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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर मगध महिला की छात्राओं ने दिया पोस्टर के जरिए संदेश

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Published : Sep 11, 2019, 3:14 PM IST

मगध महिला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह का कहना था कि सरकारी स्कूलों में मेंटल हेल्थ लिटरेसी कार्यक्रम होते रहना चाहिए, शिक्षक प्रशिक्षित हो और मॉडल्स प्रभावी होकर 16 साल से कम उम्र के बच्चों को तनाव के प्रति जागरूक करना चाहिए.

मगध महिला कॉलेज

पटनाः विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को लेकर राजधानी पटना के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. पटना विश्वविद्यालय और मगध महिला कॉलेज में छात्राओं ने पोस्टर के जरिए आत्महत्या की रोकथाम के लिए संदेश दिया. पोस्टर में सुसाइड के कारण, रोकथाम और उसके प्रति जागरूकता का संदेश दिया गया.

patna
पोस्टर देखती प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह व अन्य

सभी को मिलकर करना होगा काम
गौरतलब है कि दस सितंबर को विश्व सुसाइड रोकथाम दिवस मनाया जाता है. इसकी थीम है वर्किंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड. यानी आत्महत्या रोकने के लिए सभों को मिलकर काम करने की जरूरत है, वरना लगातार बढ़ते आंकड़ों को हम देखते ही रह जाएंगे. यह काम एक आदमी या सरकार नहीं कर सकती, सभी को मिलकर काम करना होगा, जब हम मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना शुरू कर देंगे तो समस्याएं काफी कम हो जाएंगी. घर में स्वस्थ माहौल होना चाहिए. मानसिक रूप से परेशान लोगों की समस्याएं दूर होनी चाहिए.

patna
मगध महिला में छात्राओं के साथ प्रिंसिपल

बच्चों को स्कूल लेवल पर दी जाए ट्रेनिंग
इस मौके पर मगध महिला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह का कहना था कि सरकारी स्कूलों में मेंटल हेल्थ लिटरेसी कार्यक्रम होते रहना चाहिए, शिक्षक प्रशिक्षित हो और मॉडल्स प्रभावी होकर 16 साल से कम उम्र के बच्चों को तनाव के प्रति जागरूक करना चाहिए, बच्चों को स्कूल लेवल पर ही ट्रेनिंग मिलनी चाहिए ताकि वह विपरीत परिस्थितियों में सामना कर सकें. बच्चों को सशक्त बनाना होगा, हमें बच्चों को सिखाना होगा कि अगर वे परेशान हैं तो, अपनी जिंदगी ही नहीं दे देना है, कभी-कभी बच्चों पर प्रेशर बहुत होता है, उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़े, बल्कि परिवार के लोग खुशनुमा माहौल बनाएं.

मगध महिला में छात्राएं और पोस्टर को देखती प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह व अन्य

हर 40 सेकेंड में होती है आत्महत्या
बता दें कि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है, हर मृत्यु परिवार और दोस्तों के लिए एक ट्रेजडी होती है, आत्महत्या रोकी जा सकती है, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में आत्महत्या रोकथाम व नीतियों पर कई कार्यक्रम हो रहे हैं. उम्र आधारित आत्महत्या की दरों पर नजर डालें तो साल 2016 में दुनिया भर में प्रति एक लाख में 10.5 लोगों ने खुदकुशी कर ली थी, हालांकि विभिन्न देशों के बीच दरों का अंतर 5 व्यक्तियों से 30 व्यक्ति प्रति एक लाख तक है.

पटनाः विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को लेकर राजधानी पटना के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. पटना विश्वविद्यालय और मगध महिला कॉलेज में छात्राओं ने पोस्टर के जरिए आत्महत्या की रोकथाम के लिए संदेश दिया. पोस्टर में सुसाइड के कारण, रोकथाम और उसके प्रति जागरूकता का संदेश दिया गया.

patna
पोस्टर देखती प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह व अन्य

सभी को मिलकर करना होगा काम
गौरतलब है कि दस सितंबर को विश्व सुसाइड रोकथाम दिवस मनाया जाता है. इसकी थीम है वर्किंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड. यानी आत्महत्या रोकने के लिए सभों को मिलकर काम करने की जरूरत है, वरना लगातार बढ़ते आंकड़ों को हम देखते ही रह जाएंगे. यह काम एक आदमी या सरकार नहीं कर सकती, सभी को मिलकर काम करना होगा, जब हम मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना शुरू कर देंगे तो समस्याएं काफी कम हो जाएंगी. घर में स्वस्थ माहौल होना चाहिए. मानसिक रूप से परेशान लोगों की समस्याएं दूर होनी चाहिए.

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मगध महिला में छात्राओं के साथ प्रिंसिपल

बच्चों को स्कूल लेवल पर दी जाए ट्रेनिंग
इस मौके पर मगध महिला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह का कहना था कि सरकारी स्कूलों में मेंटल हेल्थ लिटरेसी कार्यक्रम होते रहना चाहिए, शिक्षक प्रशिक्षित हो और मॉडल्स प्रभावी होकर 16 साल से कम उम्र के बच्चों को तनाव के प्रति जागरूक करना चाहिए, बच्चों को स्कूल लेवल पर ही ट्रेनिंग मिलनी चाहिए ताकि वह विपरीत परिस्थितियों में सामना कर सकें. बच्चों को सशक्त बनाना होगा, हमें बच्चों को सिखाना होगा कि अगर वे परेशान हैं तो, अपनी जिंदगी ही नहीं दे देना है, कभी-कभी बच्चों पर प्रेशर बहुत होता है, उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़े, बल्कि परिवार के लोग खुशनुमा माहौल बनाएं.

