पटना : कहते हैं असफलता ही सफलता की कुंजी (People Succeed Even If They Fail) होती है. पर कम उम्र के बच्चे इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं. स्कूल से लेकर घर तक उन्हें इसकी सीख दी जाती है. पर कई बार छात्र गलत कदम उठा लेते हैं. देश में जब भी 10वीं और 12वीं बोर्ड का रिजल्ट आता है तो कई ऐसी खबरें आती हैं जहां रिजल्ट खराब होने पर छात्र छात्राएं आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते हैं. उनके इस गलत कदम से माता पिता और परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. सवाल उठता है जब स्कूलों में खासकर सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के द्वारा काउंसलिंग भी की जाती है तो छात्र ऐसे कदम क्यों उठाते हैं.
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CISF कमांडेंट के बेटे ने की खुदकुशी : हाल ही में सीबीएसई 12वीं परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ. रिजल्ट में फेल होने पर नालंदा के हिलसा के खोरामपुर मोहल्ला मे रहने वाले सीआईएसएफ कमांडेंट भानु पासवान के 17 वर्षीय पुत्र सूरज ने खुदकुशी कर ली. उसने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सूरज के इस कदम से माता पिता और परिजन गहरे दुख और सदमे में है. महावीर मुंबई में रहकर पढ़ाई करता था. दो दिन पहले मुंबई से किसी काम से नालंदा अपने पैतृक घर आया था. शुक्रवार को सीबीएसई बोर्ड 12वीं का परिणाम घोषित हुआ और उसका रिजल्ट खराब हो गया. जिसके बाद छात्र के सीआईएसएफ(CISF) पदाधिकारी पिता ने उससे रिजल्ट के बारे में पूछा था. खराब रिजल्ट की बात सुनकर पिता ने उसे समझाया था. हालांकि, छात्र फेल होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सका और कमरे में लटककर खुदकुशी कर ली.
सुसाइड नोट छोड़कर घर से निकल गयी : वहीं दूसरी तरफ,मुजफ्फरपुर में मैट्रिक की परीक्षा में कम नंबर आने के चलते 16 साल की छात्रा (Girl Wrote a Suicide note and missing in Muzaffarpur) घर से लापता हो गई, जिसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया है. घटना के बाद छात्रा ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा, जिसमें लिखा है. 'मेहरबानी करके मेरी लाश को मत ढूंढिएगा'. मामला जिले के भगवानपुर के गणेशदत्त नगर का है. छात्रा की पहचान श्रेया कुमारी के रूप में की गई. वो तुर्की ओपी थाना (Turki police station) के कफेन में अपने ननिहाल से लापता हुई है. परिजनों ने पुलिस को सूचना दे दी है. श्रेया को 59% मार्क्स आये थे, इससे वो मायूस रहने लगी थी.
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बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट ही जीवन में सब कुछ नहीं : जब भी बोर्ड परीक्षा के परिणाम आते हैं उसके बाद इस प्रकार की हृदय विदारक घटनाएं यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या जीवन में बोर्ड का रिजल्ट ही सब कुछ है. बोर्ड के रिजल्ट में अच्छे अंक नहीं आने पर अक्सर छात्र गहरे डिप्रेशन में चले जाते हैं. ऐसे में कम अंक या असफलता प्राप्त करने वाले छात्र डिप्रेशन में ना चले जाएं और डिप्रेशन में कुछ गलत कदम ना उठा ले इसके लिए कई आईएएस और आईआरएस ऑफीसर अपने बोर्ड परीक्षा का खराब रिजल्ट सोशल साइट पर शेयर कर बच्चों को प्रेरित कर रहे हैं. वह बता रहे हैं कि बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट ही जीवन में सब कुछ नहीं है. इस परीक्षा के बाद भी जीवन में बेहतर करने के समान अवसर खुले हुए हैं.
कई बार मिली असफलता पर IAS हार नहीं माने : दलसिंहसराय के रहने वाले आईएएस ऑफिसर अविनाश कुमार शरण ने बोर्ड रिजल्ट जारी होने पर अपने दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट ट्वीट किया. उन्होंने अपने ट्वीट पोस्ट में बताया कि दसवीं में उन्हें 44.7%, 12वीं में 65% और ग्रेजुएशन में 60% अंक प्राप्त हुए. सीडीएस की परीक्षा में भी वह फेल हुए. 10 बार राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में असफलता मिली. इसके बाद भी वह हार नहीं माने. कठिन परिश्रम से यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास में ही इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन वहां उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया. जिसके बाद दूसरे प्रयास में उन्हें ऑल इंडिया रैंक 77 प्राप्त हुआ. उनके इस ट्वीट को 12000 बार से अधिक रिट्वीट किया जा चुका है और एक लाख के करीब उस पर कमेंट आ चुके हैं.
एक यूजर राजीव सिंह ने इसपर रीट्वीट किया, ''बेशक जिंदगी के संघर्ष में हार का सामना करना पड़ता है और मानसिक तनाव का भी. हमें इन सब चीजों से निकल कर अपने हार से ही सीखना चाहिए. जब दृढ़ निश्चय मजबूत हो तो एक दिन जीत खुद चल कर आता है. आपको देखने की वो इंसान कैसा है जो इतनी हार से अब तब तक टूटा नहीं.''
दूसरे यूजर कृष्ण कुमार ने लिखा, ''फेल होना रुकना नहीं बल्कि बहुत आगे बढ़ जाना है, बहुत ही प्रेरक प्रसंग अवनीश सर.''
