पटना: शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर बिहार शिक्षा विभाग की रद्द की गई छुट्टियों को वापस बहाल कर दिया. इस फैसले से प्रदेश के शिक्षक काफी खुश हैं. हालांकि बिहार के 76000 स्कूलों में चार लाख से अधिक शिक्षकों ने काली पट्टी लगाकर राज्य कर्मचारी का दर्जा देने और छुट्टी रद्द करने के फैसले की खिलाफत करने वाले खगड़िया के एक टीचर पर हुई निलंबन की कार्रवाई को वापस लेने की मांग को लेकर अपना विरोध भी जताया.
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छुट्टियों में कटौती के खिलाफ शिक्षकों में रोष: शिक्षक संगठनों ने कहा था कि नियोजित शिक्षक की मांग को लेकर शिक्षक दिवस के मौके पर प्रदेश के शिक्षक प्रतिरोध दिवस मनाएंगे लेकिन पटना में शिक्षकों ने प्रतिरोध दिवस नहीं मनाया और सरकार के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए जश्न मनाया. पटना के विभिन्न विद्यालयों में 1 सितंबर से काली पट्टी बांधकर कार्य कर रहे शिक्षकों ने हाथों से अपने काली पट्टी को उतार कर सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का अभिनंदन किया. दरअसल पहले शिक्षा विभाग ने 29 अगस्त को शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर 28 अगस्त से 31 दिसंबर तक सरकारी स्कूलों में पड़ने वाली छुट्टियों में कटौती की थी. 23 से घटाकर छुट्टियों को 11 कर दी गई थी.
फैसले वापस होने से सभी शिक्षक बेहद खुश: पटना स्थित मध्य विद्यालय मीठापुर के प्राचार्य अजय किशोर प्रसाद ने कहा कि वह सरकार के इस फैसले से काफी खुश हैं और शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षकों को यह जो तोहफा दिया गया है, वह शिक्षकों को पसंद आ रहा है. इस फैसले से महिला शिक्षकों में खुशी की लहर है, क्योंकि अब उनको तीज-जिउतिया जैसे पर्व पर उपवास के दौरान स्कूल नहीं आना पड़ेगा.
"हम लोगों ने अब हाथों में से काला पट्टी को उतार दिया है, क्योंकि जिन मांगों को लेकर उनका विरोध था वह पूरा हो गया है. छुट्टियां वापस बहाल कर दी गई है, जिससे वह काफी खुश हैं. यह शिक्षकों के सामूहिक प्रयासों की एक जीत है. इस जीत का श्रेय वह मीडिया को भी देंगी. इस फैसले के बाद शिक्षक उत्साहित हैं और अब पूरे उत्साह से बच्चों को पढ़ा रही हैं"- सरिता कुमारी, शिक्षिका
शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए: वहीं, एक अन्य शिक्षिका ज्योति कुमारी ने कहा कि छुट्टियों को वापस बहाल किए जाने के फैसले से काफी खुश हैं. अब उन्हें कल और परसों दो दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी और चेहल्लुम के मौके पर छुट्टियां मिलेंगी. उन्होंने कहा कि इस फैसले से खुशी तो है लेकिन सरकार से शिक्षक दिवस के मौके पर वह यह मांग करेगी कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने की जो लंबे समय से मांग रही है, उस पर भी ध्यान दिया जाए.
अब विरोध का कोई मतलब नहीं: उधर, शिक्षक अजय कुमार ने कहा कि सरकार ने अपने फैसले को वापस लिया है, यह सराहनीय है. अगर सरकार अपनी फैसले को वापस नहीं लेती तो सरकार को कानूनी अड़चनें झेलनी पड़ सकती थी. उन्हें पूर्व से ही सीएल कम मिलता है और ऐसे में यदि छुट्टियां रद्द की गई थी तो शिक्षकों के सीएल को बढ़ाना पड़ता.
"छुट्टियां अगर रद्द नहीं होती तो शिक्षक न्यायालय की शरण में जाते और वहां से सरकार को फटकार पड़ती. सरकार ने रद्द की गई छुट्टियों को वापस बहाल कर दिया गया है. इससे शिक्षकों में उत्साह आ गया है और अब उत्साहित मन से सभी शिक्षक बच्चों को पढ़ने में लग गए हैं. हमने अपना विरोध प्रदर्शन अब स्थगित कर दिया है"- अजय कुमार, शिक्षक