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खेत को बनाया ग्राउंड.. यूट्यूब को कोच... बिहार की बेटी श्वेता शाही का ऐसा रहा इंटरनेशनल सफर

दुनिया आज नालंदा की बेटी श्वेता शाही (Nalanda daughter Shweta Shahi) को अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी के रूप में जानती है लेकिन इस खिलाड़ी का सफर उतना आसान नहीं था. ईटीवी भारत से खास बातचीत में श्वेता ने अपने जीवन के कई उतार चढ़ाव को साझा किया. उन्होंने कहा कि मैदान न होने पर खेत में प्रैक्टीस करनी पड़ी वहीं यूट्यब ने कोच की भूमिका निभायी. पढ़िए पूरी खबर..

Nalanda daughter Shweta Shahi
Nalanda daughter Shweta Shahi
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Published : Jun 9, 2022, 8:05 PM IST

पटना: बिहार के नालंदा जिले की रहने वाली श्वेता शाही ने रग्बी (Rugby Player Shweta Shahi) के जरिए दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. श्वेता साही ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि जब मैं रग्बी खेलने के लिए उत्साहित हुई तो गांव के लोग कई प्रकार की बात करते थे. लेकिन घर परिवार का पूरा सपोर्ट मिला. उन्होंने कहा कि गांव में खेल का मैदान नहीं है. इसके बाबजूद जोश व जुनून से खेतों में खेलना शुरू किया.

पढ़ें- वाह क्या बात है! स्पेन से लौटे फुटबॉलर बेटे के लिए बना दिया 'टर्फ एरिना', मैदान की खासियत जान हो जाएंगे हैरान

2012 में हुआ था बिहार रग्बी टीम में चयन: रग्बी खिलाड़ी श्वेता शाही (Struggle Story Of International Rugby Player) का सबसे पहले चयन 2012 में बिहार रग्बी की टीम में हुआ था. यह टूर्नामेंट उड़ीसा में हुआ था. इसके बाद तो श्वेता को मानों सफलता के पंख लग गए. चेन्नई में एशियन रग्बी सेवन-ए साइड ओलंपिक प्री क्वालिफायर प्रतियोगिता में कजाकिस्तान में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी जगह पक्की कर ली. इतना ही नहीं नालंदा की इस बेटी ने 2015 में महिला दिवस पर 60वीं राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से गोल्ड मेडल दिलाया था. इस टूर्नामेंट में उसे बेस्ट प्लेयर का अवार्ड भी मिला था.

ग्राउंड नहीं होने पर करती थी खेत में प्रैक्टिस: श्वेता शाही ने कहा कि गांव में ग्राउंड के अभाव के कारण वह खेतों में खेल का प्रैक्टिस करती थी. हालांकि श्वेता अपनी मेहनत की बदौलत और यूट्यूब से देख रग्बी सीखती थीं. बिना कोच के रग्बी में महारत हासिल करने वाली श्वेता का चारों तरफ जय जयकार हो रहा है. श्वेता ने बताया कि क्रिकेट, फुटबॉल अन्य खेलों के मुकाबले रग्बी थोड़ा टफ है. लेकिन अगर हौसला बुलंद हो तो सपनों को साकार किया जा सकता है.

बिहार में खेल ग्राउंड का अभाव: श्वेता के पिता सुजीत कुमार शाही किसान हैं और किसान की पुत्री श्वेता अपने बिहार के साथ-साथ पूरे देश का भी मान सम्मान बढ़ाने का काम किया है. श्वेता ने कहा कि बिहार सरकार खेल के प्रति लोगों को जरूर जागरूक करती है लेकिन खेल ग्राउंड का अभी भी बिहार में अभाव है. .जो खेल ग्राउंड है उसमें रग्बी का ग्राउंड नहीं है.

"रग्बी का ग्राउंड ग्रास ग्राउंड होना चाहिए पर बिहार में एक ही ग्राउंड पर क्रिकेट फुटबॉल ओर अन्य खेल होता है. बिहार की लड़कियां अब दिन प्रतिदिन अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रही हैं जो लड़कियां अपने सपनों को लेकर आगे बढ़ती है उनका सपना जरूर पूरा होता है. शुरुआती दिनों में गांव समाज के लोग जरूर ताना मारते हैं लेकिन जब आप किसी मुकाम पर पहुंच जाते हैं तो वही लोग आपको प्यार सम्मान देने का काम करते हैं इसलिए लोगों की बातों पर ध्यान न देकर आपको जिस फील्ड में जाना हो कैरियर बनाना हो उस फील्ड में आगे बढ़ें."- श्वेता शाही, अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी

