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पटनाः IGIMS में पहली बार हुई टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट अंकेलोसिस की सर्जरी, सफल रहा ऑपरेशन - पटना की खबर

आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि जमुई की रहने वाली 8 साल की काजल पिछले 6 सालों से अपना मुंह नहीं खोल पा रही थी. क्योंकि 2 वर्ष की आयु में ही चोट लगने की वजह से उसको टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट अंकेलोसिस (जबड़े का ज्वाइंट का ब्रेन के स्कल बोन से जुड जाना) हो गया था.

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Published : Dec 10, 2020, 10:36 PM IST

पटनाः आईजीआईएमएस में गुरुवार को आयुष्मान भारत स्कीम के तहत पहली बार टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट अंकेलोसिस (जबड़े का ज्वाइंट का ब्रेन के स्कल बोन से जुड़ जाना) की सर्जरी हुई.

संस्थान के मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि जमुई की रहने वाली 8 साल की काजल पिछले 6 सालों से अपना मुंह नहीं खोल पा रही थी. क्यूंकि 2 वर्ष की आयु में ही चोट लगने की वजह से उसको टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट अंकेलोसिस हो गया था.

6 साल से नहीं खा रही था खाना
मुंह नहीं खुलने की वजह से वह पिछले 6 सालों से कुछ खा नहीं पा रही थी और सिर्फ तरल पदार्थों का ही सेवन कर रही थी. आईजीआईएमएस के दंत विभाग के मैग्जिलोफेशियल युनिट से डॉ प्रियंकर सिंह और डॉ जावेद इकबाल ने उस बच्ची का इंटर पोजिशनल गैप अर्थोप्लासटी कर सफल ऑपरेशन किया.

सबसे बड़ी चुनौति थी बच्ची को एनेस्थेसिया देने की, जिसमें ट्रामा इमरजेन्सी विभाग के निश्चेतना युनिट से डॉ राज, डॉ सौरभ, डॉ गणेश और डॉ आनन्द ने फाइबर ऑप्टिक इनटयूबेशन कर सफल एनेस्थेसिया दिया. संस्थान के निदेशक डॉ एनआर विशवास और दंत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके शर्मा ने इस सफल ऑपरेशन की सराहना की और समस्त टीम को और बच्ची के परिजनों को बधाई दी.

पटनाः आईजीआईएमएस में गुरुवार को आयुष्मान भारत स्कीम के तहत पहली बार टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट अंकेलोसिस (जबड़े का ज्वाइंट का ब्रेन के स्कल बोन से जुड़ जाना) की सर्जरी हुई.

संस्थान के मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि जमुई की रहने वाली 8 साल की काजल पिछले 6 सालों से अपना मुंह नहीं खोल पा रही थी. क्यूंकि 2 वर्ष की आयु में ही चोट लगने की वजह से उसको टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट अंकेलोसिस हो गया था.

6 साल से नहीं खा रही था खाना
मुंह नहीं खुलने की वजह से वह पिछले 6 सालों से कुछ खा नहीं पा रही थी और सिर्फ तरल पदार्थों का ही सेवन कर रही थी. आईजीआईएमएस के दंत विभाग के मैग्जिलोफेशियल युनिट से डॉ प्रियंकर सिंह और डॉ जावेद इकबाल ने उस बच्ची का इंटर पोजिशनल गैप अर्थोप्लासटी कर सफल ऑपरेशन किया.

सबसे बड़ी चुनौति थी बच्ची को एनेस्थेसिया देने की, जिसमें ट्रामा इमरजेन्सी विभाग के निश्चेतना युनिट से डॉ राज, डॉ सौरभ, डॉ गणेश और डॉ आनन्द ने फाइबर ऑप्टिक इनटयूबेशन कर सफल एनेस्थेसिया दिया. संस्थान के निदेशक डॉ एनआर विशवास और दंत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके शर्मा ने इस सफल ऑपरेशन की सराहना की और समस्त टीम को और बच्ची के परिजनों को बधाई दी.

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