फेल होने से घबराना नहीं है : केंद्र में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय में कार्यरत आईएएस अधिकारी राजकुमार दिग्विजय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फॉर एक लंबा पोस्ट लिख करके अपने मैट्रिक और इंटरमीडिएट का मार्कशीट शेयर किया है. उन्होंने अपने पोस्ट में बोर्ड के रिजल्ट के बारे में लिखा है कि अभी जिंदगी का यह पहला और दूसरा इम्तिहान है दोस्तों, आगे जिंदगी पूरी इम्तहानों से भरा है. जीवन में कम अंक प्राप्त करने, कई बार फेल होने के बाद भी आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं. उन्होंने बताया है कि, ''पहली बार सातवीं कक्षा में फेल हुए, फिर ग्रेजुएशन जैसे-तैसे पास किए, फिर सिविल सर्विसेज परीक्षा में फेल हुए, लेकिन निरंतर प्रयास से अंततः सफल हुए.'' राजकुमार दिग्विजय जो आईआरएस 2004 बैच के हैं उनके मार्कशीट और पोस्ट को केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय के मंत्री गिरिराज सिंह ने भी साझा किया है और बच्चों से अपील किया है कि तैयार हो जाइए, उज्जवल भविष्य आपका इंतजार कर रहा है.
''बोर्ड रिजल्ट खराब आने पर आत्महत्या जैसे गलत कदम के मामले पहले की तुलना में अभी कम हुए हैं. अभिभावक अब थोड़ा समझदार हो गए हैं लेकिन अभी भी इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं. आज कितने अभिभावक अपने बच्चों को लिबर्टी अधिक तो दे रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं अपने बच्चों से एक्सपेक्टेशन भी रख रहे हैं. लिबर्टी और एक्सपेक्टेशन के बीच सही सामंजस्य न बन पाने की वजह से बच्चे अपने रिजल्ट को लेकर अतिरिक्त दबाव ले ले रहे हैं जो उन्हें डिप्रेशन में ला दे रहा है. डिप्रेशन में आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा ले रहे हैं.''- डॉक्टर राजीव कमल नयन, प्राध्यापक, एएन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान केंद्र
आत्मविश्वास को मजबूत करने की जरूरत : राजीव कमल नयन ने आगे कहा कि जीवन में दसवीं और बारहवीं का मार्क्स सब कुछ नहीं है. बेशक यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है लेकिन इसके बाद भी जीवन में कई एग्जाम देने होते हैं. अगर 10वीं और 12वीं के रिजल्ट बेहतर नहीं आता है तो बच्चों को उनके पास पूरा अवसर है कि वह ग्रेजुएशन और पीजी में अच्छा मार्क्स ला सके. अपने लगन और मेहनत की बदौलत जीवन में जो ऊंचाई छूना चाहते हैं वह ऊंचाई को प्राप्त कर सकते हैं. समाज में कई ऐसे उदाहरण हैं कि शुरुआती समय में लोग पढ़ने में कमजोर थे. 10वीं 12वीं में उनके मार्क्स अच्छे नहीं रहे लेकिन जब से उन्होंने पढ़ने का निश्चय किया और एक लक्ष्य तैयार किया, उस लक्ष्य को वह प्राप्त कर लिए. ऐसे उदाहरणों को छात्र देखें, पढ़ें लिखे और उनसे समझे. ऐसे उदाहरण उनके आत्मविश्वास को मजबूत करेंगे और उन्हें बेहतर करने की प्रेरणा देंगे.
''परीक्षा देने के बाद बच्चों के ऊपर प्रेशर खुद का भी होता है, उनके फैमिली का भी होता है और उनके सोसाइटी का भी होता है. कई बार जब बच्चे का रिजल्ट खराब होता है तो घर परिवार में उसे ताना दिया जाता है, जिसे बच्चा बर्दाश्त नहीं कर पाता और सोचता है कि वह अपनी जीवन लीला को ही समाप्त कर ले. कई बार इसकी कोशिश भी कर लेता है जो सरासर गलत है. बच्चों और उनके परिवार वालों को यह समझना होगा कि परीक्षा में नंबर कम आना या ज्यादा आना हीं उनके जीवन को डिसाइड नहीं करता है.''- डॉ बिंदा सिंह, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट
निरंतर मेहनत और धैर्य की आवश्यकता : डॉ बिंदा सिंह ने आगे बताया कि वह हाल ही में बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों से अपील करेंगी कि अब आगे जीवन में अपने परिवार के लिए अपने समाज के लिए पढ़ने के बजाय खुद के लिए पढ़ने का प्रयास करें. जिस विषय में रुचि है उस विषय की पढ़ाई करें और जबरदस्ती कोई विषय ना पढ़े. आज जीवन में हर क्षेत्र में लोग आगे बढ़ रहे हैं और कैरियर बना रहे हैं. ऐसे में बच्चे खुलकर के अपने माता-पिता से बात करें कि वह जीवन में क्या करना चाहते हैं. किस विषय की पढ़ाई में उन्हें मन लगता है. माता पिता के लिए भी जरूरी है कि बच्चों की बातों को गौर से सुनें और उन्हें मोटिवेट करें. जिस क्षेत्र में बच्चे आगे बढ़ना चाहते हैं उसमें उन्हें पूरा सपोर्ट करें. बच्चों को यह भी समझना होगा कि सफलता 1 दिन के प्रयास में हाथ नहीं लगती, बल्कि इसके लिए निरंतर प्रयास करना होता है. सफलता पाने के लिए लगन, निरंतर मेहनत और धैर्य की आवश्यकता होती है. किसी रिजल्ट में खराब प्रदर्शन करने पर छात्र अधीर ना हो बल्कि आगे बेहतर करने का संकल्प लें.