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Bihar Srijan Scam: सृजन घोटाले की जांच में आई तजी से बढ़ी राजनीतिक दलों में बेचैनी - सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया

बिहार में सृजन घोटाले की जांच में तेजी आई है. मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी ने कईयों की चिंताएं बढ़ा दी है. कई सफेदपोश सीबीआई के जद में है. नौकरशाह और राजनेताओं की चिंता बढ़ गई है. रजनी प्रिया ने कई राज खोले हैं, आने वाले दिनों में सियासी बवंडर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

केंद्रीय अन्वेषन व्यूरो पटना
केंद्रीय अन्वेषन व्यूरो पटना
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Published : Aug 21, 2023, 8:09 AM IST

Updated : Aug 21, 2023, 9:04 AM IST

सृजन घोटाले की जांच में तेजी

पटना: बिहार की राजनीति भ्रष्टाचार और घोटाले के इर्द-गिर्द घूमती है. घोटाला कई बार चुनावी मुद्दा भी बन जाता है. एक बार फिर सृजन घोटाले को लेकर जांच एजेंसियों ने तत्परता दिखाई है. मुख्य अभियुक्त रजनी प्रयाग की गिरफ्तारी के बाद कई राज खुले हैं. कार्यवाही के जद में कई सफेदपोश नौकरशाह और राजनेता हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar Srijan Scam: सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया को पेशी के बाद भेजा गया बेऊर जेल

सृजन घोटाले की जांच में तेजी: दरअसल, साल 2017 में सृजन घोटाले का मामला प्रकाश में आया था और 2500 करोड़ से अधिक का यह घोटाला था. सृजन घोटाले के शुरुआत भागलपुर के तत्कालीन डीएम केपी रमैया के एक पत्र से शुरू हुई थी, जिसमें उन्होंने सरकारी पैसे को सृजन के खाते में रखना की इजाजत दी थी.

2017 में आया था मामला: बिहार सरकार ने मामला सामने आने के बाद साल 2017 में सृजन घोटाले के जांच का सीम्मा सीबीआई को सौंप दिया था, इसके पहले आर्थिक अपराधिकारी जांच कर रही थी 5 साल बीत चुके हैं लेकिन सृजन घोटाला मामले में बड़ी मछली सीबीआई के गिरफ्त से बाहर है. कुछ बैंक से जुड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी जरूर हुई है, लेकिन कई राजनेता और नौकरशाही एविडेंस होने के बावजूद गिरफ्तार नहीं किया जा सके हैं.

दो आईपीएस के खिलाफ प्रमाण: दो सीनियर आईपीएस अधिकारी के खिलाफ प्रत्यक्ष प्रमाण है, लेकिन अभी तक कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की जा सकी है. एक आईपीएस अधिकारी ने सृजन से अपनी सैलरी अकाउंट में पैसा लिया था तो दूसरे ने सृजन के खर्चे पर विदेश दौरा किया था तत्कालीन डीएम केपी रमैया भी सृजन के खर्चे पर विदेश गए थे.

मनोरमा देवी थी मुख्य साजिशकर्ता: सृजन घोटाला मामले में सरकार के स्तर पर भी लापरवाही हुई है. रिजर्व बैंक ने जांच के लिए बिहार सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन ढाई साल तक कोई जांच नहीं हुई. मामला तब प्रकाश में आया जब नगर विकास विभाग का एक चेक बाउंस हो गया. सृजन घोटाले की कर्ता-धर्ता मनोरमा देवी थी. मनोरमा देवी की मौत हो चुकी है और उनके पुत्र अमित कुमार की भी मौत हो चुकी है.

मनोरमा देवी की पुत्रवधू गिरफ्तार: मनोरमा देवी की पुत्रवधू रजनी प्रिया पिछले कुछ साल से फरार चल रही थी लेकिन सीबीआई ने रजनी प्रिया को गिरफ्तार कर लिया है और मिल रही जानकारी के मुताबिक रजनी प्रिया ने कई राज खोले हैं. 300 पन्नों का स्वीकारोक्ति बयान दर्ज किया जा चुका है. रजनी प्रिया सरकारी गवाह बनने के लिए भी तैयार है.

ललन सिंह ने दी अपनी प्रतिक्रिया: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने घोटाले की जांच में आई तेजी को लेकर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि कार्रवाई का हम स्वागत करते हैं. साथ ही साथ ललन सिंह ने कहा है कि भाजपा सीबीआई का इस्तेमाल राजनीतिक तौर पर करती है और जैसे-जैसे चुनाव आते हैं अपने तोते का इस्तेमाल करने लगती है.

ललन सिंह के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार: पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि जब जदयू के हिसाब से काम होता है तो वह सीबीआई की तारीफ करते हैं. जहां तक लालू प्रसाद यादव का सवाल है तो जदयू के लोगों ने ही लालू प्रसाद यादव को फंसाने का काम किया था.

