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Shardiya Navratri 2023 : दवा, ड्राइफ्रूट्स, पान मसाला, मोर पंख और चूड़ा से बनाई मूर्ति, लोगों को सेहतमंद रहने का दे रहे संदेश - पटना में दुर्गा पूजा

आज नवरात्र की सप्तमी पूजा है और पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति का कई जगह अनावरण भी किया जाएगा. इसी कड़ी में कुछ पंडालों में खास थीम पर एक अलग संदेश देने के लिए अलग-अलग चीजों से मूर्तियां बनाई गई है. पटना के मूर्तिकार ब्रदर्स ने इस बार अलग-अलग क्लब के लिए दवा, ड्राइफ्रूट्स, पान मसाला, मोर पंख और चूड़ा से भारत माता की मूर्तियों का निर्माण किया है. पढ़ें पूरी खबर..

दुर्गा पूजा पर अलग-अलग चीजों से बनी प्रतिमाएं
दुर्गा पूजा पर अलग-अलग चीजों से बनी प्रतिमाएं
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 21, 2023, 6:30 AM IST

पटना में ड्राई फ्रूट्स और पान मसाले से बनी मूर्ति

पटना : बिहार की राजधानी पटना में दुर्गा पूजा की धूम देखते बन रही है. आज सप्तमी को सभी पंडालों का पट खुल जाएगा. इसी कड़ी में राजधानी पटना के ब्रदर्स मूर्तिकार ने अलग-अलग थीम पर पांच मूर्तियां तैयार की है. चंदन कुमार और जितेंद्र कुमार दोनों भाई ने मिलकर ड्राई फ्रूट्स, दवा, पान मसाला, चूड़ा और मोर के पंख से भारत माता की प्रतिमाएं तैयार की है. चंदन कुमार ने बताया कि पिछले 15 सालों से हम लोग नए-नए थीम पर हर साल मूर्ति तैयार करते हैं.

ये भी पढ़ें : Shardiya Navratri 2023: गया में बन रही माता दुर्गा की अनोखी प्रतिमा, मिट्टी की जगह इन चीजों का किया गया इस्तेमाल

"इस साल जन जागरूक के लिए पांच मूर्ति बनाई गई है जो लोगों को संदेश देगी और जागरूक करेगी. दवा से जो मूर्ति तैयार की गई है. वह संदेश दे रही है कि हम लोग फास्ट फूड के सेवन से बचे, फास्ट फूड का सेवन करना हानिकारक है अगर बीमार पड़ते हैं तो दवा खाना पड़ेगा."- चंदन कुमार, मूर्तिकार

दवाई से बनी माता दुर्गा की प्रतिमा
दवाई से बनी माता दुर्गा की प्रतिमा

ड्राइ फ्रूट्स की मूर्ति स्वस्थ रहने का देगी संदेश : चंदन कुमार ने कहा कि पान मसाला से जो मूर्ति तैयार किया गया है, उससे यही संदेश दिया जा रहा है कि जर्दा, पान मसाला तो लोग खा रहे हैं. लेकिन मीठा पान मसाला अब लोग खाना पसंद नहीं कर रहे हैं. मीठा पान मसाला खाना फायदेमंद भी है और यह लुप्त होते जा रही है. इसलिए मीठा पान मसाला में जो चीज डाली जाती है, उन सभी चीजों से मूर्तियां तैयार की गई है. ड्राई फ्रूट से मूर्ति तैयार करने का मकसद है कि लोग अपने शरीर को सेहतमंद रखने के लिए ड्राई फ्रूट्स का प्रयोग करें .

मीठे पान  मसाला से बनी माता की प्रतिमा
मीठे पान मसाला से बनी माता की प्रतिमा

'लोगों को खान-पान के प्रति जागरूक करना जरूरी': चंदन ने बताया कि बहुत सारे लोग जिम में जाकर बॉडी बनाते हैं, लेकिन ड्राई फ्रूट्स खाकर शरीर स्वस्थ रखा जा सकता है. बीमार पड़ने के बाद डॉक्टर भी ड्राई फ्रूट्स खाने की राय देते हैं. इसलिए लोगों को जान जागरूक के लिए ड्राई फ्रूट्स की मूर्ति तैयार की गई है. चूड़ा से तैयार मूर्ति यही बता रही है कि चूड़ा दही खाएं. यह हल्का भोजन और फायदेमंद भोजन है. गांव के लोग आज भी सुबह में चूड़ा दही खाते हैं, लेकिन शहर के लोग चूड़ा दही नहीं बल्कि फास्ट फूड खाते हैं. इसलिए चूड़ा से मूर्ति तैयार की गई, ताकि लोग दही चूड़ा खाना शुरू कर दें.

ड्राइफ्रूट्स से बनी माता की प्रतिमा
ड्राइफ्रूट्स से बनी माता की प्रतिमा

कोरोना काल में मास्क से बनाई थी मूर्ति : चंदन ने कहा कि राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंख से तैयार किया गया है मोर तो सभी लोग देखते हैं, लेकिन मोर के संरक्षण पर ध्यान नहीं देते हैं. इस उद्देश्य से मोर के पंख से मूर्ति तैयार किया गया. मूर्तिकार जीतेंद्र कुमार ने बताया कि हर साल नए थीम पर मूर्ति तैयार की जाती है .कोरोना संक्रमण काल में मास्क वाली मूर्ति बनाई थी .साल 2022 में लिपस्टिक की मूर्ति तैयार की गई थी. इस साल मेडिसिन, पान मसाला, ड्राई फ्रूट्स, चूड़ा ,मोर के पंख से मूर्ति तैयार की गई है.

