पटना: आज से बिहार में कॉलेज के प्रोफेसर का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. दरअसल, मीडिया में बयानबाजी के कारण फुटाब के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर कन्हैया बहादुर सिंह और महासचिव सह विधान पार्षद प्रोफेसर संजय कुमार सिंह के वेतन और पेंशन पर रोक लगाई गई है. जिसके विरोध में यह निर्णय लिया गया है. वैसे तो विरोध के कई कारण हैं, जिसमें एक प्रमुख कारण यह भी है.
काली पट्टी लगाकर प्रोफेसर शैक्षणिक कार्य करेंगे: फुटाब का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा बिहार के संपूर्ण शिक्षा जगत को तानाशाही कार्यशैली से संचालित करने और लगातार अव्यवहारिक, अपमानजनक, असंवैधानिक एवं नियम विरुद्ध आदेश जारी किए जाने से उत्पन्न स्थिति के विरोध में यह निर्णय लिया गया है. संघ के महासचिव संजय कुमार सिंह ने कहा है कि जेपी आन्दोलन और आपातकाल के गर्भ से निकले नेताओं लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फुटाब अपील करती है कि बिहार के शिक्षा जगत को एक अघोषित आपातकाल की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.
"शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कार्यशैली से शिक्षा विभाग संचालित हो रहा है. उनके गैर कानूनी और शिक्षा-शिक्षक विरोधी अवांछित आदेशों पर तत्काल रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए"- संजय कुमार सिंह, महासचिव, फुटाब
क्या बोले संजय कुमार सिंह?: महासचिव सह विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने सरकार से पूछा है कि सरकार द्वारा यह तय किया जाए कि एक अपर मुख्य सचिव को अपने विभागीय मंत्री से भी अधिक अधिकार कैसे प्राप्त है? बगैर मंत्री के अनुमोदन के निर्गत अधिसूचनाएं कानूनी रूप से वैध नहीं हैं, क्योंकि न मंत्री अपने आप में सरकार हैं और न विभागीय अधिकारी. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा हाल में जारी आदेशों मसलन संघ गठन उसकी सदस्यता ग्रहण, शिक्षकों को प्रतिदिन 5 वर्ग संचालन. उसे पूरा करने के लिए समीप के महाविद्यालय में शेष कक्षा लेने अन्यथा एक दिन की वेतन कटौती करने, इसका विरोध करने वाले शिक्षक नेताओं/शिक्षकों के वेतन पेंशन पर रोक लगाने और दंडित करने वाले तुगलकी आदेशों का संघ पुरजोर विरोध करता है.
फुटाब कार्यकारिणी में क्या निर्णय हुए?: फुटाब कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि सरकार सभी गैर संवैधानिक, अधिनियम एवं परिनियम विरोधी दंडात्मक आदेशों को वापस ले. इन तुगलक की फरमानों के विरोध में सभी कॉलेज एवं विश्वविद्यालय शिक्षक दिनांक 16 दिसम्बर से काला बिल्ला लगाकर नियमानूकुल कार्य के सिद्धांतों का पालन करते हुए विश्वविद्यालय अधिनियम, परिनियम एवं यूजीसी रेगुलेशन में प्रावधित दायित्वों का अनुपालन करते हुए शैक्षणिक एवं अन्य कार्य निष्पादित करेंगे. यह निर्णय परीक्षा एवं मूल्यांकन कार्यों को प्रभावित नहीं करेगा. अगर सरकार इसके बावजूद तमाम असंवैधानिक निर्देशों को वापस नहीं लेती है तो आगे आंदोलन की वृहद रूप रेखा तय की जाएगी.
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