पटना : शिक्षा विभाग के मंत्री चंद्रशेखर और एसीएस केके पाठक के बीच जारी तनातनी में अब राष्ट्रीय जनता दल के फायर ब्रांड विधायक सुधाकर सिंह की भी इंट्री हो गई है. सुधाकर सिंह का स्पष्ट कहना है कि कार्यपालिका का प्रधान, मंत्री होता है. अगर कोई अधिकारी बातों को नहीं समझता है तो उसे बर्खास्त कर देना चाहिए. सुधाकर सिंह के इस बयान के बाद तस्वीर और साफ हो गई है कि इस विवाद में राष्ट्रीय जनता दल अपने मंत्री के साथ खड़ा है.
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''सरकार को मनबढ अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसे लोगों को नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए. यह कानून कहता है. अगर बिहार में यह कानून नहीं लागू हो रहा है तो इसे अराजकता ही कहा जाएगा. लंबे वक्त से बिहार अफसरशाही से पीड़ित है. मंत्री परिषद और मंत्री के फैसले को अगर अधिकारी चुनौती दे तो ऐसे अधिकारियों को दंडित ही नहीं बल्कि नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए.''- सुधाकर सिंह, आरजेडी विधायक
'मंत्री के फैसले को अंतिम माना जायेगा' : शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से रूबरू होते हुए सुधाकर सिंह ने एक के बाद एक कई बातों को रखा. सुधाकर सिंह ने कहा कि मंत्री चंद्रशेखर ने जिन सवालों को खड़ा किया है, उससे मैं सहमत हूं. इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है. जो कहा है उसे व्यक्तिगत तौर पर मैं सौ प्रतिशत सहमत हूं. सरकार चलाने का दायित्व कैबिनेट, मंत्रियों को है. किसी भी मामले में अगर सहमत नहीं है तो मंत्री के फैसले को अंतिम माना जायेगा. लोगों को इसका समर्थन भी करना चाहिए.
'कहीं न कहीं संकट है' : एक अन्य सवाल के जवाब में सुधाकर सिंह ने कहा कि कहीं न कहीं संकट है, इसे सुलझाने का दायित्व सभी लोगों को है. सभी लोगों को मिल करके इसे सुलझा लेना चाहिए नहीं तो ऐसे संकट आगे भी पैदा होते रहेंगे. सुधाकर सिंह ने यह भी कहा कि केवल चंद्रशेखर ही नहीं बल्कि इससे पहले कई मंत्रियों ने कई अवसरों पर अधिकारियों को लेकर बयान दिया है. सब रिकॉर्ड में है.