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इंटरनेशनल कोच पाकर बिहार के रग्बी प्लेयर्स का जोश हाई, बोले- 'अब लाकर रहेंगे गोल्ड' - etv news in hindi

बिहार में जब सर्वे किया गया तो पाया गया कि सभी खेलों में खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन रग्बी (Rugby Players In Bihar) में बिहारी बच्चों का कोई जवाब नहीं है. ऐसे में आने वाले सीनियर और जूनियर नेशनल रग्बी चैंपियनशिप के लिए इन खिलाड़ियों को ट्रेंड करने के लिए साउथ अफ्रीका से दो बेहतरीन कोच बुलाए गए हैं. पटना में स्किल और स्पीड की टेक्निक सीख रहे खिलाड़ियों का कहना है कि अब हम गोल्ड लाकर रहेंगे. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

South Africa Coach Training In Patna
South Africa Coach Training In Patna
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Published : Jun 2, 2022, 6:39 PM IST

पटना: बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है और न ही कोई जल्दी बिहार की प्रतिभा को टक्कर दे सकता है. चाहे वह कोई भी फील्ड क्यों ना हो. हर फील्ड में अपनी धाक जमा चुके बिहारी अब रग्बी जैसे खेल में भी अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए तैयार हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि रग्बी ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक शक्ति के साथ ही चुस्ती और फुर्ती का भी बराबर तालमेल होना चाहिए, जिसे लेकर बिहार सरकार ने एक जबरदस्त निर्णय लिया है जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल पहली बार बिहार की प्रतिभा को निखारने के लिए विदेश से 2 कोच (South Africa Coach Training In Patna) को बुलाया गया है जो लगातार अपनी देखरेख में बिहारी प्रतिभा को निखार रहे हैं.

पढ़ें- वाह क्या बात है! स्पेन से लौटे फुटबॉलर बेटे के लिए बना दिया 'टर्फ एरिना', मैदान की खासियत जान हो जाएंगे हैरान

बिहार के खिलाड़ियों को निखार रहे अंतरराष्ट्रीय कोच: राजधानी के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कंपलेक्स (Rugby Training In Patliputra Sports Complex) में पिछले कई दिनों से हर रोज सुबह और शाम साउथ अफ्रीका से आए दो रग्बी के कोच ( African Coach In Patna ) अपनी देखरेख में बच्चों की नई पौध को सवार रहे हैं. दरअसल यह पहला मौका है जब बिहार के बच्चों में रग्बी के प्रति जोश को देखते हुए साउथ अफ्रीका से 2 कोच को ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया है. यह दोनों अपनी देखरेख में रग्बी खेल कि हर बारीकी को बच्चों के साथ शेयर कर रहे हैं और खुद उनके साथ खेल भी रहे हैं ताकि बारीकियों को बताने के साथ बच्चों में खेल प्रतिभा और जोश भी बढ़ सके.

कोच को 6 लाख रुपये वेतन: बता दें कि 9 से 12 जून तक राजधानी में सीनियर नेशनल रग्बी (Senior national rugby championship in patna) और 17 से 19 जून तक जूनियर नेशनल रग्बी कंपटीशन ( Junior National Rugby Championship In Patna) का आयोजन किया जाने वाला है. बिहार रग्बी एसोसिएशन ने हाल ही में दो अंतरराष्ट्रीय कोचों को खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए पटना बुलाया है. कोच को 6 लाख रुपये का वेतन दिया जा रहा है. दोनों कोच को दो महीने में 12 लाख रुपये वेतन दिया जाएगा. यह संभवत: पहली बार है जब अंतरराष्ट्रीय कोच खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.

'बिहार के बच्चों में रग्बी के प्रति दिखी दीवानगी': दरअसल इस यूनिक पहल के पीछे बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के डीजी सह बिहार एटीएस के एडीजी रविंद्रन शंकरण का हाथ है. उन्होंने बिहार की वैसी प्रतिभाओं को देखा जिनको अगर उचित ट्रेनिंग में मार्ग दर्शन दिया जाए तो वह रग्बी जैसे खेल में सूबे का नाम रोशन कर सकते हैं. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत करते हुए रविंद्रन शंकरण कहते हैं, बिहार सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि सन 2028 तक हमारे बिहार के बच्चे में से एक या दो भारतीय टीम में शामिल हों.फिर हमने रिसर्च किया तो पता चला कि रग्बी में हमारे पास टैलेंट है. उनको बस ग्रूम करने की जरूरत है.

