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कभी नीतीश के लिए की थी घेराबंदी, अब LJP से बगावत कर BJP को हिलाने के लिए 'पांडेय जी' ठोकेंगे ताल

बाहुबली नेता सुनील पांडेय ने लोक जनशक्ति पार्टी से बगावत कर दी है. कयास लगाया जा रहा है कि वह तरारी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. एनडीए के सीट बंटवारे के बाद यह सीट बीजेपी के कोटे में आई है, जिसके बाद लोजपा ने वहां से उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला लिया है. ऐसे में सुनील निर्दलीय प्रत्याशी बनकर इस सीट पर भाजपा से मुकाबला करेंगे.

sunil pandey to contest independently from tarari seat,बाहुबली नेता सुनील पांडेय निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव
सुनील पांडेय
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Published : Oct 7, 2020, 6:21 PM IST

पटनाः कभी बिहार में नीतीश की सरकार बनवाने के लिए घेराबंदी करने वाले बाहुबली नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय ने एलजेपी से बगावत कर दी है. माना जा रहा है कि सुनील पांडेय तरारी विधानसभा सीट से निर्दलीय ताल ठोकेंगे. दरअसल, एनडीए में सीट बंटवारे के बाद यह सीट बीजेपी कोटे में है. ऐसे में माना जा रहा है कि यहां से एलजेपी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी.

बीजेपी के खिलाफ ताल ठोकेंगे

सुनील पांडेय एलजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें तरारी सीट से उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन चुनाव में एलजेपी ने एनडीए से अलग होने के बावजूद भी इनका सियासी समीकरण बिगड़ गया. क्योंकि एनडीए में यह सीट बीजेपी को मिल गया है. वहीं, एलजेपी ने ऐलान किया है कि वह बीजेपी के खिलाफ इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी. यही कारण है कि सुनील पांडेय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अब बीजेपी के खिलाफ यहां से ताल ठोकेंगे.

पहली बार नीतीश के लिए की थी घेराबंदी

गौरतलब है कि साल 2000 में नीतीश कुमार 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे. उस वक्त बिहार में समता पार्टी और बीजेपी का गठबंधन था. साल 2000 फरारी सुनील पांडेय पीरो विधानसभा क्षेत्र पहली बार चुनाव जीत कर विधावसभा पहुंचे थे. कहा जाता है कि उस वक्त सुनील पांडेय ने नीतीश के समर्थन में बाहुबली और निर्दलीय विधायकों को एकजुट किया था. हालांकि नीतीश कुमार इसके बावजूद सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे.

और पढ़ें- बिहार महासमर 2020 : पहलवान बबीता फोगाट BJP प्रत्याशियों के लिए करेंगी प्रचार

कौन हैं सुनील पांडेय

सुनील पांडेय रोहतास जिले के नावाडीह के रहने वाले हैं. अपराध की दुनिया से इन्होंने सियासत में कदम रखा. सुनील पांडेय के नाम पर अपराध की दुनिया की ज्यादातर धाराएं लागू हैं. साल 2003 में पटना से मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ रमेश चंद्रा का अपहरण हो गया था. इस केस में सुनील पांडेय आरोपी थे. हालांकि हाई कोर्ट से सुनील पांडेय बरी हो गए थे.

खौफनाक साजिश से हिल गया था डॉन मुख्तार अंसारी

सुनील पांडये को अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह माना जाता था. कहा जाता था कि इनकी साजिशों से बिहार-झारखंड और यूपी के कई इलाके दहल जाते थे. साल 2015 में भोजपुर के आरा सिविल कोर्ट में बम धमाका हुआ था. इस धमाके में 2 लोगों की मौत हुई थी. इस दौरान कोर्ट से 2 कैदी लंबू शर्मा और अखिलेश उपाध्याय फरार हो गए थे.

हालांकि बाद में पुलिस ने लंबू शर्मा की दिल्ली से गिरफ्तारी कर लिया था. पुलिसिया पूछताछ में लंबू शर्मा ने जो खुलासे किए उससे यूपी का डॉन मुख्तार अंसारी हिल गया था. कहा जाता है कि लंबू ने पुलिस को बताया था कि मुख्तार अंसारी को मारने के लिए बृजेश सिंह ने 6 करोड़ की सुपारी दी थी. लंबू के अनुसार, सुनील पांडेय ने भी मुख्तार को मारने के लिए 50 लाख की सुपारी दी थी.

