पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) का बिगुल बज चुका है. 24 अगस्त को अधिसूचना जारी होगी और 24 सितंबर को पहले चरण के लिए वोट डाले जा रहे हैं. वैसे तो ये चुनाव दलगत आधार पर नहीं होंगे, लेकिन इसके बावजूद बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में उम्मीदवार के रूप में उतारने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है.
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11 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की नजर है. जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के वास्ते कोशिशें तेज कर दी है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ का कहना है कि सबसे पहले बीजेपी ने ही जिला परिषद में उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. वैसे एनडीए की सरकार बिहार में है, लेकिन उनको हिम्मत नहीं है कि दलगल आधार पर पंचायत चुनाव करवाएं.
कांग्रेस प्रवक्ता का दावा है कि बीजेपी जानती है कि दलगल आधार पर चुनाव हुए तो ज्यादा से ज्यादा संख्या में एनडीए को हार मिलेगी और सरकार की भी भद्द भी पिटेगी. उन्होंने कहा कि हमारा संगठन भी पंचायत लेवल तक है और ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ता पंचायत चुनाव में जीतकर आएं, इसका प्रयास कांग्रेस कर रही है.
वहीं, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि बिहार में जिस तरह से कई जिलों में बाढ़ आई हुई है, वैसे में निश्चित तौर पर हम लोग नहीं चाहते थे कि पंचायत का चुनाव हो. लेकिन अब चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी है तो निश्चित तौर पर हमारे जिला अध्यक्ष प्रखंड अध्यक्ष और पंचायत अध्यक्ष सभी स्तर के कार्यकर्ताओं को तैयार कर रहे हैं. और उन्हें इस चुनाव में हम लोग लड़वाएंगे.
आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि सामाजिक न्याय और लालू यादव की विचारधारा को मानने वाले जो लोग हैं, कहीं न कहीं वह ज्यादा से ज्यादा संख्या में पंचायत चुनाव में चुनाव जीतकर आएं ताकि हमारी विचारधारा मजबूत हो. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि महात्मा गांधी ने जिस तरह कहा था कि पंचायत की सरकार मजबूत होनी चाहिए, निश्चित तौर पर इसको लेकर ही हम लोग काम कर रहे हैं.
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उधर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी पंचायत चुनाव को लेकर अपने कार्यकर्ता को तैयार कर रही है. प्रवक्ता रामसागर सिंह ने साफ-साफ कहा कि हमारा नारा है कि पंचायत से पार्लियामेंट तक हम मजबूत हों. इसको लेकर हम लोग अपने कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव के मैदान में उतार रहे हैं.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि निश्चित तौर पर वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार पंचायती राज को आर्थिक रूप से पूरी तरह से मदद कर रही है. जो भी योजना पंचायतों के लिए लाई जा रही है, उसको ठीक-ठाक से लागू करना है. निश्चित तौर पर पंचायत में भी हमारी सरकार होगी, तभी केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा आम आदमी को मिलेगा.
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कुल मिलाकर देखें तो बिहार में पंचायत चुनाव भले ही दलगत आधार पर नहीं हो रहे हैं, लेकिन सभी दल इस बार अपने-अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने की बात कर रहे हैं.
जाहिर है कि अगर-अगर राजनीतिक पार्टियों की सक्रियता ऐसी ही रही तो पंचायत चुनाव इस बार पहले की तुलना में बहुत अलग होंगे. जानकार भी मानते हैं कि इस चुनाव में पार्टी का साथ होने से मुकाबला और दिलचस्प होगा. पिछले दरवाजे से सभी पार्टियां इस बार पंचायत चुनाव में बाजी मारना चाहती है.