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शराबबंदी पर बिहार सरकार को SC की फटकार, कहा- कानून बनाते समय सभी पहलुओं का अध्ययन क्यों नहीं किए..

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Published : Feb 25, 2022, 3:54 PM IST

Updated : Feb 25, 2022, 5:30 PM IST

बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. कहा है कि शराबबंदी कानून बनाते समय सभी पहलुओं का अध्ययन क्यों नहीं किए. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने बिहार सरकार को शराबबंदी कानून पर घेरा था. पढ़ें रिपोर्ट..

शराबबंदी पर बिहार सरकार को SC का फटकार
शराबबंदी पर बिहार सरकार को SC का फटकार

नई दिल्ली/पटनाः बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) से संबंधित मुकदमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल पूछा है. कोर्ट ने पूछा, 'कानून बनाते समय सभी पहलुओं का अध्ययन किए थे या नहीं, जज और कोर्ट की संख्या बढ़ाने को लेकर ठोस कदम उठाए या नहीं.' इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की शराबबंदी कानून (Prohibition Law in Bihar) पर निशाना साधते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया था.

यह भी पढ़ें- शराबबंदी पर बिहार सरकार को 'सुप्रीम' फटकार, कहा- 'कोर्ट सिर्फ इसलिए जमानत ना दे क्योंकि आपने कानून बना दिया'

एनवी रमना ने पहले भी चिंता व्यक्त की थी : इससे पहले भी बिहार सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने तंज कसा था. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने बिहार की शराबबंदी कानून पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून के केसों की बाढ़ आ गयी है. पटना हाईकोर्ट में जमानत की याचिका एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी दिखी.

बिहार सरकार की दलील SC में हुई थी खारिज : एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनवरी में बिहार सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया था कि आरोपी से जब्त की गई शराब की मात्रा को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत जमानत आदेश पारित करने के लिए दिशा निर्देश तैयार किए जाएं. एन वी रमना ने कहा था कि 'आप जानते हैं कि इस कानून (बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016) ने पटना उच्च न्यायालय के कामकाज में कितना प्रभाव डाला है और वहां एक मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग रहा है और सभी अदालतें शराब की जमानत याचिकों से भरी हुई हैं.'

एन वी रमना ने अग्रिम और नियमित मामलों के अनुदान के खिलाफ राज्य सरकार की 40 अपीलों को खारिज कर दिया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मुझे बताया गया है कि पटना हाईकोर्ट के 14-15 न्यायाधीश हर दिन इन जमानत मामलों की सुनवाई कर रहे हैं और कोई अन्य मामला नहीं उठाया जा पा रहा है.

6 साल में 3 लाख से ज्यादा मामले : बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. जानकारी दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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नई दिल्ली/पटनाः बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) से संबंधित मुकदमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल पूछा है. कोर्ट ने पूछा, 'कानून बनाते समय सभी पहलुओं का अध्ययन किए थे या नहीं, जज और कोर्ट की संख्या बढ़ाने को लेकर ठोस कदम उठाए या नहीं.' इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की शराबबंदी कानून (Prohibition Law in Bihar) पर निशाना साधते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया था.

यह भी पढ़ें- शराबबंदी पर बिहार सरकार को 'सुप्रीम' फटकार, कहा- 'कोर्ट सिर्फ इसलिए जमानत ना दे क्योंकि आपने कानून बना दिया'

एनवी रमना ने पहले भी चिंता व्यक्त की थी : इससे पहले भी बिहार सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने तंज कसा था. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने बिहार की शराबबंदी कानून पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून के केसों की बाढ़ आ गयी है. पटना हाईकोर्ट में जमानत की याचिका एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी दिखी.

बिहार सरकार की दलील SC में हुई थी खारिज : एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनवरी में बिहार सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया था कि आरोपी से जब्त की गई शराब की मात्रा को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत जमानत आदेश पारित करने के लिए दिशा निर्देश तैयार किए जाएं. एन वी रमना ने कहा था कि 'आप जानते हैं कि इस कानून (बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016) ने पटना उच्च न्यायालय के कामकाज में कितना प्रभाव डाला है और वहां एक मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग रहा है और सभी अदालतें शराब की जमानत याचिकों से भरी हुई हैं.'

एन वी रमना ने अग्रिम और नियमित मामलों के अनुदान के खिलाफ राज्य सरकार की 40 अपीलों को खारिज कर दिया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मुझे बताया गया है कि पटना हाईकोर्ट के 14-15 न्यायाधीश हर दिन इन जमानत मामलों की सुनवाई कर रहे हैं और कोई अन्य मामला नहीं उठाया जा पा रहा है.

6 साल में 3 लाख से ज्यादा मामले : बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. जानकारी दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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Last Updated : Feb 25, 2022, 5:30 PM IST
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