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बिहार के सभी ITI में शुरू होगा 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' का पाठ, जानिए कितने करोड़ रुपये का आएगा खर्च

राज्य के सभी सरकारी आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा. इस कार्य को दो चरणों में पूरा किया जाना है. जिस पर कुल 4606 करोड़ 97 लाख खर्च किया जाएगा. जिससे रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिल सकेगा. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

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Published : Dec 30, 2021, 8:02 AM IST

पटना: बिहार में रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाने की दिशा में श्रम संसाधन और आईटी मिनिस्टर जीवेश मिश्रा (IT Minister Jivesh Mishra) की तरफ कवायद की जा रही है. इसी क्रम में राज्य के सभी सरकारी आईटीआई में टाटा टेक के माध्यम से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का पाठ (Center Of Excellence Start In ITI College) आईटीआई के छात्रों को पढ़ने का मौका मिलेगा. नए साल में नए सौगात के रूप में इसकी शुरुआत की जाएगी.

इसे भी पढें: बिहार के सभी सरकारी ITI में टाटा टेक के माध्यम से होगी पढ़ाई, कैबिनेट से मिली हरी झंडी

बिहार के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान यानी आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए 10 हजार स्क्वायर फीट में सेंटर बनाया जाएगा. सबसे खास बात है कि देश दुनिया में जो मांग है उसी हिसाब से आईटीआई को उद्योगों के बदलते परिवेश को देखते हुए नई तकनीकों से लैस किया जायेगा. जिससे बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

ये भी पढ़ें: मोतिहारी: ITI परिसर में NCC का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से प्रौद्योगिकी में मशीन लर्निंग, इन्टरनेट ऑफ थिंग्स, ग्राफिक डिजाइन, रोबोटिक मेंटेनेन्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि की तकनीकों में मशीनें लगाकर उद्योगों के सहयोग से राज्य के आईटीआई को और उन्नत बनाया जायेगा. इसके लिए प्रथम चरण में 139 आईटीआई में से 60 को चिन्हित किया गया है. जीवेश मिश्रा ने बताया कि सात निश्चय योजना पार्ट-2 के अंतर्गत 2020-25 के अंतर्गत युवा शक्ति बिहार की प्रगति के तहत संस्थानों को गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राज्य के प्रत्येक आईटीआई को उच्च स्तरीय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्थापित किया जाएगा.

देखें रिपोर्ट.

2 चरणों में सभी आईटीआई संस्थानों में मशीनों का कार्य एवं अधिष्ठापन किया जाना है. इसपर कुल लागत 5436.22 करोड़ रुपये है. जिसमें 12% राज्य सरकार और 88% टाटा टेक लगाने का काम करेगी. बता दें कि पहले चरण में 60 राजकीय आईटीआई के उन्नयन के लिए 262.69 करोड़ लागत होगा. जिसको मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं दूसरे चरण में 389 करोड़ 66 लाख राज्य सरकार खर्च करेगी, जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति कैबिनेट ने दी है. मंत्री ने बताया कि बिहार के आईटीआई पुरानी तकनीक पर आधारित था. देश मे उद्योग के बदलते हुए परिवेश को देखते हुए यहां के आईटीआई को इस टेक्निक से लैस किया जा रहा है. जिससे बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों के आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

डाटा टेक के माध्यम से जो आईटीआई में प्रशिक्षण दिया जाएगा उसमें इलेक्ट्रिक वाहन प्रशिक्षण, लॉर्ड और डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन, मशीनिंग और विनिमार्ण एडवाइजर, आर्क वेल्डिंग के साथ औद्योगिक रोबटिक्स, आईटीओ डिजाइन सभी प्रकार के मरम्मत और रख-रखाव आधुनिक प्लंबिंग इन तमाम तरह के कोर्स बिहार के आईटीआई के छात्रों को हुनरमंद बनाया जाएगा. टाटा टेक सभी चयनित आईटीआई को सेना के साथ सहयोग करेगी और नए अपग्रेड टूल्स मशीनिंग पाठ्यक्रम बनाने में भी सहायता देगी. टाटा टेक प्रत्येक केंद्र पर अपने 2 प्रशिक्षकों के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करेगी.

