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बोले भक्त चरणदास- '900 किसानों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लिया वापस'

बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरणदास (Bhakt Charan Das) ने कहा कि यह देश के किसानों की जीत है. किसाने के अहिंसात्मक आंदोलन के सामने केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तीनों कृषि कानूनों (Three Agricultural Laws) को वापस लेने का ऐलान किया.

कृषि कानून पर भक्त चरणदास का बयान
कृषि कानून पर भक्त चरणदास का बयान
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Published : Nov 21, 2021, 3:28 PM IST

नई दिल्ली/पटना: बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरणदास (Bhakt Charan Das) ने कहा कि 900 किसानों की मौत हो गई, उसके बाद जाकर केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों (Three Agricultural Laws) को वापस लेने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि वास्तव में यह बहुद देर से लिया गया निर्णय है. पिछले एक साल से देश भर में किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा.

ये भी पढ़ें: शर्मा की रिपोर्ट पर पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का लिया निर्णय !

भक्त चरणदास ने कहा कि किसान आंदोलन (Farmers Movement) और विपक्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. यह बिल किसान के हित के लिए नहीं थे. इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होता. किसान अहिंसात्मक लड़ाई लड़ते रहे. लाखों किसान साल भर से सड़क पर बैठे हैं. किसानों के त्याग और बलिदान के बाद केंद्र सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से किसानों के साथ है और आगे भी रहेगी.

देखें रिपोर्ट

"साफ है कि किसान आंदोलन और विपक्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है. यह बिल किसान के हित के लिए नहीं थे. किसानों के त्याग और बलिदान के बाद केंद्र सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से किसानों के साथ है और आगे भी रहेगी"- भक्त चरणदास, प्रभारी, बिहार कांग्रेस

ये भी पढ़ें: 'जब सताने लगा सत्ता का डर, तब PM मोदी ने कृषि कानून ले लिया वापस'

बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वापस लेने का ऐलान किया है. पिछले एक साल से किसान संगठन देश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं और उसको वापस लेने की मांग कर रहे थे. पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों के हित के लिए यह कानून लाए थे, लेकिन किसानों के एक वर्ग को समझाने में सफल नहीं हुए. इसलिए वापस लेते हैं. संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस कानून को हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन किसान अभी अपना प्रदर्शन रोकने के मूड में नहीं हैं.

किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों की मांग है कि किसान आंदोलन में प्राण गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा मिले और उनके परिजनों को सरकारी नौकरी मिले. साथ ही किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए.

नोट: ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली/पटना: बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरणदास (Bhakt Charan Das) ने कहा कि 900 किसानों की मौत हो गई, उसके बाद जाकर केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों (Three Agricultural Laws) को वापस लेने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि वास्तव में यह बहुद देर से लिया गया निर्णय है. पिछले एक साल से देश भर में किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा.

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भक्त चरणदास ने कहा कि किसान आंदोलन (Farmers Movement) और विपक्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. यह बिल किसान के हित के लिए नहीं थे. इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होता. किसान अहिंसात्मक लड़ाई लड़ते रहे. लाखों किसान साल भर से सड़क पर बैठे हैं. किसानों के त्याग और बलिदान के बाद केंद्र सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से किसानों के साथ है और आगे भी रहेगी.

देखें रिपोर्ट

"साफ है कि किसान आंदोलन और विपक्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है. यह बिल किसान के हित के लिए नहीं थे. किसानों के त्याग और बलिदान के बाद केंद्र सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से किसानों के साथ है और आगे भी रहेगी"- भक्त चरणदास, प्रभारी, बिहार कांग्रेस

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बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वापस लेने का ऐलान किया है. पिछले एक साल से किसान संगठन देश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं और उसको वापस लेने की मांग कर रहे थे. पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों के हित के लिए यह कानून लाए थे, लेकिन किसानों के एक वर्ग को समझाने में सफल नहीं हुए. इसलिए वापस लेते हैं. संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस कानून को हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन किसान अभी अपना प्रदर्शन रोकने के मूड में नहीं हैं.

किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों की मांग है कि किसान आंदोलन में प्राण गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा मिले और उनके परिजनों को सरकारी नौकरी मिले. साथ ही किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए.

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