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TB Treatment in Bihar: MDR TB में पारंपरिक दवा बेअसर, बायोप्सी टेस्ट से जानें कौन सी दवा कारगर

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Published : Jun 20, 2023, 1:54 PM IST

बिहार में एमडीआर टीबी के मरीजों को पारंपरिक दवा लेने से पहले कुछ बातों का खास खयाल रखना चाहिए. इसे लेकर ऑर्थोपेडिक व स्पाइन सर्जन डॉ महेश प्रसाद का कहना है कि इसमें नॉर्मल दवा बेअसर हो जाती है. जिस वजह से मरीज की तबीयत में कोई शुधार देखने को नहीं मिलता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

स्पाइन सर्जन डॉ महेश प्रसाद
स्पाइन सर्जन डॉ महेश प्रसाद

पटना: पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक व स्पाइन सर्जन डॉ महेश प्रसाद ने मल्टी ड्रग्स रेसिस्टेंस टीबी को लेकर एक खास जानकारी सेयर की है. जो टीबी मरीजों को स्वस्थ्य होने में काफी मदद करेगी. उनका कहना है कि एमडीआर टीबी में पारंपरिक दवा काम नहीं करती है. ऐसे में जरूरी है कि बायोप्सी से जीन एक्सपर्ट टेस्ट करा लें, तभी कारगर टीबी की दवा का पता चलेगा. डॉ महेश प्रसाद हाल ही में कोलकाता में आयोजित पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत के स्पाइन सर्जन के एक कॉन्फ्रेंस में 'इंफेक्शन ऑफ स्पाइन: डिफरेंट मॉडलिटी ऑफ ट्रीटमेंट एंड इंवेस्टीगेशन' विषय पर चर्चा में सम्मिलित होकर बिहार लौटे हैं.

पढ़ें-Women Health: सेक्सुअल लाइफ में आत्मविश्वास लाने और मानसिक दबाव से निकालने में 'कॉस्मेटिक गाइनेकोलॉजी' मददगार

कॉन्फ्रेंस में 200 से ज्यादा स्पाइन विशेषज्ञ: डॉक्टर के मुताबिक स्पाइन सोसाइटी ऑफ वेस्ट बंगाल की ओर से आयोजित एसएसडब्ल्यूबीसीओएन-2023 में 200 से ज्यादा स्पाइन विशेषज्ञ जुटे हुए थे. उन्होंने बताया कि कई जगहों पर खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर के बिना जांच किए ही लोग टीबी की दवा चला देते हैं. इससे एंटी बॉयोटिक बेअसर हो जाता है. उन्होंने बताया कि कमर दर्द, स्पाइनल इंज्यूरी के साथ -साथ इंफेक्शन भी अगर हो तो विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

"कई जगहों पर खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर के बिना जांच किए ही लोग टीबी की दवा चला देते हैं. इससे एंटी बॉयोटिक बेअसर हो जाता है. उन्होंने बताया कि कमर दर्द, स्पाइनल इंज्यूरी के साथ -साथ इंफेक्शन भी अगर हो तो विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है."- डॉ. महेश प्रसाद, ऑर्थोपेडिक व स्पाइन सर्जन

इन देशों में है टीबी की समस्या: जरूरत के मुताबिक ही ऑपरेशन करना चाहिए. मरीज विशेष की स्थिति पर निर्भर करता है कि ऑपरेशन जरूरी या नहीं है. ज्यादातर मामले में ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती है. डॉक्टर बताया कि स्पाइन की समस्या वैश्विक स्तर पर लगभग एक जैसी है. लेकिन भारत, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों में टीबी की समस्या काफी है. टीबी रोग का सबसे बड़ा कारण कुपोषण और गरीबी है. 2 हफ्ते से अधिक लंबी खांसी है तो टीबी का जांच करा लेना जरूरी होता है लेकिन गरीब तबके के लोग लापरवाही बरतते हैं और यह घातक हो जाता है.