"सीबीआई को जांच में और तेजी लानी चाहिए. 5 साल बीत जाने के बाद भी बड़ी मछलियां गिरफ्त से बाहर है. पूरे मामले में नौकरशाह और राजनेताओं का गठजोड़ है, उसे बेनकाब किया जाना चाहिए. सवाल यह उठता है कि बगैर सरकार के मिली भगत के इतना बड़ा घोटाला कैसे हो सकता है."- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस

सृजन घोटाले की जांच में तेजी

पटना: बिहार की राजनीति भ्रष्टाचार और घोटाले के इर्द-गिर्द घूमती है. घोटाला कई बार चुनावी मुद्दा भी बन जाता है. एक बार फिर सृजन घोटाले को लेकर जांच एजेंसियों ने तत्परता दिखाई है. मुख्य अभियुक्त रजनी प्रयाग की गिरफ्तारी के बाद कई राज खुले हैं. कार्यवाही के जद में कई सफेदपोश नौकरशाह और राजनेता हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar Srijan Scam: सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया को पेशी के बाद भेजा गया बेऊर जेल

सृजन घोटाले की जांच में तेजी: दरअसल, साल 2017 में सृजन घोटाले का मामला प्रकाश में आया था और 2500 करोड़ से अधिक का यह घोटाला था. सृजन घोटाले के शुरुआत भागलपुर के तत्कालीन डीएम केपी रमैया के एक पत्र से शुरू हुई थी, जिसमें उन्होंने सरकारी पैसे को सृजन के खाते में रखना की इजाजत दी थी.

2017 में आया था मामला: बिहार सरकार ने मामला सामने आने के बाद साल 2017 में सृजन घोटाले के जांच का सीम्मा सीबीआई को सौंप दिया था, इसके पहले आर्थिक अपराधिकारी जांच कर रही थी 5 साल बीत चुके हैं लेकिन सृजन घोटाला मामले में बड़ी मछली सीबीआई के गिरफ्त से बाहर है. कुछ बैंक से जुड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी जरूर हुई है, लेकिन कई राजनेता और नौकरशाही एविडेंस होने के बावजूद गिरफ्तार नहीं किया जा सके हैं.

दो आईपीएस के खिलाफ प्रमाण: दो सीनियर आईपीएस अधिकारी के खिलाफ प्रत्यक्ष प्रमाण है, लेकिन अभी तक कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की जा सकी है. एक आईपीएस अधिकारी ने सृजन से अपनी सैलरी अकाउंट में पैसा लिया था तो दूसरे ने सृजन के खर्चे पर विदेश दौरा किया था तत्कालीन डीएम केपी रमैया भी सृजन के खर्चे पर विदेश गए थे.

मनोरमा देवी थी मुख्य साजिशकर्ता: सृजन घोटाला मामले में सरकार के स्तर पर भी लापरवाही हुई है. रिजर्व बैंक ने जांच के लिए बिहार सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन ढाई साल तक कोई जांच नहीं हुई. मामला तब प्रकाश में आया जब नगर विकास विभाग का एक चेक बाउंस हो गया. सृजन घोटाले की कर्ता-धर्ता मनोरमा देवी थी. मनोरमा देवी की मौत हो चुकी है और उनके पुत्र अमित कुमार की भी मौत हो चुकी है.

मनोरमा देवी की पुत्रवधू गिरफ्तार: मनोरमा देवी की पुत्रवधू रजनी प्रिया पिछले कुछ साल से फरार चल रही थी लेकिन सीबीआई ने रजनी प्रिया को गिरफ्तार कर लिया है और मिल रही जानकारी के मुताबिक रजनी प्रिया ने कई राज खोले हैं. 300 पन्नों का स्वीकारोक्ति बयान दर्ज किया जा चुका है. रजनी प्रिया सरकारी गवाह बनने के लिए भी तैयार है.

ललन सिंह ने दी अपनी प्रतिक्रिया: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने घोटाले की जांच में आई तेजी को लेकर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि कार्रवाई का हम स्वागत करते हैं. साथ ही साथ ललन सिंह ने कहा है कि भाजपा सीबीआई का इस्तेमाल राजनीतिक तौर पर करती है और जैसे-जैसे चुनाव आते हैं अपने तोते का इस्तेमाल करने लगती है.

ललन सिंह के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार: पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि जब जदयू के हिसाब से काम होता है तो वह सीबीआई की तारीफ करते हैं. जहां तक लालू प्रसाद यादव का सवाल है तो जदयू के लोगों ने ही लालू प्रसाद यादव को फंसाने का काम किया था.

"सीबीआई को जांच में और तेजी लानी चाहिए. 5 साल बीत जाने के बाद भी बड़ी मछलियां गिरफ्त से बाहर है. पूरे मामले में नौकरशाह और राजनेताओं का गठजोड़ है, उसे बेनकाब किया जाना चाहिए. सवाल यह उठता है कि बगैर सरकार के मिली भगत के इतना बड़ा घोटाला कैसे हो सकता है."- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस

Last Updated : Aug 21, 2023, 9:04 AM IST
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