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पाटलिपुत्र सीट है लालू परिवार के लिए बड़ी चुनौती, मीसा के सामने इस बार भी हैं चाचा रामकृपाल

पटना जिले में पाटलिपुत्र और पटना साहिब दो लोकसभा क्षेत्र है. पटना साहिब पर लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. पाटलिपुत्र सीट पर भी 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार रामकृपाल यादव जीते थे.

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Published : May 5, 2019, 8:11 PM IST

पटना: 2009 से पाटलिपुत्र लोकसभा सीट अस्तित्व में आया है. तभी से लालू परिवार इस सीट पर खाता खोलने की जद में जुटा हुआ है. लेकिन हर बार असफलता हाथ लगी है. 2009 में लालू प्रसाद यादव खुद पाटलिपुत्र से चुनाव लड़े थे. तब जदयू के रंजन यादव ने शिकस्त दी थी. 2014 में रामकृपाल यादव ने इस सीट से मीसा भारती को हराया था और इस बार भी चाचा भतीजी आमने सामने हैं.

यहां रहा बीजेपी का कब्जा
पटना जिले में पाटलिपुत्र और पटना साहिब दो लोकसभा क्षेत्र है. पटना साहिब पर लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. पाटलिपुत्र सीट पर भी 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार रामकृपाल यादव जीते थे. रामकृपाल यादव लालू प्रसाद यादव के खासम खास माने जाते थे. लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज होकर रामकृपाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने पाटलिपुत्र से उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया.

किसको कितने वोट मिले 2009 चुनाव में
उससे पहले 2009 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद इस सीट से चुनाव लड़े थे और उनके सामने रंजन प्रसाद यादव थे. जिसमें रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को लगभग 24000 से अधिक वोटों से पराजित किया था. रंजन प्रसाद यादव को 42.86% वोट मिले थे. तो वहीं लालू प्रसाद यादव को 39.1 प्रतिशत वोट मिले.

2014 में किसे कितने वोट मिले
2014 में बीजेपी के रामकृपाल यादव को 3,83,262 वोट मिले थे. जो कुल वोट का 39.6 प्रतिशत था. वहीं राजद की मीसा भारती को 3,42,940 वोट मिले जो कुल वोट का 35.04 प्रतिशत था. जदयू के रंजन प्रसाद यादव तीसरे स्थान पर पहुंच गए और उन्हें लगभग 1,00,000 वोट मिले थे.

जेडीयू के वोट का भी बीजेपी को मिलेगा लाभ
2014 में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़े थे. लेकिन इस बार नीतीश बीजेपी के साथ एनडीए में है और उसका भी लाभ रामकृपाल यादव को मिलेगा. इसलिए एनडीए के नेता कह रहे हैं कि इस बार भी पाटलिपुत्र सीट पर लालू परिवार का खाता नहीं खुलेगा.

बीजेपी का दावा
बीजेपी के नवल यादव का कहना है कि जब लालू प्रसाद ही नहीं जीते तो प्रचार राबड़ी करें या कोई और. मीसा भारती यहां से नहीं जीत पाएंगी. बतां दें कि पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें दानापुर, फुलवारी मनेर, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम शामिल हैं.

पाटलिपुत्र जंक्शन की तस्वीर

विधानसभा सीटों पर किसका कब्जा
फुलवारी और मसौढ़ी आरक्षित सीटें हैं. 2 सीट को छोड़ दें तो 4 सीटें महागठबंधन के पास हैं जिसमें 3 सीट आरजेडी और एक सीट कांग्रेस के पास है. फुलवारी विधानसभा की सीट जेडीयू के नेता श्याम रजक का पिछले 2 विधानसभा से कब्जा है. दानापुर सीट पर भी 2010 से लगातार बीजेपी का कब्जा है. यहां आशा देवी जीतती आ रही हैं. पाटलिपुत्र सीट यादव और भूमिहार बहुल है. ऐसे में इस बार भी लड़ाई पाटलिपुत्र सीट पर दिलचस्प है.

पटना: 2009 से पाटलिपुत्र लोकसभा सीट अस्तित्व में आया है. तभी से लालू परिवार इस सीट पर खाता खोलने की जद में जुटा हुआ है. लेकिन हर बार असफलता हाथ लगी है. 2009 में लालू प्रसाद यादव खुद पाटलिपुत्र से चुनाव लड़े थे. तब जदयू के रंजन यादव ने शिकस्त दी थी. 2014 में रामकृपाल यादव ने इस सीट से मीसा भारती को हराया था और इस बार भी चाचा भतीजी आमने सामने हैं.

यहां रहा बीजेपी का कब्जा
पटना जिले में पाटलिपुत्र और पटना साहिब दो लोकसभा क्षेत्र है. पटना साहिब पर लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. पाटलिपुत्र सीट पर भी 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार रामकृपाल यादव जीते थे. रामकृपाल यादव लालू प्रसाद यादव के खासम खास माने जाते थे. लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज होकर रामकृपाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने पाटलिपुत्र से उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया.

किसको कितने वोट मिले 2009 चुनाव में
उससे पहले 2009 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद इस सीट से चुनाव लड़े थे और उनके सामने रंजन प्रसाद यादव थे. जिसमें रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को लगभग 24000 से अधिक वोटों से पराजित किया था. रंजन प्रसाद यादव को 42.86% वोट मिले थे. तो वहीं लालू प्रसाद यादव को 39.1 प्रतिशत वोट मिले.

