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मझधार में मांझी! JDU से अब तक नहीं बनी बात, NDA में सस्पेंस बरकरार

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Published : Aug 22, 2020, 8:50 AM IST

Updated : Aug 22, 2020, 2:28 PM IST

जीतन राम मांझी एनडीए में शामिल होंगे या नहीं इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है, क्योंकि फैसला नीतीश कुमार को लेना है और नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपनी पार्टी जदयू में मर्ज करने की सलाह दी है.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो

पटनाः पूर्व सीएम जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग हो चुके हैं. लेकिन एनडीए के साथ अभी तक बात नहीं बनी है. जीतन राम मांझी के एनडीए में शामिल होने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. नीतीश कुमार ने हम पार्टी को जदयू में मर्ज करने की सलाह दी है. लेकिन मांझी इसके लिए तैयार नहीं हैं.

जदयू में भी मांझी को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. ऐसे में महागठबंधन से निकलने के बाद मांझी की नैया मंझधार में फंसती नजर आ रही है.

नेताओं के साथ हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी
नेताओं के साथ हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी

हम को जदयू में मर्ज करने की सलाह
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ नहीं होंगे यह तो तय हो चुका है. लेकिन एनडीए में शामिल होंगे इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. क्योंकि फैसला नीतीश कुमार को लेना है और नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपनी पार्टी जदयू में मर्ज करने की सलाह दी है. लेकिन जीतन राम मांझी अपना अलग अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं. इसके कारण अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मांझी की एनडीए से बंधी है उम्मीद
लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि जीतन राम मांझी चाहते हैं एनडीए से गठबंधन हो जाए. मांझी एनडीए के भरोसे ही अपनी नैया पार कराना चाहते हैं. हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है महागठबंधन छोड़ने के बाद कई ऑप्शन है. ऐसे मांझी को लेकर जदयू और बीजेपी के नेता पहले ही एनडीए में आने पर स्वागत करने की बात करते रहे हैं. लेकिन फिलहाल जदयू ने चुप्पी साध रखी है. तो वहीं बीजेपी के नेताओं का कहना है कि ये तो शीर्ष नेताओं को ही पता है कि क्या करना है.

राजीव रंजन सिंह, बीजेपी नेता
राजीव रंजन सिंह, बीजेपी नेता

मांझी से धोखा खा चुके नीतीश बरत रहे एहतियात
2014 में जब लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार बुरी तरह पराजित हो गए थे और केवल 2 सीट जीत पाए थे, उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना कर सब कुछ सौंप दिया था. लेकिन मांझी ने विद्रोह कर अलग पार्टी बना ली और 2015 में विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ लड़ा. लेकिन केवल अपनी एक सीट ही बचा पाए. बाद में एनडीए से निकलकर महागठबंधन खेमे में चले गए. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. हालांकि अपने बेटे संतोष मांझी को जरूर विधान परिषद भेजने में कामयाब रहे.

ये भी पढ़ेंः दलित सियासत: JDU के 4 दलित मंत्रियों ने संभाला मोर्चा, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर RJD को देंगे जवाब

कोऑर्डिनेशन कमिटी को लेकर छोड़ा महागठबंधन
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मांझी महागठबंधन में लगातार कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग करते रहे. विधानसभा चुनाव 2020 से पहले तो उन्होंने आरजेडी को अल्टीमेटम तक दे दिया. लेकिन आरजेडी ने उनकी मांग को अनसुनी कर दिया. अब मांझी इसे बहाना बनाकर महागठबंधन से अलग गए हैं. अब एक बार फिर से मांझी को एनडीए से ही कोई उम्मीद बची है.

वहीं, हम पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि बात अभी बहुत आगे नहीं बढ़ी है. लेकिन तय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बातचीत के बाद ही कोई रास्ता निकलेगा. चिराग पासवान के कारण मांझी नीतीश की जरूरत भी हैं. लेकिन नीतीश कुमार मांझी से धोखा खा चुके हैं और इसलिए इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं.

पटनाः पूर्व सीएम जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग हो चुके हैं. लेकिन एनडीए के साथ अभी तक बात नहीं बनी है. जीतन राम मांझी के एनडीए में शामिल होने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. नीतीश कुमार ने हम पार्टी को जदयू में मर्ज करने की सलाह दी है. लेकिन मांझी इसके लिए तैयार नहीं हैं.

जदयू में भी मांझी को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. ऐसे में महागठबंधन से निकलने के बाद मांझी की नैया मंझधार में फंसती नजर आ रही है.

नेताओं के साथ हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी
नेताओं के साथ हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी

हम को जदयू में मर्ज करने की सलाह
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ नहीं होंगे यह तो तय हो चुका है. लेकिन एनडीए में शामिल होंगे इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. क्योंकि फैसला नीतीश कुमार को लेना है और नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपनी पार्टी जदयू में मर्ज करने की सलाह दी है. लेकिन जीतन राम मांझी अपना अलग अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं. इसके कारण अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मांझी की एनडीए से बंधी है उम्मीद
लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि जीतन राम मांझी चाहते हैं एनडीए से गठबंधन हो जाए. मांझी एनडीए के भरोसे ही अपनी नैया पार कराना चाहते हैं. हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है महागठबंधन छोड़ने के बाद कई ऑप्शन है. ऐसे मांझी को लेकर जदयू और बीजेपी के नेता पहले ही एनडीए में आने पर स्वागत करने की बात करते रहे हैं. लेकिन फिलहाल जदयू ने चुप्पी साध रखी है. तो वहीं बीजेपी के नेताओं का कहना है कि ये तो शीर्ष नेताओं को ही पता है कि क्या करना है.

राजीव रंजन सिंह, बीजेपी नेता
राजीव रंजन सिंह, बीजेपी नेता

मांझी से धोखा खा चुके नीतीश बरत रहे एहतियात
2014 में जब लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार बुरी तरह पराजित हो गए थे और केवल 2 सीट जीत पाए थे, उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना कर सब कुछ सौंप दिया था. लेकिन मांझी ने विद्रोह कर अलग पार्टी बना ली और 2015 में विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ लड़ा. लेकिन केवल अपनी एक सीट ही बचा पाए. बाद में एनडीए से निकलकर महागठबंधन खेमे में चले गए. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. हालांकि अपने बेटे संतोष मांझी को जरूर विधान परिषद भेजने में कामयाब रहे.

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कोऑर्डिनेशन कमिटी को लेकर छोड़ा महागठबंधन
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मांझी महागठबंधन में लगातार कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग करते रहे. विधानसभा चुनाव 2020 से पहले तो उन्होंने आरजेडी को अल्टीमेटम तक दे दिया. लेकिन आरजेडी ने उनकी मांग को अनसुनी कर दिया. अब मांझी इसे बहाना बनाकर महागठबंधन से अलग गए हैं. अब एक बार फिर से मांझी को एनडीए से ही कोई उम्मीद बची है.

वहीं, हम पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि बात अभी बहुत आगे नहीं बढ़ी है. लेकिन तय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बातचीत के बाद ही कोई रास्ता निकलेगा. चिराग पासवान के कारण मांझी नीतीश की जरूरत भी हैं. लेकिन नीतीश कुमार मांझी से धोखा खा चुके हैं और इसलिए इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं.

Last Updated : Aug 22, 2020, 2:28 PM IST
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