पटनाः शनिवार को सीएए और एनआरसी के खिलाफ बिहार महागठबंधन के नेता सड़कों पर उतरे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और रालोसपा सुप्रीमों उपेंद्र कुशवाहा पटना के डाकबंगला चौराहा पर पहुंच कर बंद समर्थकों का हौसला बढ़ाया. वहीं, सरकार के खिलाफ दोंनो नेताओं ने विरोध-प्रदर्शन कर कानून को वापस लेने की मांग की. हालांकि इस बीच तेजस्वी के अर्जुन यानि तेज प्रताप यादव पूरे प्रदर्शन में कहीं नहीं दिखे.
अपने बयानों और क्रिया कलापों से सुर्खियों में रहने वाले तेज प्रताप यादव बिहार बंद से गायब रहे. जहां, पूरा बिहार में आरजेडी के नेता और समर्थक सड़कों पर नागरिकता कानून, एनआरसी पर आक्रोश दिखा रहे थे वहीं, तेज प्रताप यादव सोशल मीडिया पर एक दिन पहले ऐलान कर बंद के दिन गायब रहे.
तेजप्रताप का ट्वीट, आओ साथ चले
दरअसल, तेजप्रतापव यादव ने ट्वीटर पर एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें कहा गया कि संविधान बचाने निकले हैं आओ साथ चले कहा गया. वहीं, तेजप्रताप को शंखनाद करते हुए आरजेडी के 21 दिसंबर के बिहार बंद को दिखाया गया. तेजप्रताप शुक्रवार की देर रात ट्वीट कर लिखा, धर्म आधारित नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 21 दिसंबर को राजद आहूत बिहार बंद को शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनायें. हालांकि उनकी गैरमौजूदगी पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.
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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) December 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
धर्म आधारित नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कल 21 दिसंबर को राजद आहूत बिहार बंद को शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनायें।#BiharBand pic.twitter.com/cFCTIKWn6F
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देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
धर्म आधारित नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कल 21 दिसंबर को राजद आहूत बिहार बंद को शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनायें।#BiharBand pic.twitter.com/cFCTIKWn6Fसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) December 20, 2019
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
धर्म आधारित नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कल 21 दिसंबर को राजद आहूत बिहार बंद को शांतिपूर्ण तरीके से सफल बनायें।#BiharBand pic.twitter.com/cFCTIKWn6F
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बता दें कि जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद तेज प्रताप यादव पार्टी में सक्रिय हुए थे. बताया जा रहा था कि परिवार और पार्टी में सामंजस्य बनाने के लिए लालू ने अपने करीबी जगदानंद सिंह को पार्टी की कमान सौंपी. वहीं, तेजस्वी के करीबी रामचंद्र पूर्वे का प्रदेश अध्यक्ष के पद से पत्ता कट गया था. हालांकि तेज प्रताप इसके बाद तेजस्वी के साथ कई कार्यक्रम और धरना-प्रदर्शन में नजर आये. लेकिन बिहार बंद से तेज प्रताप के दूरी बनाने पर सियासी गलियारे में चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है. जब पूरा बिहार राजदमय हो गया वैसे समय में तेजप्रताप गायब रहे.