जेल से पीएचडी

गौरतलब है कि सुनील पांडेय का ज्यादातर वक्त जेल में कटा है. जेल में रहते हुए उन्होंन पीएचडी भी किया. सुनील पांडेय ने भगवान महावीर की अहिंसा पर पीएचडी किया है. इसकी वजह से सुनील पांडेय ने खूब बटोरी थी.

पटनाः कभी बिहार में नीतीश की सरकार बनवाने के लिए घेराबंदी करने वाले बाहुबली नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय ने एलजेपी से बगावत कर दी है. माना जा रहा है कि सुनील पांडेय तरारी विधानसभा सीट से निर्दलीय ताल ठोकेंगे. दरअसल, एनडीए में सीट बंटवारे के बाद यह सीट बीजेपी कोटे में है. ऐसे में माना जा रहा है कि यहां से एलजेपी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी.

बीजेपी के खिलाफ ताल ठोकेंगे

सुनील पांडेय एलजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें तरारी सीट से उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन चुनाव में एलजेपी ने एनडीए से अलग होने के बावजूद भी इनका सियासी समीकरण बिगड़ गया. क्योंकि एनडीए में यह सीट बीजेपी को मिल गया है. वहीं, एलजेपी ने ऐलान किया है कि वह बीजेपी के खिलाफ इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी. यही कारण है कि सुनील पांडेय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अब बीजेपी के खिलाफ यहां से ताल ठोकेंगे.

पहली बार नीतीश के लिए की थी घेराबंदी

गौरतलब है कि साल 2000 में नीतीश कुमार 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे. उस वक्त बिहार में समता पार्टी और बीजेपी का गठबंधन था. साल 2000 फरारी सुनील पांडेय पीरो विधानसभा क्षेत्र पहली बार चुनाव जीत कर विधावसभा पहुंचे थे. कहा जाता है कि उस वक्त सुनील पांडेय ने नीतीश के समर्थन में बाहुबली और निर्दलीय विधायकों को एकजुट किया था. हालांकि नीतीश कुमार इसके बावजूद सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे.

और पढ़ें- बिहार महासमर 2020 : पहलवान बबीता फोगाट BJP प्रत्याशियों के लिए करेंगी प्रचार

कौन हैं सुनील पांडेय

सुनील पांडेय रोहतास जिले के नावाडीह के रहने वाले हैं. अपराध की दुनिया से इन्होंने सियासत में कदम रखा. सुनील पांडेय के नाम पर अपराध की दुनिया की ज्यादातर धाराएं लागू हैं. साल 2003 में पटना से मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ रमेश चंद्रा का अपहरण हो गया था. इस केस में सुनील पांडेय आरोपी थे. हालांकि हाई कोर्ट से सुनील पांडेय बरी हो गए थे.

खौफनाक साजिश से हिल गया था डॉन मुख्तार अंसारी

सुनील पांडये को अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह माना जाता था. कहा जाता था कि इनकी साजिशों से बिहार-झारखंड और यूपी के कई इलाके दहल जाते थे. साल 2015 में भोजपुर के आरा सिविल कोर्ट में बम धमाका हुआ था. इस धमाके में 2 लोगों की मौत हुई थी. इस दौरान कोर्ट से 2 कैदी लंबू शर्मा और अखिलेश उपाध्याय फरार हो गए थे.

हालांकि बाद में पुलिस ने लंबू शर्मा की दिल्ली से गिरफ्तारी कर लिया था. पुलिसिया पूछताछ में लंबू शर्मा ने जो खुलासे किए उससे यूपी का डॉन मुख्तार अंसारी हिल गया था. कहा जाता है कि लंबू ने पुलिस को बताया था कि मुख्तार अंसारी को मारने के लिए बृजेश सिंह ने 6 करोड़ की सुपारी दी थी. लंबू के अनुसार, सुनील पांडेय ने भी मुख्तार को मारने के लिए 50 लाख की सुपारी दी थी.

जेल से पीएचडी

गौरतलब है कि सुनील पांडेय का ज्यादातर वक्त जेल में कटा है. जेल में रहते हुए उन्होंन पीएचडी भी किया. सुनील पांडेय ने भगवान महावीर की अहिंसा पर पीएचडी किया है. इसकी वजह से सुनील पांडेय ने खूब बटोरी थी.

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