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अब क्या करेंगे मुकेश सहनी? बोचहां में जीते तो मिलेगी संजीवनी, वर्ना खेल खत्म! - वीआईपी चीफ मुकेश सहनी

खुद को बिहार की सत्ता का किंगमेकर समझने वाले वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) अपने ही जाल में फंस गए हैं. उनके तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं. उनकी पार्टी अब बिना विधायकों की बन गई है. अब उनका मंत्री पद भी खतरे में पड़ सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अब क्या करेंगे मुकेश सहनी? राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) के परिणाम से उनके सियासी भविष्य की दिशा और दशा तय होगी.

अब क्या करेंगे मुकेश सहनी
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Published : Mar 23, 2022, 10:26 PM IST

पटना: वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने गए थे लेकिन खुद बीजेपी के राजनीतिक गेमप्लान के शिकार हो गए. उनकी पार्टी के सभी विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है. बुधवार शाम को विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के तीनों विधायक राजू सिंह, सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही अब सियासी गलियारों से लेकर आम जनमानस के बीच ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर 'सन ऑफ मल्लाह' अब आगे क्या करेंगे? बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में जीत मिली तो नए सिरे से सियासत कर सकेंगे, अन्यथा राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है.

ये भी पढ़ें: बिहार में VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी को बड़ा झटका, तीनों विधायक BJP में हुए शामिल

मुकेश सहनी को बड़ा झटका: बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है मुकेश सहनी को एक के बाद एक लगातार झटका मिल रहा है. बीजेपी से टकराने का उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है, क्योंकि बीजेपी ने अपने कोटे से उन्हें एमएलसी बनाया था. मंत्री बनाकर उन्हें एडजस्ट किया था लेकिन उसके बाद भी उत्तर प्रदेश में जो उनका रुख रहा, वह सही नहीं था. बीजेपी ने बोचहां सीट छीन कर मुकेश सहनी को औकात बताना शुरू कर दिया. इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विश्वास में लिया. बिहार में मंत्रिमंडल में भी उलटफेर हो सकता है और इसके साथ ही वीआईपी के 3 विधायकों में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है.

चेहरा चमकाना चाहते हैं सहनी: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि मुकेश सहनी सिर्फ अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं. इसीलिए उनकी पार्टी के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी है. यदि बोचहां सीट मुकेश सहनी जीत जाते हैं तो उनकी नई पारी की शुरुआत हो सकती है और यदि नहीं जीतते हैं तो उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा, क्योंकि जुलाई में उनका विधान परिषद का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है. वैसे तो मंत्री पद से नैतिकता के आधार पर पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन जुलाई में उन्हें हर हाल में इस्तीफा देना पड़ेगा.

निषाद आरक्षण का दांव फेल: रवि उपाध्याय का यह भी कहना है कि मुकेश सहनी जिस निषाद आरक्षण को लेकर अपना अभियान चला रहे हैं, उसका भी कोई असर न तो यूपी में दिखा और बिहार में तो पहले से नहीं दिख रहा है, क्योंकि खुद अपनी सीट विधानसभा चुनाव में नहीं बचा पाए थे.

बोचहां की जीत होगी संजीवनी: वे कहते हैं कि महागठबंधन से यह कह कर सहनी निकले थे कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उनके पीठ में छुरा घोंपा है. ऐसे में आरजेडी मुकेश सहनी पर फिर से विश्वास करेगी, इसकी संभावना कम है और अभी बोचहां सीट पर मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को पार्टी में शामिल कराकर उम्मीदवार भी बना दिया. यह साफ संकेत है. रवि उपाध्याय का साफ कहना है कि मुकेश सहनी के लिए अब बोचहां सीट ही बिहार की राजनीति में उनको जिंदा रख सकती है.

यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.

तेजस्वी यादव को बताया छोटा भाई: यूपी चुनाव की तैयारियों में मशगूल मुकेश सहनी ने बीच-बीच में अपने बयानों से कई बार बीजेपी और एनडीए सरकार को असहज स्थिति में ला दिया. खासकर जब एक तरफ बीजेपी और जेडीयू में तल्खी बढ़ रही थी और दूसरी तरफ आरजेडी अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रही थी, उस दौरान सहनी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को छोटा भाई बता दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर खिचड़ी पकेगी तो सभी लोग खाएंगे. खेला होगा तो खेलेंगे. उनके इस बयान के बाद तो बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलकर सहनी पर हमले तेज कर दिए.