'बिहार सरकार के द्वारा किया गया प्रयास यह एक सराहनीय कदम है. इससे बच्चों के उज्जवल भविष्य में 3D चार चांद लगाएगा. 3D और 4D आने से ग्राफिक के माध्यम से पढ़ाने में साथ ही साथ छात्रों को समझाने में और छात्र ग्राफिक के माध्यम से बहुत अच्छे ढंग से समझ सकेंगे.' -रोहन, आईटीआई शिक्षक

शिक्षक का मानना है कि टाटा देश नहीं बल्कि दुनिया में रोजगार मुहैया कराने वाला कंपनी है. जाहिर सी बात है कि अगर टाटा टेक के माध्यम से बिहार के सरकारी आईटीआई के छात्रों को एक तरफ पढ़ाया भी जाएगा और उनके द्वारा चयनित भी किया जाएगा, तो कहीं न कहीं बिहार में बेरोजगारी की जो समस्या है वह कम होगी.

'टाटा अपने आप में एक बड़ी कंपनी है और जैसे ही नए टेक्नोलॉजी के माध्यम से आईटीआई में पढ़ाया जाएगा, तो यहां के बच्चों में पढ़ने में और जागरूकता पैदा होगी. अभी जो हम लोग पढ़ते हैं और 2D के माध्यम से पढ़ते हैं. 3D के माध्यम से पढ़ने से दिमाग का और विकास होगा. अभी जो जरनेटर, ट्रांसफार्मर के बारे में आईटीआई में पढ़ाया जाता है, उसमें 3D के आने के बाद और डिटेल से पढ़ पाएंगे.' -पीयूष कुमार, आईटीआई छात्र

कुल मिलाकर कहा जाए तो बिहार सरकार बिहार के युवाओं को हुनरमंद बनाकर रोजगार सृजन की दिशा में काम कर रही है. इसी क्रम में अब बिहार के सरकारी आईटीआई में देश दुनिया में जिस टेक्नोलॉजी की मांग है उस टेक्नोलॉजी का पाठ पढ़ा कर रोजगार मुहैया कराने का काम करेगी.

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पटना: बिहार में रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाने की दिशा में श्रम संसाधन और आईटी मिनिस्टर जीवेश मिश्रा (IT Minister Jivesh Mishra) की तरफ कवायद की जा रही है. इसी क्रम में राज्य के सभी सरकारी आईटीआई में टाटा टेक के माध्यम से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का पाठ (Center Of Excellence Start In ITI College) आईटीआई के छात्रों को पढ़ने का मौका मिलेगा. नए साल में नए सौगात के रूप में इसकी शुरुआत की जाएगी.

इसे भी पढें: बिहार के सभी सरकारी ITI में टाटा टेक के माध्यम से होगी पढ़ाई, कैबिनेट से मिली हरी झंडी

बिहार के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान यानी आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए 10 हजार स्क्वायर फीट में सेंटर बनाया जाएगा. सबसे खास बात है कि देश दुनिया में जो मांग है उसी हिसाब से आईटीआई को उद्योगों के बदलते परिवेश को देखते हुए नई तकनीकों से लैस किया जायेगा. जिससे बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

ये भी पढ़ें: मोतिहारी: ITI परिसर में NCC का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से प्रौद्योगिकी में मशीन लर्निंग, इन्टरनेट ऑफ थिंग्स, ग्राफिक डिजाइन, रोबोटिक मेंटेनेन्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि की तकनीकों में मशीनें लगाकर उद्योगों के सहयोग से राज्य के आईटीआई को और उन्नत बनाया जायेगा. इसके लिए प्रथम चरण में 139 आईटीआई में से 60 को चिन्हित किया गया है. जीवेश मिश्रा ने बताया कि सात निश्चय योजना पार्ट-2 के अंतर्गत 2020-25 के अंतर्गत युवा शक्ति बिहार की प्रगति के तहत संस्थानों को गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राज्य के प्रत्येक आईटीआई को उच्च स्तरीय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्थापित किया जाएगा.

देखें रिपोर्ट.

2 चरणों में सभी आईटीआई संस्थानों में मशीनों का कार्य एवं अधिष्ठापन किया जाना है. इसपर कुल लागत 5436.22 करोड़ रुपये है. जिसमें 12% राज्य सरकार और 88% टाटा टेक लगाने का काम करेगी. बता दें कि पहले चरण में 60 राजकीय आईटीआई के उन्नयन के लिए 262.69 करोड़ लागत होगा. जिसको मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं दूसरे चरण में 389 करोड़ 66 लाख राज्य सरकार खर्च करेगी, जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति कैबिनेट ने दी है. मंत्री ने बताया कि बिहार के आईटीआई पुरानी तकनीक पर आधारित था. देश मे उद्योग के बदलते हुए परिवेश को देखते हुए यहां के आईटीआई को इस टेक्निक से लैस किया जा रहा है. जिससे बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों के आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

डाटा टेक के माध्यम से जो आईटीआई में प्रशिक्षण दिया जाएगा उसमें इलेक्ट्रिक वाहन प्रशिक्षण, लॉर्ड और डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन, मशीनिंग और विनिमार्ण एडवाइजर, आर्क वेल्डिंग के साथ औद्योगिक रोबटिक्स, आईटीओ डिजाइन सभी प्रकार के मरम्मत और रख-रखाव आधुनिक प्लंबिंग इन तमाम तरह के कोर्स बिहार के आईटीआई के छात्रों को हुनरमंद बनाया जाएगा. टाटा टेक सभी चयनित आईटीआई को सेना के साथ सहयोग करेगी और नए अपग्रेड टूल्स मशीनिंग पाठ्यक्रम बनाने में भी सहायता देगी. टाटा टेक प्रत्येक केंद्र पर अपने 2 प्रशिक्षकों के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करेगी.

'बिहार सरकार के द्वारा किया गया प्रयास यह एक सराहनीय कदम है. इससे बच्चों के उज्जवल भविष्य में 3D चार चांद लगाएगा. 3D और 4D आने से ग्राफिक के माध्यम से पढ़ाने में साथ ही साथ छात्रों को समझाने में और छात्र ग्राफिक के माध्यम से बहुत अच्छे ढंग से समझ सकेंगे.' -रोहन, आईटीआई शिक्षक

शिक्षक का मानना है कि टाटा देश नहीं बल्कि दुनिया में रोजगार मुहैया कराने वाला कंपनी है. जाहिर सी बात है कि अगर टाटा टेक के माध्यम से बिहार के सरकारी आईटीआई के छात्रों को एक तरफ पढ़ाया भी जाएगा और उनके द्वारा चयनित भी किया जाएगा, तो कहीं न कहीं बिहार में बेरोजगारी की जो समस्या है वह कम होगी.

'टाटा अपने आप में एक बड़ी कंपनी है और जैसे ही नए टेक्नोलॉजी के माध्यम से आईटीआई में पढ़ाया जाएगा, तो यहां के बच्चों में पढ़ने में और जागरूकता पैदा होगी. अभी जो हम लोग पढ़ते हैं और 2D के माध्यम से पढ़ते हैं. 3D के माध्यम से पढ़ने से दिमाग का और विकास होगा. अभी जो जरनेटर, ट्रांसफार्मर के बारे में आईटीआई में पढ़ाया जाता है, उसमें 3D के आने के बाद और डिटेल से पढ़ पाएंगे.' -पीयूष कुमार, आईटीआई छात्र

कुल मिलाकर कहा जाए तो बिहार सरकार बिहार के युवाओं को हुनरमंद बनाकर रोजगार सृजन की दिशा में काम कर रही है. इसी क्रम में अब बिहार के सरकारी आईटीआई में देश दुनिया में जिस टेक्नोलॉजी की मांग है उस टेक्नोलॉजी का पाठ पढ़ा कर रोजगार मुहैया कराने का काम करेगी.

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