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पटना एयरपोर्ट पर अपनों को देख रोने लगी छात्रा, कहा- 'यूक्रेन में इंडियन एंबेसी ने नहीं की कोई मदद' - etv bihar

पटना एयरपोर्ट पर यूक्रेन से छात्र और वहां रह रहे लोगों का आने का सिलसिला जारी है. शुक्रवार को भी एयरपोर्ट पर पहुंचे छात्रों ने वहां के हालात को बताया. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना एयरपोर्ट पर लौटी छात्रा
पटना एयरपोर्ट पर लौटी छात्रा
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Published : Mar 4, 2022, 10:53 PM IST

पटनाः भारत सरकार का ऑपरेशन गंगा (Indian Government Operation Ganga) के तहत युद्ध में फंसे छात्रों को यूक्रेन (Russia Ukraine War) से लगातार वापस लाया जा रहा है. अब तक हजारों छात्र वतन वापसी कर चुके हैं. पटना एयरपोर्ट पर शुक्रवार को मोतिहारी की रहने वाली वैष्णवी भी पहुंची. उसे लेने पटना एयरपोर्ट पर उनके परिजन पहुंचे थे. वैष्णवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास छात्रों की मदद नहीं कर पा रही है. इतना कहते ही वह रोने लगी. कहा कि पोलैंड तक आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

इसे भी पढ़ें- जिंदगी की जंग : जानें बार्डर पर वे कौन हैं जो भूखों को दे रहे हैं जिंदगी

वैष्णवी कुमारी ने बताया कि हम जिस अपार्टमेंट में रह रहे थे, वहां पर किसी तरह बंकर में रहकर हम लोगों ने 2 दिन गुजारा. उसके बाद जैसे-तैसे पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे. वहां के हालात और खराब हैं. यह कहते-कहते वैष्णवी रोने लगी. कमोबेश वैसे ही हालात चांदनी कुमारी के भी थे. पटना की रहने वाली चांदनी के पति वहां पर प्राइवेट जॉब करते हैं. पूरे बच्चों के साथ वह यूक्रेन के कीव में ही रहते थे. उन्होंने कहा कि कीव का हाल बद से बदतर है. किसी तरह हम लोग वहां से जान बचाकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे. उसके बाद ही भारतीय दूतावास का सहयोग मिला. हमारे बच्चे काफी डरे सहमे थे. रात रात भर हम लोग सो नहीं पाते थे.

पटना की ही रहने वाली पूजा कुमारी भी कीव में ही रहती है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के अंदर कहीं भी कोई भारतीय दूतावास का सहयोग नहीं मिल रहा है. हालात ऐसे हैं कि हम लोगों ने 16 लड़कियों का एक ग्रुप बनाया और उसके बाद हिम्मत करके हम लोग आगे बढ़े. वहां तो हालात ऐसे हैं कि छात्र-छात्राएं इस ठंड में 60 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पर आ रहे हैं. वहां पर 2 से 3 दिन तक उन्हें बॉर्डर पार करने में समय लगता है. बॉर्डर पार करने के बाद ही भारत सरकार के द्वारा सहायता की जा रही है.

यूक्रेन के अंदर कीव और खारकीव की हालत ऐसी है कि लोगों के ऊपर लगातार मिसाइल गिरने का डर सता रहा है. भारतीय दूतावास से सिर्फ और सिर्फ फरमान जारी होता है कि दूसरी जगह चले जाएं. पूजा ने कहा कि जैसे तैसे हम लोग उस जगह को छोड़कर भागे हैं. किसी तरह पोलैंड पहुंचे, तब जाकर हम लोगों की जान बची है.

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पटनाः भारत सरकार का ऑपरेशन गंगा (Indian Government Operation Ganga) के तहत युद्ध में फंसे छात्रों को यूक्रेन (Russia Ukraine War) से लगातार वापस लाया जा रहा है. अब तक हजारों छात्र वतन वापसी कर चुके हैं. पटना एयरपोर्ट पर शुक्रवार को मोतिहारी की रहने वाली वैष्णवी भी पहुंची. उसे लेने पटना एयरपोर्ट पर उनके परिजन पहुंचे थे. वैष्णवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास छात्रों की मदद नहीं कर पा रही है. इतना कहते ही वह रोने लगी. कहा कि पोलैंड तक आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

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वैष्णवी कुमारी ने बताया कि हम जिस अपार्टमेंट में रह रहे थे, वहां पर किसी तरह बंकर में रहकर हम लोगों ने 2 दिन गुजारा. उसके बाद जैसे-तैसे पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे. वहां के हालात और खराब हैं. यह कहते-कहते वैष्णवी रोने लगी. कमोबेश वैसे ही हालात चांदनी कुमारी के भी थे. पटना की रहने वाली चांदनी के पति वहां पर प्राइवेट जॉब करते हैं. पूरे बच्चों के साथ वह यूक्रेन के कीव में ही रहते थे. उन्होंने कहा कि कीव का हाल बद से बदतर है. किसी तरह हम लोग वहां से जान बचाकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे. उसके बाद ही भारतीय दूतावास का सहयोग मिला. हमारे बच्चे काफी डरे सहमे थे. रात रात भर हम लोग सो नहीं पाते थे.

पटना की ही रहने वाली पूजा कुमारी भी कीव में ही रहती है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के अंदर कहीं भी कोई भारतीय दूतावास का सहयोग नहीं मिल रहा है. हालात ऐसे हैं कि हम लोगों ने 16 लड़कियों का एक ग्रुप बनाया और उसके बाद हिम्मत करके हम लोग आगे बढ़े. वहां तो हालात ऐसे हैं कि छात्र-छात्राएं इस ठंड में 60 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पर आ रहे हैं. वहां पर 2 से 3 दिन तक उन्हें बॉर्डर पार करने में समय लगता है. बॉर्डर पार करने के बाद ही भारत सरकार के द्वारा सहायता की जा रही है.

यूक्रेन के अंदर कीव और खारकीव की हालत ऐसी है कि लोगों के ऊपर लगातार मिसाइल गिरने का डर सता रहा है. भारतीय दूतावास से सिर्फ और सिर्फ फरमान जारी होता है कि दूसरी जगह चले जाएं. पूजा ने कहा कि जैसे तैसे हम लोग उस जगह को छोड़कर भागे हैं. किसी तरह पोलैंड पहुंचे, तब जाकर हम लोगों की जान बची है.

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