7 सीटों पर वीआईपी उम्मीदवार: हालांकि 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले मुकेश सहनी ने मात्र सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वीआईपी की सूची के मुताबिक समस्तीपुर से आदर्श कुमार, बेगूसराय से जयराम सहनी, सहरसा से चंदन कुमार, सारण से बालमुकुंद चौहान, रोहतास से गोबिंद बिंद, पूर्णिया से श्यामा नंद सिंह और दरभंगा से बैद्यनाथ सहनी को अपना उम्मीदवार बनाया गया है.

बीजेपी नेताओं ने मांगा इस्तीफा: यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मिली बंपर जीत से उत्साहित बिहार बीजेपी के नेताओं ने रिजल्ट आते ही मुकेश सहनी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए. विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री भी हैं. लिहाजा नैतिकता के आधार पर उनको इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहनी को बर्खास्त करने तक की मांग कर दी. ऐसा बोलने वाले बीजेपी के एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों नेता हैं.

मुकेश सहनी का बीजेपी पर पलटवार: अपने ऊपर हो रहे लगातार जुबानी हमलों के बीच मुकेश सहनी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर हिम्मत है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर दिखाए, क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने उत्तर प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ी है. सहनी ने आगे कहा कि उन्हें कमजोर समझकर इस्तीफा मांगा जाता है लेकिन हमारी पार्टी ने बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और हमने अपने 4 विधायकों का समर्थन लिखकर राज्यपाल को दिया था.

ये भी पढ़ें: बीजेपी ने मांगा मुकेश सहनी से इस्तीफा, कहा- मंत्री पद छोड़ने को लेकर अब उनको स्वयं निर्णय लेना चाहिए

बिहार चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी वीआईपी: दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नाटकीय घटनाक्रम के तहत महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में छोड़कर मुकेश सहनी बीजेपी के साथ चले गए थे. तब बीजेपी ने अपने कोटे से उनको को 11 सीटें दी थी. जिनमें ब्रह्मपुर, बोचहां, गौरा बोराम, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, मधुबनी, केवटी, साहेबगंज, बलरामपुर, अली नगर और बनियापुर में वीआईपी ने चुनाव लड़ा था. खुद मुकेश सहनी सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर से उम्मीदवार थे. 4 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि वो अपनी सीट नहीं बचा पाए थे, इसके बावजूद बीजेपी ने विधान परिषद के रास्ते उनको नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनवाया. उनके एमएलसी का कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा. बीजेपी के रुख से लगता नहीं कि उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें: VIP को BJP ने दिखाई आंख- 'लालू भक्त मुकेश सहनी देख लें RJD सुप्रीमो अभी कहां हैं'

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पटना: वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने गए थे लेकिन खुद बीजेपी के राजनीतिक गेमप्लान के शिकार हो गए. उनकी पार्टी के सभी विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है. बुधवार शाम को विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के तीनों विधायक राजू सिंह, सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही अब सियासी गलियारों से लेकर आम जनमानस के बीच ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर 'सन ऑफ मल्लाह' अब आगे क्या करेंगे? बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में जीत मिली तो नए सिरे से सियासत कर सकेंगे, अन्यथा राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है.

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मुकेश सहनी को बड़ा झटका: बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है मुकेश सहनी को एक के बाद एक लगातार झटका मिल रहा है. बीजेपी से टकराने का उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है, क्योंकि बीजेपी ने अपने कोटे से उन्हें एमएलसी बनाया था. मंत्री बनाकर उन्हें एडजस्ट किया था लेकिन उसके बाद भी उत्तर प्रदेश में जो उनका रुख रहा, वह सही नहीं था. बीजेपी ने बोचहां सीट छीन कर मुकेश सहनी को औकात बताना शुरू कर दिया. इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विश्वास में लिया. बिहार में मंत्रिमंडल में भी उलटफेर हो सकता है और इसके साथ ही वीआईपी के 3 विधायकों में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है.

चेहरा चमकाना चाहते हैं सहनी: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि मुकेश सहनी सिर्फ अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं. इसीलिए उनकी पार्टी के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी है. यदि बोचहां सीट मुकेश सहनी जीत जाते हैं तो उनकी नई पारी की शुरुआत हो सकती है और यदि नहीं जीतते हैं तो उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा, क्योंकि जुलाई में उनका विधान परिषद का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है. वैसे तो मंत्री पद से नैतिकता के आधार पर पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन जुलाई में उन्हें हर हाल में इस्तीफा देना पड़ेगा.