मयूर पंख से बनी मां की मूर्ति
मयूर पंख से बनी मां की मूर्ति

"मूर्ति बनाने की तैयारी दो माह पहले ही शुरू कर दी जाती है. ड्राई फ्रूट्स, मेडिसिन और पान मसाला से मूर्ति बनाने में 25000 रुपए की लागत आई है. जबकि मोर के पंख और चूड़ा की मूर्ति बनाने में 15 से ₹20 हजार की लागत आई है. यह सभी अलग-अलग क्लब में जाएगी जो आकर्षण का केंद्र बनेगी."- जीतेंद्र कुमार, मूर्तिकार

पटना में ड्राई फ्रूट्स और पान मसाले से बनी मूर्ति

पटना : बिहार की राजधानी पटना में दुर्गा पूजा की धूम देखते बन रही है. आज सप्तमी को सभी पंडालों का पट खुल जाएगा. इसी कड़ी में राजधानी पटना के ब्रदर्स मूर्तिकार ने अलग-अलग थीम पर पांच मूर्तियां तैयार की है. चंदन कुमार और जितेंद्र कुमार दोनों भाई ने मिलकर ड्राई फ्रूट्स, दवा, पान मसाला, चूड़ा और मोर के पंख से भारत माता की प्रतिमाएं तैयार की है. चंदन कुमार ने बताया कि पिछले 15 सालों से हम लोग नए-नए थीम पर हर साल मूर्ति तैयार करते हैं.

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"इस साल जन जागरूक के लिए पांच मूर्ति बनाई गई है जो लोगों को संदेश देगी और जागरूक करेगी. दवा से जो मूर्ति तैयार की गई है. वह संदेश दे रही है कि हम लोग फास्ट फूड के सेवन से बचे, फास्ट फूड का सेवन करना हानिकारक है अगर बीमार पड़ते हैं तो दवा खाना पड़ेगा."- चंदन कुमार, मूर्तिकार

दवाई से बनी माता दुर्गा की प्रतिमा
दवाई से बनी माता दुर्गा की प्रतिमा

ड्राइ फ्रूट्स की मूर्ति स्वस्थ रहने का देगी संदेश : चंदन कुमार ने कहा कि पान मसाला से जो मूर्ति तैयार किया गया है, उससे यही संदेश दिया जा रहा है कि जर्दा, पान मसाला तो लोग खा रहे हैं. लेकिन मीठा पान मसाला अब लोग खाना पसंद नहीं कर रहे हैं. मीठा पान मसाला खाना फायदेमंद भी है और यह लुप्त होते जा रही है. इसलिए मीठा पान मसाला में जो चीज डाली जाती है, उन सभी चीजों से मूर्तियां तैयार की गई है. ड्राई फ्रूट से मूर्ति तैयार करने का मकसद है कि लोग अपने शरीर को सेहतमंद रखने के लिए ड्राई फ्रूट्स का प्रयोग करें .

मीठे पान  मसाला से बनी माता की प्रतिमा
मीठे पान मसाला से बनी माता की प्रतिमा

'लोगों को खान-पान के प्रति जागरूक करना जरूरी': चंदन ने बताया कि बहुत सारे लोग जिम में जाकर बॉडी बनाते हैं, लेकिन ड्राई फ्रूट्स खाकर शरीर स्वस्थ रखा जा सकता है. बीमार पड़ने के बाद डॉक्टर भी ड्राई फ्रूट्स खाने की राय देते हैं. इसलिए लोगों को जान जागरूक के लिए ड्राई फ्रूट्स की मूर्ति तैयार की गई है. चूड़ा से तैयार मूर्ति यही बता रही है कि चूड़ा दही खाएं. यह हल्का भोजन और फायदेमंद भोजन है. गांव के लोग आज भी सुबह में चूड़ा दही खाते हैं, लेकिन शहर के लोग चूड़ा दही नहीं बल्कि फास्ट फूड खाते हैं. इसलिए चूड़ा से मूर्ति तैयार की गई, ताकि लोग दही चूड़ा खाना शुरू कर दें.

ड्राइफ्रूट्स से बनी माता की प्रतिमा
ड्राइफ्रूट्स से बनी माता की प्रतिमा

कोरोना काल में मास्क से बनाई थी मूर्ति : चंदन ने कहा कि राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंख से तैयार किया गया है मोर तो सभी लोग देखते हैं, लेकिन मोर के संरक्षण पर ध्यान नहीं देते हैं. इस उद्देश्य से मोर के पंख से मूर्ति तैयार किया गया. मूर्तिकार जीतेंद्र कुमार ने बताया कि हर साल नए थीम पर मूर्ति तैयार की जाती है .कोरोना संक्रमण काल में मास्क वाली मूर्ति बनाई थी .साल 2022 में लिपस्टिक की मूर्ति तैयार की गई थी. इस साल मेडिसिन, पान मसाला, ड्राई फ्रूट्स, चूड़ा ,मोर के पंख से मूर्ति तैयार की गई है.

मयूर पंख से बनी मां की मूर्ति
मयूर पंख से बनी मां की मूर्ति

"मूर्ति बनाने की तैयारी दो माह पहले ही शुरू कर दी जाती है. ड्राई फ्रूट्स, मेडिसिन और पान मसाला से मूर्ति बनाने में 25000 रुपए की लागत आई है. जबकि मोर के पंख और चूड़ा की मूर्ति बनाने में 15 से ₹20 हजार की लागत आई है. यह सभी अलग-अलग क्लब में जाएगी जो आकर्षण का केंद्र बनेगी."- जीतेंद्र कुमार, मूर्तिकार

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