पटना: बिहार में गंगाजल और गंगा के दोनों छोर पर 10 किलोमीटर के (Ganga water and soil test in Patna) दायरे की मिट्टी की जांच की जाएगी. जांच का जिम्मा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार के वैज्ञानिक उठाया है. 9 लोगों की टीम पटना पहुंच गई है. गंगोत्री से गंगासागर तक यह गंगा की मिट्टी की जांच की जाएगी. इसके लिए अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई है.
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गंगा के दोनों तटों की मिट्टी की होगी जांच: पतंजलि के बिहार राज्य प्रभारी अजीत कुमार ने गुरुवार को बताया कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार का नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत जल शक्ति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के साथ करार हुआ है. गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के 10 किलोमीटर के दोनों तटों की मिट्टी की गुणवत्ता की जांच की जाएगी. आसपास जो औषधीय पौधे हैं और जो औषधीय पौधे विलुप्त हो रहे हैं. इन तमाम प्वाइंट्स पर अपना डॉक्यूमेंटेशन करेंगे.
9 लोगों की टीम पटना पहुंची: टीम के प्रभारी वैज्ञानिक आचार्य अखिलेश आनंद ने बताया कि 9 लोगों की टीम पटना पहुंच गई है. मिट्टी और गंगा के जल की जांच के लिए अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई है. 17 मार्च से अगले 18 दिनों तक बिहार झारखंड के इलाके जो गंगा के नजदीक हैं. इन जगहों की मिट्टी की जांच करेंगे. तमाम रिपोर्ट केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को सौंपा जाएगा.
18 दिनों तक होगी जांच: टीम के प्रमुख चिकित्सक डॉ उदय भान प्रजापति ने बताया कि कई जगहों पर पूर्व की अपेक्षाकृत गंगा के आसपास के इलाकों में खेतों में पैदावार में कमी आई है. गंगाजल की शुद्धता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई कार्यक्रम चल रहे हैं. 18 दिनों के बिहार प्रवास के दौरान पूरे बिहार में गंगा के आसपास सटे इलाकों में जगह-जगह सैंपल कलेक्ट करेंगे.
"बिहार में गंगाजल और गंगा के दोनों छोर की मिट्टी की जांच की जाएगी. 9 लोगों की टीम पटना पहुंच गई है. गंगा जल और मिट्टी की जांच के लिए अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई है. बिहार में 9 लोगों की टीम है." -अजीत कुमार, बिहार प्रभारी, पतंजलि योग समिति