पटना: ‘हर घर नल का जल’ योजना में अपने सगे-संबधियों को 53 करोड़ रुपए का ठेका दिलाने का आरोप झेल रहे उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy CM Tarkishore Prasad) ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने पहले अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दें, फिर मुझसे कोई सवाल पूछें.
डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि मेरे पुत्र और पुत्रवधू को जो टेंडर मिला था, उसका काम उन्होंने ईमानदारी से पूरा किया है. जिसका नतीजा है कि लोंगों को साफ पीने का पानी मिल रहा है.
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तारकिशोर ने कहा कि इस योजना में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि न तो कोई घोटाला हुआ है और न ही काम में कोई गड़बड़ी की शिकायत सामने आई है.
उपमुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव और उनके परिवार पर आरोपों की लंबी फेहरिस्त है. पहले उन्हें उन आरोपों का जवाब देना चाहिए. अभी हाल में भी उन पर टिकट देने के बदले में पैसे लेने के आरोप लगे हैं, एफआईआर भी दर्ज हुई है. लिहाजा मुझसे सवाल पूछने से पहले अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर वे सफाई दें, आखिर वे चुप क्यों हैं.
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दरअसल एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'हर घर नल का जल' योजना से जरूरतमंदों के साथ-साथ नेताओं के रिश्तेदारों को भी फायदा हुआ है. इसके जरिए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर के परिवार और उनके सहयोगियों को 53 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया है. अखबार ने पड़ताल में पाया कि पीएचईडी (PHED) ने 2019-20 में कटिहार जिले की 9 पंचायतों के अलग-अलग वार्ड में 36 प्रॉजेक्ट को मंजूरी दी. कटिहार जिले से ही उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद चार बार विधायक रहे हैं. 'हर घर नल का जल' प्रोजेक्ट के तहत जिन कंपनियों को ठेका दिया गया, उनमें से एक उनकी बहू पूजा कुमारी, दो साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी हुई हैं. इतना ही नहीं ठेका लेनेवाली कंपनियों में कुछ उनके करीबी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार से जुड़ी हुई है.
इसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद गुरुवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ही इस घोटाले को पर्दाफाश किया गया था, लेकिन जांच नहीं की गई. तेजस्वी ने दावा किया इस घाटाले का पर्दाफाश राम प्रकाश महतो ने की थी. फरवरी 2021 में राम प्रकाश महतो ने सीएम नीतीश को इस संबंध में पत्र भी लिखा था, इसके बावजूद सीएम नीतीश ने इस मामले को लेकर संज्ञान नहीं लिया.