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बोले शरद यादव- असम को भी नहीं थी NRC की जरूरत, फिर बिहार में क्यों हो लागू ? - शरद यादव

शरद यादव का मानना है कि एनआरसी की जरूरत असम में भी नहीं थी. उनका कहना है कि एनआरसी लागू होने से सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हुए हैं. उनका कहना है कि जिनके पास खुद के घर नहीं है, वो दस्तावेज कहां से लाएंगे?

शरद यादव से खास बातचीत
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Published : Sep 6, 2019, 8:24 PM IST

Updated : Sep 6, 2019, 11:06 PM IST

नई दिल्ली: बीजेपी नेता असम की तर्ज पर बिहार में भी एनआरसी की कर रहे हैं. बीजेपी के कुछ नेताओं का कहना है कि उत्तरी बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं उनको हटाना जरूरी है. इसलिए एनआरसी लागू होना चाहिए. इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का कहना है कि बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है.

शरद यादव का मानना है कि एनआरसी की जरूरत असम में भी नहीं थी. उनका कहना है कि एनआरसी लागू होने से सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हुए हैं. जिनके पास अपना घर नहीं है, झोपड़ी नहीं है, न कोई समान है. उस तरह के गरीब लोग अपना दस्तावेज कहां से दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि यह देश यूरोप नहीं है. यह देश खंड-खंड में बंटा हुआ है, जहां कई लोग भूखे सो जाते हैं. इस देश में एनआरसी की जरूरत नहीं है.

शरद यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री

मुख्य मुद्दों से भटका रही बीजेपी- शरद
शरद यादव ने कहा कि देश में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. बेरोजगारी बहुत है. लेकिन बीजेपी अलग-अलग मुद्दे लाकर हिंदू और मुसलमान वाली बातें करती है. मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुद्दे उठाए जाते हैं.

  • बिहार में NRC की मांग तेज, 'केंद्र सरकार जल्द उठा सकती है बड़ा कदम'#NRC #NrcInBihar
    https://t.co/3VoUAEJkir

    — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 6, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एनआरसी क्या है ...

  • नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है.
  • इसका मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है.
  • इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी.
  • इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटिजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
  • इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
  • असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटीजन रजिस्टर लागू है.
  • अब बिहार में भी इसकी मांग तेज हो गई है.

नई दिल्ली: बीजेपी नेता असम की तर्ज पर बिहार में भी एनआरसी की कर रहे हैं. बीजेपी के कुछ नेताओं का कहना है कि उत्तरी बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं उनको हटाना जरूरी है. इसलिए एनआरसी लागू होना चाहिए. इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का कहना है कि बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है.

शरद यादव का मानना है कि एनआरसी की जरूरत असम में भी नहीं थी. उनका कहना है कि एनआरसी लागू होने से सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हुए हैं. जिनके पास अपना घर नहीं है, झोपड़ी नहीं है, न कोई समान है. उस तरह के गरीब लोग अपना दस्तावेज कहां से दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि यह देश यूरोप नहीं है. यह देश खंड-खंड में बंटा हुआ है, जहां कई लोग भूखे सो जाते हैं. इस देश में एनआरसी की जरूरत नहीं है.

शरद यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री

मुख्य मुद्दों से भटका रही बीजेपी- शरद
शरद यादव ने कहा कि देश में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. बेरोजगारी बहुत है. लेकिन बीजेपी अलग-अलग मुद्दे लाकर हिंदू और मुसलमान वाली बातें करती है. मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुद्दे उठाए जाते हैं.

  • बिहार में NRC की मांग तेज, 'केंद्र सरकार जल्द उठा सकती है बड़ा कदम'#NRC #NrcInBihar
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एनआरसी क्या है ...

  • नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है.
  • इसका मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है.
  • इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी.
  • इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटिजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
  • इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
  • असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटीजन रजिस्टर लागू है.
  • अब बिहार में भी इसकी मांग तेज हो गई है.
Intro:न असम में nrc की जरूरत थी न बिहार में है- शरद यादव

नयी दिल्ली- असम की तरह बिहार में भी एनआरसी लागू करने की मांग बीजेपी के कुछ नेताओं के द्वारा की जा रही है, बीजेपी नेताओं का कहना है कि उत्तरी बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं उनको हटाना जरूरी है इसलिए एनआरसी लागू होना चाहिए


Body:पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने कहा है कि बिहार में एनआरसी लागू करने की कोई जरूरत नहीं है, असम में भी इसकी जरूरत नहीं थी, इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब लोग होते हैं जिनके पास अपना घर नहीं है, झोपड़ी नहीं है न कोई समान है, उस तरह की गरीब लोग अपना दस्तावेज ल कहां से दिखाएंगे

उन्होंने कहा कि यह देश यूरोप नहीं है, यह देश खंड खंड में बटा हुआ है जहां कई लोग भूखे सो जाते हैं, इस देश में nrc की जरूरत नहीं है


Conclusion:उन्होंने कहा कि देश में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है, बेरोजगारी बहुत है लेकिन बीजेपी अलग-अलग मुद्दे लाकर हिंदू और मुसलमान वाली बातें खाली करती है, मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुद्दे उठाए जाते हैं
Last Updated : Sep 6, 2019, 11:06 PM IST
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