को दे दिया और वह ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन बिना रुकावट और कम समय में आपको दूरी तय करनी है तो एक्सप्रेस-वे आज की जरूरत है. यूपी में प्लानिंग भी हुई है और उसका नतीजा है कि दिल्ली से लखनऊ आना है तो 5 से 6 घंटे में लोग पहुंच रहे हैं. वहीं, लखनऊ से बिहार आने में कई घंटे लग जाते हैं. इससे एक्सप्रेसवे का महत्व समझा जा सकता है''-केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

एक्सप्रेस-वे आज की जरूरत
बिहार में 10 या 8 लेन का एक्सप्रेस-वे नीतीश कुमार के 5 घंटे में सुदूर इलाके से राजधानी पहुंचने के लिए जरूरी है. इसके बनने से जाम की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर है. वहां एलिवेटेड रोड बनाकर समाधान भी किया जा सकता है. एक्सप्रेस-वे के बनने से औद्योगिक निवेश के साथ प्रदेश के विकास की रफ्तार भी तेज हो सकती है.

पटना: नीतीश सरकार के पिछले 15 सालों के कार्यकाल में बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे को धरातल पर नहीं उतार सकी है. जबकि पड़ोसी राज्य यूपी में कई एक्सप्रेस-वे तैयार हो रहे हैं. झारखंड में भी एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि आज एक्सप्रेस-वे विकसित राज्यों की एक जरूरत सी हो गई है.

बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे नहीं
देश में कई राज्यों में एक्सप्रेस-वे पर काम तेजी से चल रहा है. यूपी में तो सबसे अधिक एक्सप्रेस-वे हैं. झारखंड में भी एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है. लेकिन बिहार इस मामले में अभी काफी पीछे है. उत्तर प्रदेश की बात करें, तो कई एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार हैं और एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है.

बिहार में एक भी एक्सप्रेस-वे नहीं

यूपी में बनकर तैयार एक्सप्रेस-वे

  • ग्रेटर नोएडा,आगरा, यमुना एक्सप्रेस-वे 165 किलोमीटर
  • दिल्ली, मेरठ, एक्सप्रेस-वे 96 किलोमीटर
  • आगरा, लखनऊ एक्सप्रेस-वे 302 किलोमीटर

इन एक्सप्रेस-वे पर चल रहा काम

  • गाजीपुर, लखनऊ, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 341 किलोमीटर
  • बुलंदशहर, हरिद्वार, अपर गंगा कैनल एक्सप्रेस-वे 150 किलोमीटर
  • फरीदाबाद, सोनीपत, दिल्ली ईस्टर्न एक्सप्रेस-वे 135 किलोमीटर
  • इलाहाबाद बायपास एक्सप्रेस-वे 86 किलोमीटर
  • ग्रेटर नोएडा, बलिया, गंगा एक्सप्रेस-वे 1057 किलोमीटर

झारखंड में भी बन रहे एक्सप्रेस-वे
यहां तक की पड़ोसी राज्य झारखंड में भी धनबाद रांची जमशेदपुर एक्सप्रेस-वे पर काम तेजी से चल रहा है. लेकिन बिहार में अभी तक एक भी एक्सप्रेस-वे जमीन पर नहीं उतरा है. गाजीपुर लखनऊ पूर्वांचल एक्सप्रेस पटना तक लाने की घोषणा 2017 में की गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. ऐसे डबल इंजन की सरकार में एक्सप्रेस-वे को लेकर बिहार की तरफ से प्रयास भी शुरू हुआ है.

बिहार को एक्सप्रेस-वे का इंतजार
पिछले दिनों मंगल पांडे ने जानकारी दी थी कि मगध क्षेत्र के औरंगाबाद से मिथिला के जयनगर तक बिहार का पहला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे 271 किलोमीटर लंबा होगा. ये एक्सप्रेस-वे 6 जिलों से होकर गुजरेगा. इसके निर्माण से पटना, गया और दरभंगा तीनों एयरपोर्ट का सीधा संपर्क होगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत 80 फीसदी नई सड़क होगी. इस पर 7200 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया है.

लेकिन एनएचएआई के अधिकारी चंदन वत्स ने बातचीत में जानकारी दी है कि अभी इस पर काम कुछ भी नहीं हुआ है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया ही चल रही है. जमीन अधिग्रहण के बाद ही निर्माण की जो प्रक्रिया है, वह सब शुरू होगी. जिसमें अभी लंबा समय लगेगा.

पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर बदले जाने के बाद उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया था कि बनारस से बक्सर तक एक्सप्रेस वे का विस्तार केंद्र सरकार करे. हालांकि उस समय केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक उसमें कोई प्रगति नहीं हुई है.

''आजकल एक्सप्रेस-वे बहुत ही जरूरी चीज है. इसके बिना तेज विकास की कल्पना नहीं कर सकते हैं. खासकर बिहार का बॉर्डर इलाका नेपाल और चीन है. ऐसे में 6 लेन, 8 लेन जैसे एक्सप्रेस-वे की और जरूरत पड़ जाती है''- एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ

एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ
एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ

''हम लोगों ने एक्सप्रेस-वे का एक प्लान मुख्यमंत्री को दिया था. जिसमें सी पोर्ट से सीधे जोड़ने की सलाह दी थी. मुख्यमंत्री ने उसे प्लानिंग कमीशन को दे दिया और वह ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन बिना रुकावट और कम समय में आपको दूरी तय करनी है तो एक्सप्रेस-वे आज की जरूरत है. यूपी में प्लानिंग भी हुई है और उसका नतीजा है कि दिल्ली से लखनऊ आना है तो 5 से 6 घंटे में लोग पहुंच रहे हैं. वहीं, लखनऊ से बिहार आने में कई घंटे लग जाते हैं. इससे एक्सप्रेसवे का महत्व समझा जा सकता है''-केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

एक्सप्रेस-वे आज की जरूरत
बिहार में 10 या 8 लेन का एक्सप्रेस-वे नीतीश कुमार के 5 घंटे में सुदूर इलाके से राजधानी पहुंचने के लिए जरूरी है. इसके बनने से जाम की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर है. वहां एलिवेटेड रोड बनाकर समाधान भी किया जा सकता है. एक्सप्रेस-वे के बनने से औद्योगिक निवेश के साथ प्रदेश के विकास की रफ्तार भी तेज हो सकती है.

Last Updated : Jan 28, 2021, 10:12 PM IST
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