मगध महिला में छात्राएं और पोस्टर को देखती प्रिंसिपल डॉ शशि सिंह व अन्य

हर 40 सेकेंड में होती है आत्महत्या
बता दें कि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है, हर मृत्यु परिवार और दोस्तों के लिए एक ट्रेजडी होती है, आत्महत्या रोकी जा सकती है, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में आत्महत्या रोकथाम व नीतियों पर कई कार्यक्रम हो रहे हैं. उम्र आधारित आत्महत्या की दरों पर नजर डालें तो साल 2016 में दुनिया भर में प्रति एक लाख में 10.5 लोगों ने खुदकुशी कर ली थी, हालांकि विभिन्न देशों के बीच दरों का अंतर 5 व्यक्तियों से 30 व्यक्ति प्रति एक लाख तक है.

Intro:विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को लेकर राजधानी पटना के मगध महिला कॉलेज में छात्राओं ने पोस्टर के जरिए दिए कई संदेश


Body:विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को लेकर राजधानी पटना के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, वहीं पटना विश्वविद्यालय एवं मगध महिला कॉलेज में आज छात्राओं ने पोस्टर के जरिए कहीं संदेश देते नजर आ रहे हैं पोस्टर में सुसाइड के कारण उस पर रोकथाम एवं उसके प्रति जागरूकता के संदेश दे रहे हैं

गौरतलब है की दस सितबर यानी विश्व सुशाइड रोकथाम दिवस है, और इसकी थीम है वर्किंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड
आत्महत्या रोकने के लिए सबों को मिलकर काम करने की जरूरत है, अन्यथा लगातार बढ़ते आंकड़ों को हम देखते ही रह जाएंगे, यह काम एक आदमी या सरकार नहीं कर सकती, सभी को मिलकर काम करना होगा, जब हम मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना शुरू कर देंगे तो समस्याएं काफी कम हो जाएगी जब अवसाद में कमी आएगी तो माता-पिता के साथ रिलेशनशिप, दोस्ती से जुड़े कई पहलू एक साथ हो जाएंगे,,


घर में स्वस्थ माहौल होना चाहिए मानसिक रूप से परेशान लोगों की समस्याएं दूर होनी चाहिए, शिक्षकों की मानें तो सरकारी स्कूलों में मेंटल हेल्थ लिटरेसी कार्यक्रम होते रहना चाहिए, ताकि शिक्षक प्रशिक्षित हो और मॉडल्स प्रभावी होकर 16 साल से कम उम्र के बच्चों को तनाव के प्रति जागरूक करनी चाहिए, बच्चों को स्कूल लेवल पर ही ट्रेनिंग मिली चाहिए ताकि वह विपरीत परिस्थितियों में सामना कर सकें, बच्चों को सशक्त बनाना होगा, हमें बच्चों को सिखाना होगा कि अगर परेशान है तो अपनी जिंदगी ही नहीं दे देना है, कभी-कभी बच्चों पर पीयर प्रेशर भी बहुत हो सकता है, उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़े,बल्की खुशनुमा माहौल बनाये


Conclusion:हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है, हर मृत्यु परिवार दोस्तों और कॉलिंग के लिए एक ट्रेजरी होती है, आत्महत्या रोकी जा सकती हैं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में आत्महत्या रोकथाम व नीतियों को शामिल करने का लेकर कई कार्यक्रम करते नजर आ रहे हैं, गौरतलब है कि उम्र आधारित आत्महत्या की दरों पर नजर डालें तो साल 2016 में दुनिया भर में प्रति एक लाख में 10.5 लोगों ने खुदकुशी कर ली थी, हालांकि विभिन्न देशों के बीच दरों का अंतर 5 व्यक्तियों से 30 व्यक्ति प्रति एक लाख तक है
आत्महत्या करने के सबसे अधिक प्रचलित तरीकों के रूप में फांसी लगाना, जहर खाना या खुद को आग के हवाले कर लेना रहा है, वही आत्महत्याओं की घटनाओं पर काबू पाने वाले कारगर तरीकों के रूप में इन साधनों तक लोगों की पहुंच कम करना आत्महत्याओं से जुड़ी घटनाओं पर कवरेज को लेकर मीडिया को भी एकजुट करना युवाओं के बीच इस तरह के प्रोग्राम चलाना जो उन्हें जीवन में उपजे तनाव से निपटने में मदद करें आत्महत्या के जोखिम को जांच कर जरूरतमंद लोगों के बीच उनकी स्थिति के हिसाब से मदद करना



बाईट:-डॉ शशि सिंह,प्रिंसपल,मगध महिला कॉलेज,

बाईट:-मंजू सिन्हा, एमडी,ब्रेस्ट कैंसर प्रोजेक्ट
बाईट:-डॉ निलिमा,सोशल एक्विस्ट,पटना
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