पटना: तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के अपने प्रयासों को छोड़ दिया है और इसके बजाय देश को 'तेलंगाना विकास मॉडल' पेश करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. केसीआर के इस फैसले की जानकारी खुद उनके बेटे KTR ने दी. केसीआर ने यह फैसला उस समय किया है जब बिहार में 12 जून को नीतीश कुमार की ओर से विपक्षी एकजुटता की बैठक बुलाई गई है जिसमें अधिकांश दलों ने आने की सहमति दी है.
पढ़ें- Opposition Unity : 'कोई राजनीतिक बात नहीं हुई'.. डेढ़ घंटे तक हुई नीतीश-नवीन की मुलाकात
केसीआर की विपक्षी एकता से दूरी.. बिहार में हलचलें तेज: दरअसल बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने गुरुवार को कहा था कि तेलंगाना के सीएम और पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने केद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश छोड़ दी है. साथ ही उन्होंने बताया कि पार्टी अब देश में तेलंगाना विकास मॉडल को पेश करने पर ध्यान देगी. केसीआर के फैसले को जहां बीजेपी ने सही फैसला बताया है, वहीं आरजेडी और जदयू नेताओं का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की मुहिम जो नीतीश कुमार चला रहे हैं अधिकांश दलों का समर्थन है. बीजेपी ने केसीआर के फैसले को सराहा है और कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर सुलझे हुए नेता हैं. उन्होंने चंद्रबाबू नायडू का हाल देखा है. नायडू, नीतीश कुमार की तरह विपक्ष की एकजुटता का अभियान 2019 में चला रहे थे आज उनका क्या हाल है देख रहे हैं. उनका नामोनिशान मिट गया.
"तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी जानते हैं कि तेलंगाना के लिए काम करना ज्यादा अच्छा होगा. पटना भी आए थे और उसी समय संकेत दे दिया था कि नीतीश कुमार के साथ नहीं हैं. इसी तरह का विचार ओडिशा के मुख्यमंत्री भी रखते हैं और कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपनी लड़ाई खुद लड़ना चाहते हैं. उन्हें किसी फ्रंट की जरूरत नहीं है. सभी प्रधानमंत्री के कामों से प्रभावित हैं. नरेंद्र मोदी ने देश का मान पूरे विश्व में बढ़ाया है इसलिए सभी लोग चाहते हैं कि उनको टारगेट ना कर अपनी बात करें."- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता
"केसीआर अपनी बात कर रहे हैं जबकि पूरे देश में अभी विपक्षी एकजुटता की मुहिम सफलता से आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे आगे बढ़ा रहे हैं. 12 जून की बैठक में 2024 चुनाव को लेकर सभी विपक्षी दल एकजुट होकर फैसला लेंगे."- हेमराज राम, जदयू प्रवक्ता
"बिहार में 12 जून को होने वाली विपक्षी एकजुटता की मुहिम में केसीआर और नवीन पटनायक को बुलाया नहीं गया है. केसीआर क्या बोलते हैं यह वह जानें लेकिन विपक्षी एकजुटता की जो मुहिम चल रही है उसमें अधिकांश दलों का समर्थन मिला हुआ है."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
कोशिशों के बाद बैकफुट पर केसीआर: बता दें कि केसीआर ने पहले गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने के प्रयास में एम के स्टालिन (तमिलनाडु), नीतीश कुमार (बिहार) और अरविंद केजरीवाल (दिल्ली) जैसे अन्य राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं से मुलाकात की थी. दोनों राष्ट्रीय दल देश का विकास करने में विफल रहे. केसीआर ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवेश (तत्कालीन टीआरएस) की घोषणा के बाद से महाराष्ट्र में तीन या चार जनसभाओं को संबोधित किया है और तब से पड़ोसी राज्य के कई नेता बीआरएस में शामिल हो गए हैं.