कई मेडल पर किया है कब्जा: श्वेता शाही अब तक 22 नेशनल और 5 इंटरनेशनल रग्बी खेल चुकी हैं. कई रजत ,गोल्ड लाकर बिहार के साथ देश का नाम ऊंचा करने का काम की है. 2012 से राज्य स्तर पर खेलते हुए आगे बढ़ीं और आज नेशनल इंटरनेशनल खेलकर देश के लिए कई ब्राउन्च और गोल्ड लाई हैं. 2012 में अखिल भारतीय महिला राष्ट्रीय रग्बी चैंपियन ओडिशा में खेली थी. 2015 में सीनियर नेशनल रग्बी सातवीं चैंपियन बिहार के लिए खेली थी. 2019 में वरिष्ठ राष्ट्रीय रग्बी 7वी चैंपियन में प्रथम स्थान लाई थी. 2015 में श्वेता शाही बिहार राज्य खेल पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय सैनी से सम्मानित हो चुकी हैं. 2017 में भी बिहार राज्य खेल पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय श्रेणी 2020-21 में भी अंतरराष्ट्रीय खेल पुरस्कार मिल चुका है.

आरती ने भी बढ़ाया प्रदेश देश का मान: वहीं बिहार नवादा जिले के वारसलीगंज की रहने वाली आरती कुमारी (Rugby Player Aarti Kumari Of Nawada) ने भी ईटीवी भारत से खास बातचीत की. आरती ने भी बिहार के साथ-साथ देश का मान सम्मान बढ़ाने का काम किया है .आरती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल के माध्यम से बिहार और देश का नाम ऊंचा कर रही हैं. आरती ने देश को रजत पदक दिलाने का काम किया है. आरती अंडर 18 रग्बी चैंपियनशिप 2021 में खेल चुकी हैं. आरती के पिता एक किसान है. एक छोटी बहन है और माता गृहणी है.

"जब एक छोटे से गांव में रग्बी खेलने के लिए प्रेक्टिस करने के लिए खेतों में निकलते थे तो लोग देख करके मजाक उड़ाते थे लोग हंसते थे और तरह-तरह की बात करते थे. लेकिन माता पिता का पूरा सहयोग मिला. 2028 में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रग्बी में हिस्सा ले रही हूं. मैं सभी लड़कियों से कहूंगी कि जो भी उनका सपना है उसे लेकर आगे बढ़े सपना जरूर पूरा होगा."- आरती कुमारी , खिलाड़ी, अंडर 18 रग्बी

नेशनल रग्बी कंपटीशन: बता दें कि 9 से 12 जून तक राजधानी में सीनियर नेशनल रग्बी (Senior national rugby championship in patna) और 17 से 19 जून तक जूनियर नेशनल रग्बी कंपटीशन ( Junior National Rugby Championship In Patna) का आयोजन किया गया है. बिहार रग्बी एसोसिएशन ने हाल ही में दो अंतरराष्ट्रीय कोचों को खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए पटना बुलाया है.

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पटना: बिहार के नालंदा जिले की रहने वाली श्वेता शाही ने रग्बी (Rugby Player Shweta Shahi) के जरिए दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. श्वेता साही ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि जब मैं रग्बी खेलने के लिए उत्साहित हुई तो गांव के लोग कई प्रकार की बात करते थे. लेकिन घर परिवार का पूरा सपोर्ट मिला. उन्होंने कहा कि गांव में खेल का मैदान नहीं है. इसके बाबजूद जोश व जुनून से खेतों में खेलना शुरू किया.

पढ़ें- वाह क्या बात है! स्पेन से लौटे फुटबॉलर बेटे के लिए बना दिया 'टर्फ एरिना', मैदान की खासियत जान हो जाएंगे हैरान

2012 में हुआ था बिहार रग्बी टीम में चयन: रग्बी खिलाड़ी श्वेता शाही (Struggle Story Of International Rugby Player) का सबसे पहले चयन 2012 में बिहार रग्बी की टीम में हुआ था. यह टूर्नामेंट उड़ीसा में हुआ था. इसके बाद तो श्वेता को मानों सफलता के पंख लग गए. चेन्नई में एशियन रग्बी सेवन-ए साइड ओलंपिक प्री क्वालिफायर प्रतियोगिता में कजाकिस्तान में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी जगह पक्की कर ली. इतना ही नहीं नालंदा की इस बेटी ने 2015 में महिला दिवस पर 60वीं राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से गोल्ड मेडल दिलाया था. इस टूर्नामेंट में उसे बेस्ट प्लेयर का अवार्ड भी मिला था.

