पटना: स्वामी सहजानंद सरस्वती के 132वें जयंती समारोह के अवसर पर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थान द्वारा स्वामी सहजानंद सरस्वती व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया.
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कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी और पूर्व राजनीतिक सलाहकार अमेरिकी दूतावास कैलाश चंद्र झा ने किया. इसके बाद स्वामी सहजानंद सरस्वती पर आधारित एक पुस्तक का लोकार्पण किया गया. सुशील मोदी ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती के 132वें जयंती पर हम उन्हें नमन करते हैं. स्वामी सहजानंद सरस्वती काफी सरल और सहज किस्म के इंसान थे. वे किसानों के नेता थे. किसानों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ते थे, जिससे किसानों को लाभ मिले. स्वामी सहजानंद सरस्वती लंबे समय तक किसानों की लड़ाई लड़े और जेल भी गए. वह महात्मा गांधी के नजदीक भी गए और कांग्रेस के नजदीक भी गए, लेकिन अधिक समय तक वहां टिक नहीं पाए. उनकी अपनी स्वतंत्र विचारधारा थी. उनके पास इतनी जानकारी थी कि उनसे विदेश के लोगों ने भी सीख ली है.
सुशील मोदी ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती ऐसे व्यक्ति थे जो अपने जमाने में दर्जनों पुस्तक लिखा करते थे. उनकी एक पुस्तक 1000 पन्ने की होती थी. स्वामी सहजानंद सरस्वती ने हजारों पुस्तकें लिखी हैं. स्वामी सहजानंद सरस्वती कितने महान थे यह सोचने वाली बात है. उनकी मृत्यु के 8 साल बाद अमेरिका के वर्जिनिया विश्वविद्यालय के एक इतिहास का प्राध्यापक बिहार आता है और उनके बचे दस्तावेज और पत्र को अपने साथ ले जाता है उन पर अध्ययन करने के लिए. हाउजर 1958 में सभी चीज लेकर गए और उनपर अध्ययन किया और आज वह पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ. अब वह दस्तावेज जो वर्जिनियां चला गया था हाल के दिनों में बिहार को फिर से सौंपा गया है. यह हमारे लिए काफी बड़ी बात है. हमें उनसे सीखने की जरूरत है.