पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Epidemic in Bihar) जब पीक पर था, तब नीतीश सरकार ने 5 मई को लॉकडाउन लगा दिया और मई में ही कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आ गया. विशेषज्ञ वैक्सीनेशन को एक बड़ा कारण मान रहे हैं. बिहार में अब तक एक करोड़ तीन लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाया गया है. सरकार की ओर से बेहतर प्रबंधन का भी दावा हो रहा है. वहीं, विपक्ष कह रहा है कि कोरोना नियंत्रण लॉकडाउन के कारण हुआ, सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है.
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दूसरे स्ट्रेन में तेजी से बढ़े केस
पिछले साल 131 दिन में राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 50 हजार के पार पहुंची थी और 146 दिनों बाद 16 अगस्त 2020 को कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या एक लाख से अधिक हुई थी, जबकि इस साल कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा तो केवल 28 दिनों में 19 अप्रैल को ही संक्रमित की कुल संख्या 50 हजार के पार हो गई और 35 दिनों में एक लाख से अधिक पहुंच गई.
कोरोना नियंत्रण में भी दिखी तेजी
इसके बावजूद पिछले साल के मुकाबले इस बार कोरोना नियंत्रण तेजी से हुआ. मई में कोरोना संक्रमण अपने पिक पर पहुंच गया था और उसी दौरान बिहार में लॉकडाउन लगा और केवल एक महीना के लॉकडाउन में ही कोरोना संक्रमण एक हजार के आसपास पहुंच गया है. इसका बड़ा कारण वैक्सीनेशन और कोरोना जांच भी माना जा रहा है. पिछले साल वैक्सीनेशन नहीं हुआ और इस साल जनवरी से ही वैक्सीनेशन का कार्य होने लगा था.
वहीं, 2020 में 22 मार्च को केवल 148 सैंपल की जांच हुई थी. 5 महीने बाद 13 अगस्त 2020 को पहली बार एक लाख से अधिक सैंपल की जांच हुई थी, जबकि इस बार लॉकडाउन लगने से पहले ही 14 अप्रैल को जांच 1 लाख सैंपल की जांच शुरू हो गई और लगातार उससे अधिक सैंपल की जांच होती रही.
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''बेहतर प्रबंधन, टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट का पिछला अनुभव, जागरूकता अभियान और बेहतर ढंग से वैक्सीनेशन ने इस बार कोरोना नियंत्रण में बड़ी भूमिका निभाई है.''- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री
''सरकार ने इस बार पिछले अनुभव से मिले लाभ और बेहतर प्रबंधन से कोरोना नियंत्रण किया है, लेकिन वैक्सीनेशन की भी भूमिका महत्वपूर्ण है.''- डॉक्टर सुनील सिंह, अध्यक्ष, जदयू चिकित्सा प्रकोष्ठ
''पिछले साल भी लॉकडाउन के कारण कोरोना नियंत्रण में रहा और इस साल भी जब लॉकडाउन लगा तब जाकर कोरोना संक्रमण नियंत्रण में हुआ, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं रही. सरकार अपनी पीठ भले ही थपथपाये, लेकिन लॉकडाउन के कारण ही लोगों को राहत मिली''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी
''वैक्सीनेशन ने इस बार कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि जनवरी से लेकर अभी तक लाखों लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है और इस बार का कोरोना संक्रमण हमारे लिए चेतावनी भी है कि जल्द से जल्द हम 70% लोगों को वैक्सीनेट कर दें, नहीं तो तीसरा वेव मुश्किलें पैदा करेगा.''- डॉ. अजय कुमार, अध्यक्ष, बिहार आईएमए
''पिछले साल के मुकाबले इस बार का कोरोना वायरस डबल म्युटेंट था, जो ज्यादा खतरनाक था. लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस बार लेबर का माइग्रेशन कम हुआ. वैक्सीनेशन भी काफी लोगों का हो चुका है, उसका भी असर दिखा और इस बार अचानक संक्रमण पीक पर पहुंच गया और यह भी एक कारण था कि जो जल्दी पीक पर जाता है, वह तुरंत नीचे आता है.''- डॉ. राजीव रंजन, विशेषज्ञ चिकित्सक
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बिहार में टीकाकरण- कुल टीकाकरण 1 करोड़ 3 लाख
- पहला डोज 83 लाख 94 हजार
- दूसरा डोज 19 लाख 81 हजार
वैक्सीनेशन तेजी से करने की सलाह
पिछले साल 146 दिनों में 537 कोरोना संक्रमित की मौत हुई थी, लेकिन इस साल 2 महीने में मौत का सरकारी आंकड़ा 5163 से अधिक हो चुका है. विशेषज्ञ वैक्सीनेशन तेजी से करने की सलाह दे रहे हैं. बिहार की आबादी 13 करोड़ के आसपास है, जिसमें से 18 से अधिक उम्र के लगभग 8 करोड़ लोगों को टीका लगाना है. बिहार में दो करोड़ 44 लाख की आबादी 45 से ऊपर वालों की है, तो वहीं 18 से 44 वर्ष के लोगों की आबादी 5 करोड़ 47 लाख है.
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वैक्सीनेशन की बड़ी भूमिका
45 से ऊपर वाले लोगों की बड़ी आबादी को टीका लग चुका है. हालांकि, जनवरी से ही बिहार में भी टीकाकरण का काम हो रहा है. लेकिन जून और जुलाई में टीकाकरण का अभियान और तेज होगा. सरकार के कोरोना नियंत्रण में बेहतर प्रबंधन के दावे भले हो और विपक्ष की ओर से सरकार को फेल बताया जा रहा हो, लेकिन कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में इस बार वैक्सीनेशन की बड़ी भूमिका विशेषज्ञ मान रहे हैं और इसलिए आगे भी तेजी से वैक्सीनेशन करने की सलाह दे रहे हैं.