ग्राउंड नहीं होने पर करती थी खेत में प्रैक्टिस: श्वेता शाही ने कहा कि गांव में ग्राउंड के अभाव के कारण वह खेतों में खेल का प्रैक्टिस करती थी. हालांकि श्वेता अपनी मेहनत की बदौलत और यूट्यूब से देख रग्बी सीखती थीं. बिना कोच के रग्बी में महारत हासिल करने वाली श्वेता का चारों तरफ जय जयकार हो रहा है. श्वेता ने बताया कि क्रिकेट, फुटबॉल अन्य खेलों के मुकाबले रग्बी थोड़ा टफ है. लेकिन अगर हौसला बुलंद हो तो सपनों को साकार किया जा सकता है.

बिहार में खेल ग्राउंड का अभाव: श्वेता के पिता सुजीत कुमार शाही किसान हैं और किसान की पुत्री श्वेता अपने बिहार के साथ-साथ पूरे देश का भी मान सम्मान बढ़ाने का काम किया है. श्वेता ने कहा कि बिहार सरकार खेल के प्रति लोगों को जरूर जागरूक करती है लेकिन खेल ग्राउंड का अभी भी बिहार में अभाव है. .जो खेल ग्राउंड है उसमें रग्बी का ग्राउंड नहीं है.

"रग्बी का ग्राउंड ग्रास ग्राउंड होना चाहिए पर बिहार में एक ही ग्राउंड पर क्रिकेट फुटबॉल ओर अन्य खेल होता है. बिहार की लड़कियां अब दिन प्रतिदिन अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रही हैं जो लड़कियां अपने सपनों को लेकर आगे बढ़ती है उनका सपना जरूर पूरा होता है. शुरुआती दिनों में गांव समाज के लोग जरूर ताना मारते हैं लेकिन जब आप किसी मुकाम पर पहुंच जाते हैं तो वही लोग आपको प्यार सम्मान देने का काम करते हैं इसलिए लोगों की बातों पर ध्यान न देकर आपको जिस फील्ड में जाना हो कैरियर बनाना हो उस फील्ड में आगे बढ़ें."- श्वेता शाही, अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी

कई मेडल पर किया है कब्जा: श्वेता शाही अब तक 22 नेशनल और 5 इंटरनेशनल रग्बी खेल चुकी हैं. कई रजत ,गोल्ड लाकर बिहार के साथ देश का नाम ऊंचा करने का काम की है. 2012 से राज्य स्तर पर खेलते हुए आगे बढ़ीं और आज नेशनल इंटरनेशनल खेलकर देश के लिए कई ब्राउन्च और गोल्ड लाई हैं. 2012 में अखिल भारतीय महिला राष्ट्रीय रग्बी चैंपियन ओडिशा में खेली थी. 2015 में सीनियर नेशनल रग्बी सातवीं चैंपियन बिहार के लिए खेली थी. 2019 में वरिष्ठ राष्ट्रीय रग्बी 7वी चैंपियन में प्रथम स्थान लाई थी. 2015 में श्वेता शाही बिहार राज्य खेल पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय सैनी से सम्मानित हो चुकी हैं. 2017 में भी बिहार राज्य खेल पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय श्रेणी 2020-21 में भी अंतरराष्ट्रीय खेल पुरस्कार मिल चुका है.

आरती ने भी बढ़ाया प्रदेश देश का मान: वहीं बिहार नवादा जिले के वारसलीगंज की रहने वाली आरती कुमारी (Rugby Player Aarti Kumari Of Nawada) ने भी ईटीवी भारत से खास बातचीत की. आरती ने भी बिहार के साथ-साथ देश का मान सम्मान बढ़ाने का काम किया है .आरती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल के माध्यम से बिहार और देश का नाम ऊंचा कर रही हैं. आरती ने देश को रजत पदक दिलाने का काम किया है. आरती अंडर 18 रग्बी चैंपियनशिप 2021 में खेल चुकी हैं. आरती के पिता एक किसान है. एक छोटी बहन है और माता गृहणी है.

"जब एक छोटे से गांव में रग्बी खेलने के लिए प्रेक्टिस करने के लिए खेतों में निकलते थे तो लोग देख करके मजाक उड़ाते थे लोग हंसते थे और तरह-तरह की बात करते थे. लेकिन माता पिता का पूरा सहयोग मिला. 2028 में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रग्बी में हिस्सा ले रही हूं. मैं सभी लड़कियों से कहूंगी कि जो भी उनका सपना है उसे लेकर आगे बढ़े सपना जरूर पूरा होगा."- आरती कुमारी , खिलाड़ी, अंडर 18 रग्बी

नेशनल रग्बी कंपटीशन: बता दें कि 9 से 12 जून तक राजधानी में सीनियर नेशनल रग्बी (Senior national rugby championship in patna) और 17 से 19 जून तक जूनियर नेशनल रग्बी कंपटीशन ( Junior National Rugby Championship In Patna) का आयोजन किया गया है. बिहार रग्बी एसोसिएशन ने हाल ही में दो अंतरराष्ट्रीय कोचों को खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए पटना बुलाया है.

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