निषाद आरक्षण का दांव फेल: रवि उपाध्याय का यह भी कहना है कि मुकेश सहनी जिस निषाद आरक्षण को लेकर अपना अभियान चला रहे हैं, उसका भी कोई असर न तो यूपी में दिखा और बिहार में तो पहले से नहीं दिख रहा है, क्योंकि खुद अपनी सीट विधानसभा चुनाव में नहीं बचा पाए थे.

बोचहां की जीत होगी संजीवनी: वे कहते हैं कि महागठबंधन से यह कह कर सहनी निकले थे कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उनके पीठ में छुरा घोंपा है. ऐसे में आरजेडी मुकेश सहनी पर फिर से विश्वास करेगी, इसकी संभावना कम है और अभी बोचहां सीट पर मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को पार्टी में शामिल कराकर उम्मीदवार भी बना दिया. यह साफ संकेत है. रवि उपाध्याय का साफ कहना है कि मुकेश सहनी के लिए अब बोचहां सीट ही बिहार की राजनीति में उनको जिंदा रख सकती है.

यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.

तेजस्वी यादव को बताया छोटा भाई: यूपी चुनाव की तैयारियों में मशगूल मुकेश सहनी ने बीच-बीच में अपने बयानों से कई बार बीजेपी और एनडीए सरकार को असहज स्थिति में ला दिया. खासकर जब एक तरफ बीजेपी और जेडीयू में तल्खी बढ़ रही थी और दूसरी तरफ आरजेडी अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रही थी, उस दौरान सहनी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को छोटा भाई बता दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर खिचड़ी पकेगी तो सभी लोग खाएंगे. खेला होगा तो खेलेंगे. उनके इस बयान के बाद तो बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलकर सहनी पर हमले तेज कर दिए.

7 सीटों पर वीआईपी उम्मीदवार: हालांकि 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले मुकेश सहनी ने मात्र सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वीआईपी की सूची के मुताबिक समस्तीपुर से आदर्श कुमार, बेगूसराय से जयराम सहनी, सहरसा से चंदन कुमार, सारण से बालमुकुंद चौहान, रोहतास से गोबिंद बिंद, पूर्णिया से श्यामा नंद सिंह और दरभंगा से बैद्यनाथ सहनी को अपना उम्मीदवार बनाया गया है.

बीजेपी नेताओं ने मांगा इस्तीफा: यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मिली बंपर जीत से उत्साहित बिहार बीजेपी के नेताओं ने रिजल्ट आते ही मुकेश सहनी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए. विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री भी हैं. लिहाजा नैतिकता के आधार पर उनको इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहनी को बर्खास्त करने तक की मांग कर दी. ऐसा बोलने वाले बीजेपी के एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों नेता हैं.

मुकेश सहनी का बीजेपी पर पलटवार: अपने ऊपर हो रहे लगातार जुबानी हमलों के बीच मुकेश सहनी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर हिम्मत है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर दिखाए, क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने उत्तर प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ी है. सहनी ने आगे कहा कि उन्हें कमजोर समझकर इस्तीफा मांगा जाता है लेकिन हमारी पार्टी ने बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और हमने अपने 4 विधायकों का समर्थन लिखकर राज्यपाल को दिया था.

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बिहार चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी वीआईपी: दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नाटकीय घटनाक्रम के तहत महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में छोड़कर मुकेश सहनी बीजेपी के साथ चले गए थे. तब बीजेपी ने अपने कोटे से उनको को 11 सीटें दी थी. जिनमें ब्रह्मपुर, बोचहां, गौरा बोराम, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, मधुबनी, केवटी, साहेबगंज, बलरामपुर, अली नगर और बनियापुर में वीआईपी ने चुनाव लड़ा था. खुद मुकेश सहनी सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर से उम्मीदवार थे. 4 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि वो अपनी सीट नहीं बचा पाए थे, इसके बावजूद बीजेपी ने विधान परिषद के रास्ते उनको नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनवाया. उनके एमएलसी का कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा. बीजेपी के रुख से लगता नहीं कि उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजा जाएगा.

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