पटना: बिहार सरकार के एक फैसले ने राज्य में बड़ी संख्या में लोगों को नाराज कर दिया है. यह मामला बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है. बिहार सरकार ने शिक्षक भर्ती के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए बिहार में सरकारी टीचर बनने के लिए बिहार का स्थाई निवासी होने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. नीतीश सरकार के इस फैसले से बिहार के कई जिलों में अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए हैं.
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एक साथ आने से झुकेगी सरकार : माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रमुख शत्रुघ्न प्रसाद सिंह कहते हैं कि सभी शिक्षक संगठनों का एक साथ आना अच्छी बात है. अगर सभी शिक्षक संगठन एक साथ आकर लड़ाई को लड़ेंगे तो इससे सरकार को हमारी बातों को मानना होगा. वह कहते हैं कि एक साथ सभी शिक्षक संगठनों के आने से सरकार पर दबाव बढ़ेगा और अगर शिक्षक संगठन अपने हक की बात करते हैं तो इसमें कहीं कोई बुराई नहीं है. हमारा संगठन हमेशा से ही शिक्षकों के हितों के लिए लड़ता रहा है.
सीएम से ही मिली हैं प्रेरणा : टीईटी टीचर्स संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम कहते हैं, दरअसल सीएम नीतीश कुमार से ही हमें यह प्रेरणा मिली है. सीएम नीतीश कुमार बीजेपी को हराने के लिए विभिन्न विपक्षी दलों के साथ गठबंधन कर सकते हैं तो हम सभी शिक्षक अपनी मांग को मनवाने के लिए एक साथ एक मंच पर क्यों नहीं आ सकते हैं? अमित विक्रम का यह भी कहना था कि पूर्व से बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ का जो आंदोलन चला आ रहा था, उनके साथ और भी संगठन जुड़े हुए हैं.
"सीएम नीतीश कुमार से ही हमें यह प्रेरणा मिली है. सीएम नीतीश कुमार बीजेपी को हराने के लिए विभिन्न विपक्षी दलों के साथ गठबंधन कर सकते हैं तो हम सभी शिक्षक अपनी मांग को मनवाने के लिए एक साथ एक मंच पर क्यों नहीं आ सकते हैं" - अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
एक साथ होगी लड़ाई : परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के प्रमुख बंशीधर बृजवासी कहते हैं कि "राज्य कर्मी की मांग को लेकर के पिछले दो दशक से शिक्षकों का आंदोलन चल रहा है. हम लोग जो टुकड़ों में आंदोलन कर रहे थे, अलग-अलग संगठनों के बैनर तले लड़ाई लड़ रहे थे. अब हम लोग एकजुटता में लड़ाई लड़ेंगे. हमने यह फैसला किया है कि अब जो आगामी कार्यक्रम होगा". उसमें हम सभी संगठन की एक साथ मिलकर काम करेंगे. 11 जुलाई को पटना में तमाम विधायकों का घेराव करना है.
कैबिनेट बैठक में डोमिसाइल हटाने का लिया फैसला : दरअसल, 27 जून को नीतीश कुमार की कैबिनेट ने बिहार स्टेट स्कूल टीचर रूल्स 2023 में बड़ा बदलाव किया. यह मामला बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती से जुड़ा है. नये नियमों के मुताबिक, अब सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के उम्मीदवार भी बिहार शिक्षक भर्ती में आवेदन कर सकते है. सरकार के इस फैसले के बाद बिहार के उम्मीदवारों ने इसका विरोध किया और कहा कि अगर सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला तो आंदोलन होगा. हालांकि, सवाल ये उठा कि शिक्षक भर्ती में इतना बड़ा बदलाव क्यों हुआ.
बिहार के शिक्षा मंत्री क्या बोले? : कैबिनेट के फैसले के बाद सवाल उठा तो बिहार के शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया. उन्होंने कहा है कि, "देश के दूसरे राज्यों के मेधावी छात्र भी इस परीक्षा में भाग ले सकेंगे. प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि यहां साइंस, केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथ और अंग्रेजी के सक्षम उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं. इसलिए सीटें खाली रह जाती हैं". इस बयान के बाद शिक्षक अभ्यर्थी और अधिक भड़क गए हैं.
अन्य राज्यों में शिक्षक भर्ती नियम: असम, अरुणाचल, मेघालय, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल में स्थायी निवासी होना जरूरी. वहीं झारखंड में स्थानीय स्कूल से 10वीं पास जरूरी है. उत्तराखंड में 10वीं, 12वीं या डिग्री पास राज्य से ही होना चाहिए. उत्तर प्रदेश में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी 5 साल जरूर रहे हों.
क्या है डोमिसाइल नीति : डोमिसाइल का मतलब आवासीय होता है. यानी भर्ती परीक्षा में सिर्फ राज्य के लोग ही आवेदन कर सकते हैं. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद जारी आदेश के मुताबिक डोमिसाइल नीति को खत्म कर दिया गया. इसके बाद देशभर के युवा बिहार शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं.