ETV Bharat / state

Patna College hostels seal: गंगा घाट पर सोने को मजबूर PU के छात्र, स्ट्रीट लाइट में कर रहे पढ़ाई - Patna College

पटना कॉलेज में बीते दिनों हुए छात्रों के बीच मारपीट के बाद कॉलेज प्रशासन ने हॉस्टल को खाली करवा दिया है. घटना के 24 घंटे बाद हॉस्टल को खाली कर सील कर दिया गया है. जिसके बाद से हॉस्टल में रहने वाले छात्र सड़क पर आ गये हैं. अब छात्र मजबुरी में गंगा घाट पर अपना डेरा डाले हुए हैं. उनके पास न ही पैसे हैं और न ही खाना बनाने के साधन. सभी छात्र काफी परेशान हैं. पढ़ें पूरी खबर..

हॉस्टल से निकाले जाने के बाद गंगा घाट पर रहने को मजबूर छात्र
हॉस्टल से निकाले जाने के बाद गंगा घाट पर रहने को मजबूर छात्र
author img

By

Published : Jul 19, 2023, 11:40 AM IST

हॉस्टल से निकाले जाने के बाद गंगा घाट पर रहने को मजबूर छात्र

पटना: 'रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं, अपना तो खुदा है रखवाला…' साल 1991 में बॉलीवुड की फिल्म आई थी 'सड़क', जिसका यह गाना आज पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज के छात्रों के ऊपर चरितार्थ हो रहा है. यूं तो पटना विश्वविद्यालय बिहार का सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है और पटना कॉलेज का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. बड़ा नाम भी है.

ये भी पढ़ें- Patna News: हॉस्टल खाली कराने पर छात्रों का छलका दर्द, बोले- किसी और की गलती की सजा निर्दोष भुगत रहे..

गंगा घाट पर रात काटने को मजबूर छात्र: छोटे-छोटे गांव कस्बों से, दूरदराज इलाके से बच्चे बड़ी उम्मीदों से पटना विश्वविद्यालय में आते हैं और उन्हें उम्मीद रहती है कि यहां से उनका भविष्य सुधर जाएगा. दाखिला लेने में भी मेधा की महत्ता होती है. मेधावी छात्रों को हीं पटना कॉलेज में दाखिला मिल पाता है. दाखिला मिलने के बाद बच्चे बड़े गर्व से कहते हैं कि वह पटना कॉलेज और पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं. लेकिन यही छात्र आज गंगा घाट पर पूरी रात सोने और रहने के लिए मजबूर हैं.

कॉलेज प्रशासन ने खाली कराया छात्रावास: दरअसल, पटना कॉलेज में बीते 13 जुलाई को हुए मारपीट, गोलीबारी और बम बाजी की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनन-फानन में बिना दोषियों को चिन्हित किए ही पटना कॉलेज के सभी हॉस्टल को 24 घंटे के अंदर खाली करने का आदेश दे दिया. 24 घंटा पूरा हुआ जबरन छात्रों को हॉस्टल से बाहर निकालकर हॉस्टल सील कर दिया गया. अब विभिन्न हॉस्टलों के सैकड़ों छात्र पूरी रात विश्वविद्यालय से सटे गंगा की घाटों पर गुजार रहे हैं.

स्ट्रीट लाइट में कर रहे पढ़ाई: छात्र प्लास्टिक और पेपर की व्यवस्था कर उसे घाट की सीढ़ियों पर बिछा रहे हैं और स्ट्रीट लाइट की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. यहीं पूरी रात सो भी रहे हैं और अगले दिन कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिन भर आशियाने की तलाश में समय व्यतीत कर रहे हैं. महीना का मध्य चल रहा है. कहीं भी आसानी से रूम नहीं मिल रहा है. कहीं रूम मिल भी रहा है तो भाड़ा अधिक है.

हॉस्टल में ही बंद है छात्रों का सामान: अधिकांश छात्र ऐसे हैं, जिनका किताब, कॉपी, कपड़ा रुपया इत्यादि तमाम चीजें हॉस्टल के कमरे में सील बंद है और जेब में बचा खुचा रुपया भी खत्म है. छात्र अब मुफलिसी की मार से परेशान हैं. पटना के कृष्णा घाट पर मंगलवार देर रात को खाली कराए गए मिंटो हॉस्टल के छात्रों का एक ग्रुप दिखा. गंगा घाट के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए स्ट्रीट लाइटों के नीचे यह ग्रुप जमीन पर ही प्लास्टिक बिछा कर किताब खोल कर पढ़ाई करते हुए नजर आया.

पढ़ाई डिस्टर्ब होने से छात्र परेशान: ग्रुप के बच्चों ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू हो गई है. दिनभर आशियाने की तलाश के कारण पढ़ाई काफी पीछे छूट रहा है. बड़ी उम्मीद से पटना कॉलेज में पढ़ने आए थे. गर्व था उन्हें पटना कॉलेज में पढ़ते हैं और आज स्थिति ऐसी आ गई है कि खानाबदोश की जिंदगी हो गई है. 2 दिन से कोई नहाया नहीं है. क्योंकि किसी के पास आशियाना नहीं है. अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी है. इसलिए रात में स्ट्रीट लाइट की रोशनी में ही जितनी पढ़ाई संभव हो पा रही है, वह कर रहे हैं.

"करे कोई और भरे कोई. यही व्यवस्था पटना विश्वविद्यालय की बन गई है. 13 तारीख को मारपीट की घटना हुई. जिसमें बाहर के असामाजिक तत्व शामिल थे. उनके हॉस्टल का कोई नहीं था और बिना किसी जांच के 24 घंटे के भीतर जबरन हॉस्टल खाली करा दिया गया. इसके बाद से हम लोग बेघर हो गए हैं. आज लगातार दूसरी रात गंगा घाट पर बिताने के लिए विवश हैं."- ऋषि कुमार, छात्र

"इतना आनन-फानन में हॉस्टल खाली कराया गया कि कुछ समझ में नहीं आया. हम लोग दूर-दराज इलाके से पटना कॉलेज में पढ़ने आए हुए हैं और पटना में अधिक परिचित नहीं हैं. अधिक जान पहचान भी नहीं है. अधिक पटना घूमे भी नहीं हैं. ऐसे में रहने के लिए कमरा ढूंढने में काफी परेशानी हो रही है. इतना जल्दी हमें कोई कमरा दे भी नहीं रहा है."- हरीश कुमार, छात्र

प्रशासन ने हॉस्टल बंद कर किया सील: छात्र राजीव कुमार ने बताया कि कॉलेज से क्लास करके सोमवार को जब हॉस्टल पहुंचे तो जबरन उन लोगों को हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया. कमरे में ताला बंद करके सील लगा दिया गया. ऐसे में अब वह कहां जाएं समझ में भी नहीं आ रहा. घर से जो रुपया आता है, वह हॉस्टल के कमरे में ही है. किताब कॉपी कपड़ा सब कुछ कमरे में बंद है. जेब में कुछ पैसे थे, वह भी लगभग खत्म हो गए हैं. ऐसे में यदि वह कमरा ढूंढ भी लेते हैं तो उसका पैसा कहां से देंगे और कमरे में लेकर क्या जाएंगे.

"सब कुछ हॉस्टल में ही बंद है. मजबूरी है गंगा घाट पर ही समय बिताना पड़ रहा है. हॉस्टल में रहने के कारण बाहरी लड़कों से वैसी दोस्ती भी नहीं है कि कोई अपने घर पर बुला कर रख ले."- राजीव कुमार, छात्र

गरीब छात्रों के लिए बढ़ी मुश्किल: छात्र शिवम कुमार अपनी बातों को बोलते हुए रोने लगे. उनकी आंखें भर आई और शब्द लड़खड़ाने लगे. शिवम ने बताया कि वह 5 भाई बहन है. पिताजी किसान हैं. परिवार में सभी भाई बहनों में सबसे अधिक खर्चा उन्हीं पर होता है. प्रतिमाह उनके पिताजी 2000 रुपये पढ़ाई-लिखाई और रहने के लिए भेजते हैं. अचानक से हॉस्टल खाली कराए जाने के बाद जब बाहर कमरा ढूंढने जा रहे हैं तो 2500 से कम में कॉलेज की आस पास कहीं कमरा नहीं मिल रहा. जबकि 2000 में ही रहना, खाना, पढ़ाई लिखाई उनका सब कुछ हो जाता था.

"हम घर से पैसे भी नहीं मंगा सकते हैं. क्योंकि हाल ही में पैसा आया है और पैसा भी हॉस्टल के कमरे में ही बंद है. 2 दिनों से नहाए नहीं है. 3 दिनों से शरीर पर वहीं कपड़ा है. खानाबदोश की जिंदगी जीने को विवश है, पॉकेट का पैसा भी खत्म हो रहा है. हम काफी परेशान हैं और घर से माताजी का संदेशा आया है कि बहुत हो गया. अब चलो घर आ जाओ. हम ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में है और तीन माह में हमारा ग्रेजुएशन फाइनल हो जाएगा. लेकिन अब हमें डर लग रहा है कि कहीं हमारी पढ़ाई ही ना रुक जाए. क्योंकि आर्थिक रूप से हम कमजोर हैं."- शिवम कुमार, छात्र

पटना कॉलेज के छात्र का गंगा किनारे बसेरा: छात्र अनु कुमार ने बताया कि 2 दिनों से बहुत खराब स्थिति है. हॉस्टल में जाने नहीं दिया जा रहा है. ताला लग गया है. सारा सामान हॉस्टल में ही बंद है. शरीर पर एक ही कपड़ा कई दिनों से है. कॉलेज में पढ़ाई भी गर्मी छुट्टी के बाद फिर से शुरू हो गई है. ऐसे में अभी के समय हम गंगा घाट पर रात बिता रहे हैं, यहीं प्लास्टिक बिछाकर सो जा रहे हैं. थोड़ी बहुत पढ़ाई स्ट्रीट लाइट की रोशनी में ही कर ले रहे हैं और बाथरूम के लिए कॉलेज का बाथरूम या सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं.

"कमरा ढूंढने जा रहे हैं तो लोग शक की नजर से देख रहे हैं कि आखिर इतनी बेचैनी क्यों है कमरा लेने के लिए. कॉलेज प्रबंधन को अगर स्थिति ठीक करनी है तो कैंपस में सुरक्षा का व्यवस्था करें. सीसीटीवी कैमरे का इंस्टॉलेशन करे. हॉस्टल में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद करे. हम लोगों को हॉस्टल से एक झटके में बाहर निकालकर रोड पर ला देना कॉलेज प्रशासन का सरासर गलत फैसला है. जिससे हम लोग काफी परेशान हैं."- अनु कुमार, छात्र

हॉस्टल से निकाले जाने के बाद गंगा घाट पर रहने को मजबूर छात्र

पटना: 'रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं, अपना तो खुदा है रखवाला…' साल 1991 में बॉलीवुड की फिल्म आई थी 'सड़क', जिसका यह गाना आज पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज के छात्रों के ऊपर चरितार्थ हो रहा है. यूं तो पटना विश्वविद्यालय बिहार का सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है और पटना कॉलेज का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. बड़ा नाम भी है.

ये भी पढ़ें- Patna News: हॉस्टल खाली कराने पर छात्रों का छलका दर्द, बोले- किसी और की गलती की सजा निर्दोष भुगत रहे..

गंगा घाट पर रात काटने को मजबूर छात्र: छोटे-छोटे गांव कस्बों से, दूरदराज इलाके से बच्चे बड़ी उम्मीदों से पटना विश्वविद्यालय में आते हैं और उन्हें उम्मीद रहती है कि यहां से उनका भविष्य सुधर जाएगा. दाखिला लेने में भी मेधा की महत्ता होती है. मेधावी छात्रों को हीं पटना कॉलेज में दाखिला मिल पाता है. दाखिला मिलने के बाद बच्चे बड़े गर्व से कहते हैं कि वह पटना कॉलेज और पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं. लेकिन यही छात्र आज गंगा घाट पर पूरी रात सोने और रहने के लिए मजबूर हैं.

कॉलेज प्रशासन ने खाली कराया छात्रावास: दरअसल, पटना कॉलेज में बीते 13 जुलाई को हुए मारपीट, गोलीबारी और बम बाजी की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनन-फानन में बिना दोषियों को चिन्हित किए ही पटना कॉलेज के सभी हॉस्टल को 24 घंटे के अंदर खाली करने का आदेश दे दिया. 24 घंटा पूरा हुआ जबरन छात्रों को हॉस्टल से बाहर निकालकर हॉस्टल सील कर दिया गया. अब विभिन्न हॉस्टलों के सैकड़ों छात्र पूरी रात विश्वविद्यालय से सटे गंगा की घाटों पर गुजार रहे हैं.

स्ट्रीट लाइट में कर रहे पढ़ाई: छात्र प्लास्टिक और पेपर की व्यवस्था कर उसे घाट की सीढ़ियों पर बिछा रहे हैं और स्ट्रीट लाइट की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. यहीं पूरी रात सो भी रहे हैं और अगले दिन कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिन भर आशियाने की तलाश में समय व्यतीत कर रहे हैं. महीना का मध्य चल रहा है. कहीं भी आसानी से रूम नहीं मिल रहा है. कहीं रूम मिल भी रहा है तो भाड़ा अधिक है.

हॉस्टल में ही बंद है छात्रों का सामान: अधिकांश छात्र ऐसे हैं, जिनका किताब, कॉपी, कपड़ा रुपया इत्यादि तमाम चीजें हॉस्टल के कमरे में सील बंद है और जेब में बचा खुचा रुपया भी खत्म है. छात्र अब मुफलिसी की मार से परेशान हैं. पटना के कृष्णा घाट पर मंगलवार देर रात को खाली कराए गए मिंटो हॉस्टल के छात्रों का एक ग्रुप दिखा. गंगा घाट के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए स्ट्रीट लाइटों के नीचे यह ग्रुप जमीन पर ही प्लास्टिक बिछा कर किताब खोल कर पढ़ाई करते हुए नजर आया.

पढ़ाई डिस्टर्ब होने से छात्र परेशान: ग्रुप के बच्चों ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू हो गई है. दिनभर आशियाने की तलाश के कारण पढ़ाई काफी पीछे छूट रहा है. बड़ी उम्मीद से पटना कॉलेज में पढ़ने आए थे. गर्व था उन्हें पटना कॉलेज में पढ़ते हैं और आज स्थिति ऐसी आ गई है कि खानाबदोश की जिंदगी हो गई है. 2 दिन से कोई नहाया नहीं है. क्योंकि किसी के पास आशियाना नहीं है. अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी है. इसलिए रात में स्ट्रीट लाइट की रोशनी में ही जितनी पढ़ाई संभव हो पा रही है, वह कर रहे हैं.

"करे कोई और भरे कोई. यही व्यवस्था पटना विश्वविद्यालय की बन गई है. 13 तारीख को मारपीट की घटना हुई. जिसमें बाहर के असामाजिक तत्व शामिल थे. उनके हॉस्टल का कोई नहीं था और बिना किसी जांच के 24 घंटे के भीतर जबरन हॉस्टल खाली करा दिया गया. इसके बाद से हम लोग बेघर हो गए हैं. आज लगातार दूसरी रात गंगा घाट पर बिताने के लिए विवश हैं."- ऋषि कुमार, छात्र

"इतना आनन-फानन में हॉस्टल खाली कराया गया कि कुछ समझ में नहीं आया. हम लोग दूर-दराज इलाके से पटना कॉलेज में पढ़ने आए हुए हैं और पटना में अधिक परिचित नहीं हैं. अधिक जान पहचान भी नहीं है. अधिक पटना घूमे भी नहीं हैं. ऐसे में रहने के लिए कमरा ढूंढने में काफी परेशानी हो रही है. इतना जल्दी हमें कोई कमरा दे भी नहीं रहा है."- हरीश कुमार, छात्र

प्रशासन ने हॉस्टल बंद कर किया सील: छात्र राजीव कुमार ने बताया कि कॉलेज से क्लास करके सोमवार को जब हॉस्टल पहुंचे तो जबरन उन लोगों को हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया. कमरे में ताला बंद करके सील लगा दिया गया. ऐसे में अब वह कहां जाएं समझ में भी नहीं आ रहा. घर से जो रुपया आता है, वह हॉस्टल के कमरे में ही है. किताब कॉपी कपड़ा सब कुछ कमरे में बंद है. जेब में कुछ पैसे थे, वह भी लगभग खत्म हो गए हैं. ऐसे में यदि वह कमरा ढूंढ भी लेते हैं तो उसका पैसा कहां से देंगे और कमरे में लेकर क्या जाएंगे.

"सब कुछ हॉस्टल में ही बंद है. मजबूरी है गंगा घाट पर ही समय बिताना पड़ रहा है. हॉस्टल में रहने के कारण बाहरी लड़कों से वैसी दोस्ती भी नहीं है कि कोई अपने घर पर बुला कर रख ले."- राजीव कुमार, छात्र

गरीब छात्रों के लिए बढ़ी मुश्किल: छात्र शिवम कुमार अपनी बातों को बोलते हुए रोने लगे. उनकी आंखें भर आई और शब्द लड़खड़ाने लगे. शिवम ने बताया कि वह 5 भाई बहन है. पिताजी किसान हैं. परिवार में सभी भाई बहनों में सबसे अधिक खर्चा उन्हीं पर होता है. प्रतिमाह उनके पिताजी 2000 रुपये पढ़ाई-लिखाई और रहने के लिए भेजते हैं. अचानक से हॉस्टल खाली कराए जाने के बाद जब बाहर कमरा ढूंढने जा रहे हैं तो 2500 से कम में कॉलेज की आस पास कहीं कमरा नहीं मिल रहा. जबकि 2000 में ही रहना, खाना, पढ़ाई लिखाई उनका सब कुछ हो जाता था.

"हम घर से पैसे भी नहीं मंगा सकते हैं. क्योंकि हाल ही में पैसा आया है और पैसा भी हॉस्टल के कमरे में ही बंद है. 2 दिनों से नहाए नहीं है. 3 दिनों से शरीर पर वहीं कपड़ा है. खानाबदोश की जिंदगी जीने को विवश है, पॉकेट का पैसा भी खत्म हो रहा है. हम काफी परेशान हैं और घर से माताजी का संदेशा आया है कि बहुत हो गया. अब चलो घर आ जाओ. हम ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में है और तीन माह में हमारा ग्रेजुएशन फाइनल हो जाएगा. लेकिन अब हमें डर लग रहा है कि कहीं हमारी पढ़ाई ही ना रुक जाए. क्योंकि आर्थिक रूप से हम कमजोर हैं."- शिवम कुमार, छात्र

पटना कॉलेज के छात्र का गंगा किनारे बसेरा: छात्र अनु कुमार ने बताया कि 2 दिनों से बहुत खराब स्थिति है. हॉस्टल में जाने नहीं दिया जा रहा है. ताला लग गया है. सारा सामान हॉस्टल में ही बंद है. शरीर पर एक ही कपड़ा कई दिनों से है. कॉलेज में पढ़ाई भी गर्मी छुट्टी के बाद फिर से शुरू हो गई है. ऐसे में अभी के समय हम गंगा घाट पर रात बिता रहे हैं, यहीं प्लास्टिक बिछाकर सो जा रहे हैं. थोड़ी बहुत पढ़ाई स्ट्रीट लाइट की रोशनी में ही कर ले रहे हैं और बाथरूम के लिए कॉलेज का बाथरूम या सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं.

"कमरा ढूंढने जा रहे हैं तो लोग शक की नजर से देख रहे हैं कि आखिर इतनी बेचैनी क्यों है कमरा लेने के लिए. कॉलेज प्रबंधन को अगर स्थिति ठीक करनी है तो कैंपस में सुरक्षा का व्यवस्था करें. सीसीटीवी कैमरे का इंस्टॉलेशन करे. हॉस्टल में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद करे. हम लोगों को हॉस्टल से एक झटके में बाहर निकालकर रोड पर ला देना कॉलेज प्रशासन का सरासर गलत फैसला है. जिससे हम लोग काफी परेशान हैं."- अनु कुमार, छात्र

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.