पटनाः कश्मीर में बिहारियों की लगातार हो रही हत्या (Terrorists Killing Biharis) के बाद बिहार में अब सियासत तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) इन नृशंस हत्याओं के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को जिम्मेदार ठहराया है. तेजस्वी ने कहा कि है अगर बिहार में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होते तो यह दिन देखने को नहीं मिलता.
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दरअसल, रविवार की शाम को आतंकवादियों ने कुलगाम के वनपोह इलाके में 3 बिहारी मजदूरों को गोली मार दी. जिसमें दो की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं एक की हालत गंभीर है. इस घटना के बाद तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए संवेदना जताई और नीतीश सरकार पर हमला बोला.
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बिहारवासियों की नृशंस हत्या के दोषी नीतीश कुमार और उनकी निकम्मी सरकार भी है। अगर एनडीए सरकार ने विगत 16 साल से किए जा रहे 'सुशासन' के दावे के अनुरूप सचमुच रोजगार सृजन पर गम्भीरता से कुछ भी किया होता तो करोड़ों बिहारवासियों को हर वर्ष पलायन और मरने के लिए विवश नहीं होना पड़ता।
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— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 17, 2021
तेजस्वी ने लिखा 'कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा आज फिर बिहार के दो श्रमवीरों को मौत के घाट उतारने की दुखद खबर सुन मर्माहत हूं. यह डबल इंजन सरकार की इंटेलिजेंस व सिक्योरिटी फेल्योर है. नीतीश जी की गलत नीतियों की वजह से रोजी-रोटी के लिए पलायन करने वाले श्रमिकों को अब जान से हाथ धोना पड़ रहा है.'
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वहीं, इसके बाद एक और ट्वीट में नेता प्रतिपक्ष ने इन हत्याओं को लेकर सीधे तौर पर सीएम नीतीश को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा 'बिहार वासियों की नृशंस हत्या के दोषी नीतीश कुमार और उनकी निकम्मी सरकार भी है. अगर एनडीए सरकार ने विगत 16 साल से किए जा रहे 'सुशासन' के दावे के अनुरूप सचमुच रोजगार सृजन पर गम्भीरता से कुछ भी किया होता तो करोड़ों बिहारवासियों को हर वर्ष पलायन और मरने के लिए विवश नहीं होना पड़ता.'
इतना ही नहीं तेजस्वी ने कहा कि कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद नीतीश कुमार ने खूब उछल-कूदकर इसे ऐतिहासिक दिन बताया था. लेकिन आज सरकार में बैठ लोग जम्मू-कश्मीर जाकर रोजगार तलाशने के लिए श्रमिकों की ही आलोचना क्यों कर रहे हैं?
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तेजस्वी का पत्र इस प्रकार है...
"माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, आशा है आपको ज्ञात हो चुका होगा कि रविवार को फिर बिहार के दो श्रमिकों को जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया. कल भी एक श्रमिक की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. इससे पहले एक और बिहारी मूल के श्रमिक की हत्या की जा चुकी है जिसकी मृत्यु की जानकारी भी आपको दो दिन बाद एक पत्रकार के इस विषय पर सवाल के द्वारा ही हुआ था.
इन सभी बिहारवासियों की नृशंस हत्या के दोषी आप और आपकी निकम्मी सरकार है. अगर आपकी सरकार ने पिछले 16 साल से किए जा रहे 'सुशासन' के दावे के अनुरूप सचमुच रोजगार सृजन पर गम्भीरता से कुछ भी किया होता तो इनकी भाँति करोड़ों बिहारवासियों को हरवर्ष पलायन के लिए विवश नहीं होना पड़ता. आप ही की सरकार की नाकामी के कारण ये सभी आतंकवाद की भेंट चढ़े युवक अपने घर से दूर एक आतंकवाद प्रभावित दूसरे राज्य में रोजगार की तलाश में पलायन करने को विवश हुए.
अपनी सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए आप बड़ी बनावटी मासूमियत से प्रवासी मजदूर शब्द पर आपत्ति जताते हैं पर पलायन के ज़हर को गरीब बिहारवासियों के जीवन से मिटाने का कोई ईमानदार प्रयास नहीं करते.
ऊपर से आपकी सरकार ने तो खूब दावा किया था कि धारा 370 हटने से आतंकवाद का घाटी से अंत हो जाएगा. खूब उछल कूद कर आपकी पार्टी ने बिना सोचे समझे लिए गए इस कदम का देश के लिए ऐतिहासिक दिन बताकर समर्थन किया था. जब सब कुछ इतना सामान्य हो चुका था तो क्यों आपकी सरकार में बैठे लोग दबी जुबान जम्मू कश्मीर जाकर रोजगार तलाशने के लिए श्रमिकों की ही आलोचना कर रहे हैं? सम्भव है कि आपकी सरकार के द्वारा ज़मीनी हकीकत से दूर किए गए दावों के प्रभाव में ही इन श्रमिकों ने जम्मू कश्मीर जाने का मन बनाया हो.
इन राक्षसी हत्याओं के लिए परिस्थिति उत्पन्न करने और श्रमिकों को रोजीरोटी के लिए घर से दूर बसने के लिए आपकी सरकार को पीड़ित परिवारों से ना सिर्फ़ हाथ जोड़कर माफ़ी माँगना चाहिए, बल्कि सभी परिवारों के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी और 1 करोड़ मुआवजे की घोषणा कर के अपने पापों को धोने का प्रयास करना चाहिए. आतंकियों द्वारा मारे गए इन निर्दोष बिहारियों की मौत के ज़िम्मेवार आप और आपकी डबल इंजन सह ट्रबलधारी सरकार है."
बता दें कि रविवार शाम को कश्मीर में आतंकियों ने बिहार के अररिया के रहने वाले राजा ऋषिदेव और योगेंद्र ऋषिदेव और चुनचुन ऋषिदेव को गोली मार दी थी. जिसमें राजा और ऋषिदेव की मौत हो गई थी. वहीं, चुनचुन ऋषिदेव अभी गंभीर रूप से घायल है.
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आपको बताएं कि शनिवार को भी बिहार के बांका (Banka) जिले के बाराहाट प्रखंड के परघड़ी गांव के रहने वाले अरविंद कुमार साह की श्रीनगर के ईदगाह क्षेत्र स्थित एक पार्क के बाहर आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. मृतक अरविंद वहां पिछले 15 वर्षों से ठेला पर गोलगप्पे बेचने का काम करता था. कोरोना काल में अरविंद लॉक डाउन की वजह से घर आ गया था. तीन माह पहले ही फिर से रोजी-रोटी की तलाश में जम्मू-कश्मीर गया था, जहां उसके साथ यह घटना हो गई.
वहीं, इससे पहले इसी महीने के 5 अक्टूबर को भागलपुर के जगदीशपुर के रहने वाले वीरेंद्र पासवान की श्रीनगर के लाल बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वीरेंद्र वहां ठेला लगाकर रोजी रोटी कमाने का काम करता था. उसके पार्थिव शरीर का श्रीनगर में ही दाह संस्कार कर दिया गया था. वीरेंद्र को मुखाग्नि उसके छोटे भाई ने दी थी. बाद में अस्थि कलश को घर लाया गया था.