2014 में किसे कितने वोट मिले
2014 में बीजेपी के रामकृपाल यादव को 3,83,262 वोट मिले थे. जो कुल वोट का 39.6 प्रतिशत था. वहीं राजद की मीसा भारती को 3,42,940 वोट मिले जो कुल वोट का 35.04 प्रतिशत था. जदयू के रंजन प्रसाद यादव तीसरे स्थान पर पहुंच गए और उन्हें लगभग 1,00,000 वोट मिले थे.

जेडीयू के वोट का भी बीजेपी को मिलेगा लाभ
2014 में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़े थे. लेकिन इस बार नीतीश बीजेपी के साथ एनडीए में है और उसका भी लाभ रामकृपाल यादव को मिलेगा. इसलिए एनडीए के नेता कह रहे हैं कि इस बार भी पाटलिपुत्र सीट पर लालू परिवार का खाता नहीं खुलेगा.

बीजेपी का दावा
बीजेपी के नवल यादव का कहना है कि जब लालू प्रसाद ही नहीं जीते तो प्रचार राबड़ी करें या कोई और. मीसा भारती यहां से नहीं जीत पाएंगी. बतां दें कि पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें दानापुर, फुलवारी मनेर, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम शामिल हैं.

पाटलिपुत्र जंक्शन की तस्वीर

विधानसभा सीटों पर किसका कब्जा
फुलवारी और मसौढ़ी आरक्षित सीटें हैं. 2 सीट को छोड़ दें तो 4 सीटें महागठबंधन के पास हैं जिसमें 3 सीट आरजेडी और एक सीट कांग्रेस के पास है. फुलवारी विधानसभा की सीट जेडीयू के नेता श्याम रजक का पिछले 2 विधानसभा से कब्जा है. दानापुर सीट पर भी 2010 से लगातार बीजेपी का कब्जा है. यहां आशा देवी जीतती आ रही हैं. पाटलिपुत्र सीट यादव और भूमिहार बहुल है. ऐसे में इस बार भी लड़ाई पाटलिपुत्र सीट पर दिलचस्प है.

Intro:पटना--पाटलिपुत्र सीट 2009 से अस्तित्व में आया है तब से लालू परिवार इस सीट पर खाता खोलने की कोशिश में लगा है लेकिन हर बार असफलता हाथ लगी है । 2009 में लालू प्रसाद यादव खुद पाटलिपुत्र से चुनाव लड़े थे तब जदयू के रंजन यादव ने शिकस्त दी थी । 2014 में रामकृपाल यादव ने इस सीट से मीसा भारती को हराया था और इस बार भी चाचा भतीजी आमने सामने हैं।
पेश है spl रिपोर्ट----


Body: पटना जिले में पाटलिपुत्र और पटना साहिब दो लोकसभा क्षेत्र है पटना साहिब पर लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है पाटलिपुत्र सीट पर भी 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार रामकृपाल यादव विजय हुए थे। रामकृपाल यादव लालू प्रसाद यादव के खासम खास माने जाते थे लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज होकर रामकृपाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने पाटलिपुत्र से उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया।
उससे पहले 2009 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद इस सीट से चुनाव लड़े थे और उनके सामने रंजन प्रसाद यादव थे जदयू के टिकट से लड़ रहे रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को लगभग 24000 से अधिक वोटों से पराजित किया। रंजन प्रसाद यादव को 42.86% वोट मिला था तो ही लालू प्रसाद यादव को 39.1 प्रतिशत वोट मिला।
2014 में बीजेपी के रामकृपाल यादव को 383262 वोट मिला था जो कुल वोट का 39.6 प्रतिशत था वहीं राजद की मीसा भारती को 342940 वोट मिला जो कुल वोट का 35.04 प्रतिशत था। जदयू के रंजन प्रसाद यादव तीसरे स्थान पर पहुंच गए और उन्हें लगभग 100000 वोट मिला था। 2014 में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़े थे लेकिन इस बार नीतीश बीजेपी के साथ एनडीए में है और उसका भी लाभ रामकृपाल यादव को मिलेगा। इसलिए इंडिया के नेता कह रहे हैं इस बार भी पाटलिपुत्र सीट पर लालू परिवार का खाता नहीं खुलेगा। बीजेपी के नवल यादव का कहना है कि जब लालू प्रसाद ही नहीं जीते तो प्रचार राबड़ी करें या कोई मीसा नही जीत पाएंगी।
बाइट्स-- नवल यादव बीजेपी प्रवक्ता और विधान पार्षद
राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता।


Conclusion: पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा की सीटें आती है दानापुर फुलवारी मनेर, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम जिसमें फुलवारी और मसौढ़ी आरक्षित सीटें हैं 2 सीट को छोड़ दें तो 4 सीटें महागठबंधन के पास है जिसमें 3 सीट आरजेडी और एक सीट कांग्रेस के पास हैं। फुलवारी विधानसभा की सीट जेडीयू के नेता श्याम रजक का पिछले 2 विधानसभा से कब्जा है दानापुर सीट पर भी 2010 से लगातार बीजेपी का कब्जा है यहां आशा देवी जीतती आ रही हैं। पाटलिपुत्र सीट यादव और भूमिहार बहुल है। ऐसे में इस बार भी लड़ाई पाटलिपुत्र सीट पर दिलचस्प है देखना है लालू परिवार का इस बार भी खाता खुलता है या नहीं।
अविनाश, पटना।
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