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बिहार में पुलिस कर्मियों की है भारी कमी, अगले 2 से 3 सालों में राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने का लक्ष्य

बिहार में एक लाख की जनसंख्या पर 76.2 पुलिसकर्मी हैं. यहां पुलिस कर्मियों की संख्या राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. अगले दो से तीन सालों में इसे पूरा करने का लक्ष्य है. पढ़िये पूरी खबर..

बिहार में पुलिस कर्मियों की कमी
बिहार में पुलिस कर्मियों की कमी
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Published : Oct 25, 2021, 1:31 PM IST

पटना: अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में पुलिस कर्मियों की भारी कमी है. बिहार पुलिस (Bihar Police) का अनुपात देशभर में सबसे खराब है. बिहार में एक लाख की जनसंख्या पर महज 76.2 पुलिसकर्मी मौजूद हैं. साल 2020 के केंद्रीय मंत्रालय (Central Ministry) के आंकड़ों के अनुसार एक लाख जनसंख्या पर 155.78 पुलिसकर्मी होने चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है. नेशनल एवरेज तक पहुंचने के लिए बिहार को दो लाख पुलिसकर्मी की जरूरत है.

ये भी पढ़ें:बिहार : ट्रांसफर के बाद भी पुलिस अफसर के अपने पुराने बॉडीगार्ड रखने पर मुख्यालय नाराज

बिहार में लगभग एक लाख पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं बिहार में जनसंख्या का अनुपात पचास प्रतिशत पुलिसकर्मी की कमी है. बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के मुताबिक बिहार पुलिस के भर्ती का जो लक्ष्य है, वह 1.42 लाख है. जिसे आने वाले दो-तीन सालों में पूरा कर लिया जाएगा. डीजेपी के मुताबिक राज्य सरकार पुलिसकर्मी के ताकत को नेशनल एवरेज तक पहुंचाने में जुटी हुई है. पुलिस मुख्यालय के लक्ष्य के अनुसार हर साल लगभग 12 हजार पुलिसकर्मी की भर्ती कर 1.42 लाख के लक्ष्य को पहले पूरा किया जाएगा.

भर्ती का ये लक्ष्य अगले 2 से 3 सालों में पूरा होने की उम्मीद है. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 12,985 सिपाही की ट्रेनिंग चल रही है. वहीं पुलिस के संख्या को बढ़ाने के लिए 2,277 दरोगा की भर्ती भी प्रोसेस में है. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक बिहार पुलिस कर्मियों के ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. बिहार में सिपाही से लेकर आईपीएस ऑफिसर तक के ट्रेनिंग कैपेसिटी को बढ़ाई जा रही है. उम्मीद है जल्द ही अन्य राज्यों की तुलना में बिहार पुलिस में भी टारगेट को पूरा कर लिया जाएगा.

देखें वीडियो

आपको बता दें कि बिहार में एक लाख लोगों की सुरक्षा के लिए सिर्फ 70 पुलिसकर्मी है. जबकि बिहार के 36 सौ वीआईपी की सुरक्षा में लगभग 13 हजार पुलिस के जवान तैनात हैं. पुलिस पब्लिक राष्ट्रीय अनुपात एक लाख की आबादी पर लगभग 143 है. दरअसल सुरक्षा पाने वाले वीआईपी लोगों में मंत्री, विधायक, विधान पार्षद से लेकर नौकरशाह तक शामिल हैं. आईएएस और आईपीएस अफसरों को भी बॉडीगार्ड मिलते हैं. जिलों के डीएम और एसपी के अलावा अन्य आला अधिकारियों के साथ बॉडीगार्ड, हाउस गार्ड भी तैनात रहते हैं. बिहार में 200 से अधिक आईएएस और 175 आईपीएस अफसर हैं.

केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर गठित विशेष कमेटी संबंधित लोगों पर खतरा को देखते हुए उनकी सुरक्षा का स्वरूप सुरक्षाकर्मियों का संख्या तय करती है. जानकारी के मुताबिक विधायकों को तीन-तीन बॉडीगार्ड और मंत्री को बॉडीगार्ड के साथ स्कॉट मिलता है. राज्य के मंत्रियों को 2 से 8 का एस्कॉट दस्ता दिया गया है. इनमें 1-4 बल स्कॉट में साथ रहता है. इसके अलावा 1-4 कॉस्टेबल हाउस गार्ड के रूप में तैनात रहते है. वहीं इनसब के अलावा तीन बॉडीगार्ड और स्पेशल ब्रांच की टीम सिपाही भी उनकी सुरक्षा में रहते हैं. विधायक और विधान पार्षद को 3-3 बॉडीगार्ड दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें:STF की मदद से बनाया जा रहा है कुख्यात अपराधियों का डेटाबेस, एक क्लिक से जान सकेंगे आपराधिक पृष्ठभूमि

पटना: अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में पुलिस कर्मियों की भारी कमी है. बिहार पुलिस (Bihar Police) का अनुपात देशभर में सबसे खराब है. बिहार में एक लाख की जनसंख्या पर महज 76.2 पुलिसकर्मी मौजूद हैं. साल 2020 के केंद्रीय मंत्रालय (Central Ministry) के आंकड़ों के अनुसार एक लाख जनसंख्या पर 155.78 पुलिसकर्मी होने चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है. नेशनल एवरेज तक पहुंचने के लिए बिहार को दो लाख पुलिसकर्मी की जरूरत है.

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बिहार में लगभग एक लाख पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं बिहार में जनसंख्या का अनुपात पचास प्रतिशत पुलिसकर्मी की कमी है. बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के मुताबिक बिहार पुलिस के भर्ती का जो लक्ष्य है, वह 1.42 लाख है. जिसे आने वाले दो-तीन सालों में पूरा कर लिया जाएगा. डीजेपी के मुताबिक राज्य सरकार पुलिसकर्मी के ताकत को नेशनल एवरेज तक पहुंचाने में जुटी हुई है. पुलिस मुख्यालय के लक्ष्य के अनुसार हर साल लगभग 12 हजार पुलिसकर्मी की भर्ती कर 1.42 लाख के लक्ष्य को पहले पूरा किया जाएगा.

भर्ती का ये लक्ष्य अगले 2 से 3 सालों में पूरा होने की उम्मीद है. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 12,985 सिपाही की ट्रेनिंग चल रही है. वहीं पुलिस के संख्या को बढ़ाने के लिए 2,277 दरोगा की भर्ती भी प्रोसेस में है. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक बिहार पुलिस कर्मियों के ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. बिहार में सिपाही से लेकर आईपीएस ऑफिसर तक के ट्रेनिंग कैपेसिटी को बढ़ाई जा रही है. उम्मीद है जल्द ही अन्य राज्यों की तुलना में बिहार पुलिस में भी टारगेट को पूरा कर लिया जाएगा.

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आपको बता दें कि बिहार में एक लाख लोगों की सुरक्षा के लिए सिर्फ 70 पुलिसकर्मी है. जबकि बिहार के 36 सौ वीआईपी की सुरक्षा में लगभग 13 हजार पुलिस के जवान तैनात हैं. पुलिस पब्लिक राष्ट्रीय अनुपात एक लाख की आबादी पर लगभग 143 है. दरअसल सुरक्षा पाने वाले वीआईपी लोगों में मंत्री, विधायक, विधान पार्षद से लेकर नौकरशाह तक शामिल हैं. आईएएस और आईपीएस अफसरों को भी बॉडीगार्ड मिलते हैं. जिलों के डीएम और एसपी के अलावा अन्य आला अधिकारियों के साथ बॉडीगार्ड, हाउस गार्ड भी तैनात रहते हैं. बिहार में 200 से अधिक आईएएस और 175 आईपीएस अफसर हैं.

केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर गठित विशेष कमेटी संबंधित लोगों पर खतरा को देखते हुए उनकी सुरक्षा का स्वरूप सुरक्षाकर्मियों का संख्या तय करती है. जानकारी के मुताबिक विधायकों को तीन-तीन बॉडीगार्ड और मंत्री को बॉडीगार्ड के साथ स्कॉट मिलता है. राज्य के मंत्रियों को 2 से 8 का एस्कॉट दस्ता दिया गया है. इनमें 1-4 बल स्कॉट में साथ रहता है. इसके अलावा 1-4 कॉस्टेबल हाउस गार्ड के रूप में तैनात रहते है. वहीं इनसब के अलावा तीन बॉडीगार्ड और स्पेशल ब्रांच की टीम सिपाही भी उनकी सुरक्षा में रहते हैं. विधायक और विधान पार्षद को 3-3 बॉडीगार्ड दिए गए हैं.

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