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पटनाः भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की कहानी गबरघिचोर का किया गया मंचन - भिखारी ठाकुर की कहानी गबरघिचोर का किया गया मंचन

बिहार की राजधानी पटना में इस समय 36वां पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव चल रहा है. पटना के गांधी मैदान के बिहार आर्ट थियेटर में चल रहे इस महोत्सव के चौथे दिन भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की कहानी गबरघिचोर का मंचन किया गया.

नाट्य महोत्सव
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Published : Feb 6, 2021, 8:03 AM IST

पटनाः राजधानी पटना के गांधी मैदान के बिहार आर्ट थियेटर में 36वां पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव चल रहा है. नाट्य महोत्सव के चौथे दिन भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर द्वारा लिखित कहानी गबरघिचोर का खगोल के कलाकारों ने मंचन किया. इस दौरान भारी संख्या में लोग उपस्थिति रहे.

नाट्य का मंचन
नाट्य का मंचन

गबरघिचोर का मंचन
नाटक गबरघिचोर में भिखारी ठाकुर ने एक स्त्री के अधिकार न्याय पाने के लिए संघर्ष को दर्शाया है. वहीं पुरुष प्रधान समाज को आईना भी दिखाने का काम किया है. नाटक में एक महिला को दर्शाया गया है जो अपने बच्चों के लिए पुरुष प्रधान समाज से लिए अकेले लड़ जाती है. इस नाटक के माध्यम से समाज को जागरूक करने की कोशिश की गई.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन नाटक 'कसाई' का किया गया मंचन

स्त्री के संघर्ष की कहानी
नाटक में बच्चे को अपने साथ रखने के लिए संघर्ष करने के बाद जीत हासिल करती है. पटना के कलाकारों ने इस नाटक का मंचन कर समाज को संदेश दिया कि महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं हैं. महिला किसी भी मामले में कमजोर नहीं है. अगर वह अपने हक की लड़ाई लड़ेंगी तो अवश्य जीतेंगी.

नाट्य महोत्सव
नाट्य महोत्सव

पटनाः राजधानी पटना के गांधी मैदान के बिहार आर्ट थियेटर में 36वां पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव चल रहा है. नाट्य महोत्सव के चौथे दिन भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर द्वारा लिखित कहानी गबरघिचोर का खगोल के कलाकारों ने मंचन किया. इस दौरान भारी संख्या में लोग उपस्थिति रहे.

नाट्य का मंचन
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गबरघिचोर का मंचन
नाटक गबरघिचोर में भिखारी ठाकुर ने एक स्त्री के अधिकार न्याय पाने के लिए संघर्ष को दर्शाया है. वहीं पुरुष प्रधान समाज को आईना भी दिखाने का काम किया है. नाटक में एक महिला को दर्शाया गया है जो अपने बच्चों के लिए पुरुष प्रधान समाज से लिए अकेले लड़ जाती है. इस नाटक के माध्यम से समाज को जागरूक करने की कोशिश की गई.

देखें रिपोर्ट

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स्त्री के संघर्ष की कहानी
नाटक में बच्चे को अपने साथ रखने के लिए संघर्ष करने के बाद जीत हासिल करती है. पटना के कलाकारों ने इस नाटक का मंचन कर समाज को संदेश दिया कि महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं हैं. महिला किसी भी मामले में कमजोर नहीं है. अगर वह अपने हक की लड़ाई लड़ेंगी तो अवश्य जीतेंगी.

नाट्य महोत्सव
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