जांच व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध: टीबी एक संक्रामक बीमारी है और यदि व्यक्ति शुरू में लापरवाही करता है तो वह अपने समाज में कई लोगों को संक्रमित कर देता है. प्रदेश के सभी जिला के सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में टीबी के जांच से लेकर इलाज तक की समुचित व्यवस्था निशुल्क में उपलब्ध है. लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और जागरूकता बेहद जरूरी है. यदि किसी को 2 हफ्ते से अधिक लंबी खांसी है, सीने में दर्द महसूस हो रहा है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच कराएं.

पटना: पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक व स्पाइन सर्जन डॉ महेश प्रसाद ने मल्टी ड्रग्स रेसिस्टेंस टीबी को लेकर एक खास जानकारी सेयर की है. जो टीबी मरीजों को स्वस्थ्य होने में काफी मदद करेगी. उनका कहना है कि एमडीआर टीबी में पारंपरिक दवा काम नहीं करती है. ऐसे में जरूरी है कि बायोप्सी से जीन एक्सपर्ट टेस्ट करा लें, तभी कारगर टीबी की दवा का पता चलेगा. डॉ महेश प्रसाद हाल ही में कोलकाता में आयोजित पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत के स्पाइन सर्जन के एक कॉन्फ्रेंस में 'इंफेक्शन ऑफ स्पाइन: डिफरेंट मॉडलिटी ऑफ ट्रीटमेंट एंड इंवेस्टीगेशन' विषय पर चर्चा में सम्मिलित होकर बिहार लौटे हैं.

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कॉन्फ्रेंस में 200 से ज्यादा स्पाइन विशेषज्ञ: डॉक्टर के मुताबिक स्पाइन सोसाइटी ऑफ वेस्ट बंगाल की ओर से आयोजित एसएसडब्ल्यूबीसीओएन-2023 में 200 से ज्यादा स्पाइन विशेषज्ञ जुटे हुए थे. उन्होंने बताया कि कई जगहों पर खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर के बिना जांच किए ही लोग टीबी की दवा चला देते हैं. इससे एंटी बॉयोटिक बेअसर हो जाता है. उन्होंने बताया कि कमर दर्द, स्पाइनल इंज्यूरी के साथ -साथ इंफेक्शन भी अगर हो तो विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

"कई जगहों पर खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर के बिना जांच किए ही लोग टीबी की दवा चला देते हैं. इससे एंटी बॉयोटिक बेअसर हो जाता है. उन्होंने बताया कि कमर दर्द, स्पाइनल इंज्यूरी के साथ -साथ इंफेक्शन भी अगर हो तो विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है."- डॉ. महेश प्रसाद, ऑर्थोपेडिक व स्पाइन सर्जन

इन देशों में है टीबी की समस्या: जरूरत के मुताबिक ही ऑपरेशन करना चाहिए. मरीज विशेष की स्थिति पर निर्भर करता है कि ऑपरेशन जरूरी या नहीं है. ज्यादातर मामले में ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती है. डॉक्टर बताया कि स्पाइन की समस्या वैश्विक स्तर पर लगभग एक जैसी है. लेकिन भारत, बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों में टीबी की समस्या काफी है. टीबी रोग का सबसे बड़ा कारण कुपोषण और गरीबी है. 2 हफ्ते से अधिक लंबी खांसी है तो टीबी का जांच करा लेना जरूरी होता है लेकिन गरीब तबके के लोग लापरवाही बरतते हैं और यह घातक हो जाता है.

जांच व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध: टीबी एक संक्रामक बीमारी है और यदि व्यक्ति शुरू में लापरवाही करता है तो वह अपने समाज में कई लोगों को संक्रमित कर देता है. प्रदेश के सभी जिला के सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में टीबी के जांच से लेकर इलाज तक की समुचित व्यवस्था निशुल्क में उपलब्ध है. लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और जागरूकता बेहद जरूरी है. यदि किसी को 2 हफ्ते से अधिक लंबी खांसी है, सीने में दर्द महसूस हो रहा है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच कराएं.

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