पटना: पटना में मंकीपॉक्स के पहले संदिग्ध (Symptoms Of Monkeypox In Patna ) मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट (Alert For Monkeypox In Bihar) जारी कर दिया है. संदिग्ध महिला मरीज पटना सिटी के गुडहट्टा एरिया की बतायी जा रही है. मरीज का सैंपल जांच के लिए पटना मेडिकल कॉलेज भेजा गया है. इधर केंद्र सरकार ने भी मंकीपॉक्स को लेकर बिहार सरकार को अलर्ट किया है. संभावित खतरे को लेकर बिहार सरकार भी तैयारियों में जुट गई है.
पढ़ें- मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पटना को किया अलर्ट
पटना पर मंडराया मंकीपॉक्स का खतरा: पहला संदिग्ध मरीज मिलने के बाद पूरे बिहार में अलर्ट जारी कर दिया गया है. पटना सिविल सर्जन ने जानकारी दी कि सस्पेक्ट महिला है. उसका सैंपल जांच के लिए 4 लोगों की टीम बनाकर कलेक्ट किया जा रहा है. ऐतिहात के तौर पर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ( Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि बिहार सरकार पूरी तरह से तैयार है. इसको लेकर सभी उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं.
मंकीपॉक्स को लेकर हाई लेवल मीटिंग: बिहार में एक ओर कोरोनावायरस संक्रमण बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ मंकीपॉक्स के संभावित खतरे से लोग डरे सहमे हैं. केंद्र सरकार ने भी 3 दिन पहले बिहार सरकार को अलर्ट भेजा था. बिहार सरकार भी तैयारियों में जुटी है. राज्य में कोरोनावायरस का खतरा भी बरकरार है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी संक्रमित हो गए हैं. मंगल पांडे ने कहा कि सभी जिलों के सिविल सर्जन और मेडिकल कॉलेजों के सुपरिटेंडेंट के साथ बैठक कर गाइडलाइन का पालन करने के निर्देश दिया गया है.
"अगर कोई संदिग्ध दिखता है तो जांच कराने के लिए व्यवस्था की गई है. सैंपल को जांच के लिए पुणे भेजना होगा. सिविल सर्जनों को कहा गया है कि प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारियों को भी अलर्ट करें."- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार
मंकीपॉक्स के लक्षण : बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं.
विश्वभर में 16 हजार से अधिक मामले : वैश्विक स्तर पर, 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में, मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं, जिनमें से तीन भारत में और एक थाईलैंड में पाया गया है. हालांकि अब तक इस बीमारी के बारे में जो बात सामने उसमें समलैंगिकों में यह बीमारी अधिक तेजी से फैलते हुए देखा जा रहा है. इसको देखते हुए कई स्वास्थ्य एजेंसियों ने समलैंगिक पुरुषों को आगाह भी किया है.
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.