पटनाः बिहार में तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए साइबर क्राइम प्रिवेंट फॉर वूमेन एंड चिल्ड्रन स्कीम के तहत खास ट्रेनिंग अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत 2200 कैंडिडेट को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें पुलिसकर्मी, जज और प्रॉसिक्यूटर शामिल हैं.
साइबर फ्रॉड तक पहुंचेगी पुलिस
इस ट्रेनिंग में साइबर क्राइम की नई तकनीक के बारे में बताने के साथ-साथ मामले की जांच के तरीके भी बताए जा रहे हैं. इसके अलावा क्राइम में कौन-कौन से ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसकी भी जानकारी दी जा रही है. इस ट्रेनिंग के बाद ऐसे मामलों की जांच आसान हो जाएगी. साइबर अपराधी कहां से और किस तकनीक से लोगों के बैंक खाते में सेंध लगा रहे हैं, पुलिस को इसका भी पता चल सकेगा. इसके साथ-साथ जज और प्रॉसिक्यूटर को भी साइबर क्राइम की बारिकियां बताई जा रही है. इससे मामले की सुनाई में सहुलियत होगी.
ट्रेनिंग में कोरोना गाइड लाइन का हो रहा पालन
ट्रेनिंग देने वाले साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ ने बताया कि 5 दिनों तक चलने वाली यह ट्रेनिंग 3 दिन ऑनलाइन और 2 दिन ऑफलाइन दी जा रही है. इस दौरान कोरोना संबंधित सभी सरकारी गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है. ऑफलाइन ट्रेनिंग के लिए एक दिन में 50 फीसदी कैंडिडेट ही बुलाए जा रहे हैं, शेष कैंडिडेट अलगे दिन आते हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक 650 से अधिक कैंडिडेट की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है.
डिजिटल पेमेंट में बरतें सावधानी
अभिनव सौरभ ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ा है. इससे साइबर अपराध के मामले में भी वृद्धि हुई है. लोगों को नेट बैंकिग, डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन शॉपिंग से संबंधित सावधानियां बरतनी चाहिए. इसके लिए प्रशासन और बैंक समय-समय पर जागरुकता अभियान भी चलाता है.
ई-पोस्टर से किया जा रहा जागरूक
प्रशासन की ओर से साइबर सैनानी नाम से कई व्हाट्स एप ग्रुप चलाए जा रहे हैं. उसके माध्यम से ई-पोस्टर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है. लोगों को ई-पोस्टर के जरिए यह बताया जाता है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. इन एहतियात का पालन कर साइबर अपराध को टाला जा सकता है.