पटना: सुशांत सिंह राजपूत मामले में परिवार की तरफ से 9 पन्नों की चिट्ठी जारी की गई है, जिसमें परिवार ने अपना दर्द बयां किया है. परिवार का आरोप है कि उन्हें सबक सिखाए जाने की धमकियां मिल रही हैं. इतना ही नहीं एक-एक करके एक्टर के परिवार के सदस्यों पर कीचड़ उछाला जा रहा है.
परिवार की ओर से जारी 9 पेज की चिट्ठी की शुरुआत फिराक जलालपुरी के शेर से की गई है. चिट्ठी में लिखा- 'तू इधर-उधर की ना बात कर ये बता कि काफिला क्यूं लुटा, मुझे रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है.'
सुशांत के परिवार की चिट्ठी
चिट्ठी में परिवार ने आगे लिखा, कुछ साल पहले की ही बात है. ना कोई सुशांत को जानता था, ना उसके परिवार को. आज सुशांत के निधन को लेकर करोड़ों लोग व्यथित हैं और सुशांत के परिवार पर चौतरफा हमला हो रहा है. अखबार पर अपना नाम चमकाने की गरज से कई फर्जी दोस्त-भाई-मामा बन अपनी-अपनी हांक रहे हैं. ऐसे में बताना जरूरी हो गया है कि आखिर 'सुशांत का परिवार' होने का मतलब क्या है?
'...कमाकर खाने वाले लोग थे'
सुशांत के माता-पिता कमाकर खाने वाले लोग थे. उनके हंसते खेलते पांच बच्चे थे. उनकी परवरिश अच्छी हो सके इसलिए नब्बे के दशक में गांव से शहर आ गए. रोटी कमाने और बच्चों को पढ़ाने में जुट गए. एक आम भारतीय माता-पिता की तरह उन्होंने मुश्किलें खुद झेली. अपने बच्चों को किसी बात की कमी नहीं होने दी. हौसले वाले थे तो कभी उनके सपनों पर पहरा नहीं लगाया.
'सुशांत ऐसा था...जिसके लिए सारी माएं मन्नत मांगती हैं'
उन्होंने लिखा, कहते थे कि जो कुछ दो हाथ-पैर का आदमी कर सकता है, तुम भी कर सकते हो. पहली बेटी में जादू था. कोई आया और चुपके से उसे पारियों के देश ले गया. दूसरी राष्ट्रीय टीम के लिए क्रिकेट खेली. तीसरे ने कानून की पढ़ाई की तो चौथे ने फैशन डिजाइन में डिप्लोमा किया. पांचवा सुशांत था. ऐसा, जिसके लिए सारी माएं मन्नत मांगती हैं. पूरी उमर, सुशांत के परिवार ने ना कभी किसी से कुछ लिया, ना कभी किसी का आहत किया. मदद करें...अग्रजों के वारिश हैं, एक अदना हिंदुस्तानी मरे, इन्हें क्यों परवाह हो?'
पिता- 'मदद करें. अग्रजों के वारिश हैं'
पिता ने मदद की अपील करते हुए आगे लिखा, 'मदद करें. अग्रजों के वारिश हैं, एक अदना हिंदुस्तानी मरे, इन्हें क्यों परवाह हो? चार महीने बाद सुशांत के परिवार का डर सही साबित होता है. अंग्रेजों के दूसरे वारिस मिलते हैं. दिव्यचक्षु से देखकर बता देते हैं कि ये तो जी ऐसे हुआ है. व्यावहारिक आदमी हैं. पीड़ित से कुछ मिलना नहीं, सो मुलजिम की तरफ हो लेते हैं.
सुशांत के पिता अपनी बात को खत्म करते हुए आगे लिखते हैं, 'अंग्रेजों के एक और बड़े वारिश तो जालियावाला-फेम जनरल डायर को भी मात दे देते हैं. सुशांत के परिवार को कहते हैं कि तुम्हारा बच्चा पागल था, सुसाइड कर सकता था.'
सुशांत केस: SC ने आदेश सुरक्षित रखा
सुशांत सिंह केस की जांच पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. सभी पक्षों ने इस मामले में दलील पेश की. इसके बाद शीर्ष अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने सभी पक्षों को अपनी दलीलों पर संक्षिप्त नोट जमा करवाने को कहा है.
बिहार सरकार के वकील की दलील
कोर्ट में बिहार सरकार के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि मुंबई पुलिस 25 जून के बाद भी बयान दर्ज करती रही. इकलौती एफआईआर पटना पुलिस ने दर्ज की. ऐसा लगता है कि मुंबई पुलिस पर मामले को ढंकने के लिए दबाव है. जांच के लिए गई बिहार की टीम को जबरन क्वारंटीन कर दिया गया. यह किस तरह का रवैया है?
महाराष्ट्र सरकार ने क्या कहा?
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि देश मे संघीय ढांचा है. क्या शिकायतकर्ता की सुविधा के लिए कहीं भी केस दर्ज कर लिया जाएगा? इस केस में हर कोई वकील और जज बन गया है. कोई कह रहा है आत्महत्या है, कोई हत्या. लेकिन यह तय है कि मामले में आपराधिक मुकदमा प्रक्रिया की हत्या हो रही है.
छह लोगों की CBI की जांच
बता दें कि, मामले की जांच के लिए सीबीआई ने स्पेशल टीम का गठन किया है और इसकी जांच भी शुरू कर दी है. सीबीआई ने छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें रिया, उनके पिता इंद्रजीत, भाई शोविक, मां संध्या, सैमुअल मिरांडा, सुशांत के हाउस मैनेजर और सुशांत की पूर्व बिजनेस मैनेजर श्रुति मोदी के नाम शामिल हैं. सीबीआई ने भी सुप्रीम कोर्ट से रिक्वेस्ट की है कि वह सुशांत सिंह राजपूत केस में उन्हें पक्षकार बनाया जाए.
सुशांत सिंह राजपूत14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने घर में छत से लटके मिले थे. इस मामले की जांच मुंबई पुलिस कर रही थी. इस बीच पिछले महीने की 25 तारीख को सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने पटना में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. इसमें उन्होंने रिया पर धोखाधड़ी और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाए हैं.