"राज्य सरकार द्वारा कहा गया कि खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए विदेश से भी कोच बुलाया जा सकता है. हुनर वाले बच्चे को ट्रेनिंग के लिए बाहर भी भेजा जा सकता है. इसके बाद हमने इंडियन रग्बी व बिहार रग्बी एसोसिएशन के साथ मिलकर और विचार करके साउथ अफ्रीका से 2 कोच को बुलाया है. हमारी सभी टीम को कोचिंग कराने के लिए दोनों कोच आए हैं. यह 1 माह की ट्रेनिंग है. इसमें दो चीजें हैं पहला आने वाले नेशनल चैंपियनशिप में हमारा बिहार राज्य पदक जीते वहीं, दूसरा बिहारी बच्चों का टैलेंट पहचान में आए."- रविंद्रन शंकरण,डीजी, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

"यह सब हमारे डीजी के प्रयास का फल है कि साउथ अफ्रीका से हमारे पास कोच आए हैं. जब उनको पता चला कि सीनियर व जूनियर नेशनल चैंपियनशिप होने वाली है तो उन्होंने विदेश से कोच बुलाने की बात कही. सभी खिलाड़ियों को बाहर भेजना संभव नहीं है. यह टीम गेम है. उन्होंने हमें सुविधा दी है. इन दोनों को ₹6 लाख सैलरी पर बुलाया गया है."- पंकज कुमार, महासचिव, रग्बी फुटबॉल एसोसिएशन ऑफ बिहार

'बोले कोच- बिहार के बच्चे बहुत प्रतिभाशाली हैं': ईटीवी भारत के साथ विशेष बात करते हुए साउथ अफ्रीका के कोच जॉन डरे न्यूडे कहते हैं कि सारे बच्चे बेहतर हैं. बस केवल फुटवर्क व स्पीड पर ध्यान देना है. आने वाले वक्त में बड़ा आयोजन है. इसी की तैयारी की जा रही है. वहीं दूसरे कोच कियानो फोरी कहते हैं, इन बच्चों में बहुत टैलेंट है. सभी जल्दी सीख जा रहे हैं. इनको प्रैक्टिस करना देखना अच्छा लग रहा है.

"सभी बहुत टैलेंटेड हैं. फिटनेस भी अच्छा है. हमें कुछ चीजों पर काम करना है. हमें फिटनेस और स्पीड पर ध्यान देना होगा. इन चीजों पर काम करने से सब सेट हो जाएगा. मुझे इस टूर्नामेंट से काफी उम्मीदें हैं. हम इन सभी को तैयार कर रहे हैं."- जॉन डरे न्यूडे, रग्बी कोच

"इन बच्चों में बहुत टैलेंट है. सभी जल्दी सीख जा रहे हैं. कोच होने के नाते इनको प्रैक्टिस करना देखना अच्छा लग रहा है. देखना होगा कि कौन यंग है. हमारे बच्चे खेलने के लिए रेडी हैं. जो बच्चे बेहतर दिखे उन्हें जरूर प्रमोट करने की जरूरत है."- कियानो फोरी, रग्बी कोच

वहीं खिलाड़ी भी कोच द्वारा दी जा रही ट्रेनिंग से काफी खुश हैं. उनका कहना है कि कोच जो टेक्निक बताते हैं वो हमें पहले कभी नहीं सिखाया गया था. राज्य सरकार के कारण हमें उम्मीद जगी है. इस बार गोल्ड मेडल जरूर लाएंगे.

"नए कोच नए स्किल को बता रहे हैं, जो हमें पहले नहीं पता था. बहुत कुछ नई चीजें सीखने को मिल रही है. नए स्किल से हम दूसरे टीम को हराने में सफल होंगे. राज्य सरकार भी हमारी मदद कर रही है तो हम राज्य को गोल्ड मेडल जरूर देंगे."- आरती कुमारी, रग्बी खिलाड़ी

"इनकी तकनीक भारतीय कोच की तकनीक से अलग है. इनका बॉल पासिंग का तरीका अलग है, डिफेंस अलग है. हाई परफारमेंस है. हम लोगों के पास स्पीड बहुत है केवल स्किल की कमी है लेकिन इस बार उम्मीद है कि बिहार की टीम मेडल के लिए फाइट करेगी."- गौरव कुमार,रग्बी खिलाड़ी

पढ़ें- Year Ender 2021: बिहार के खिलाड़ियों का दुनिया ने माना लोहा, अपनी प्रतिभा से बढ़ाया देश और प्रदेश का मान

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पटना: बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है और न ही कोई जल्दी बिहार की प्रतिभा को टक्कर दे सकता है. चाहे वह कोई भी फील्ड क्यों ना हो. हर फील्ड में अपनी धाक जमा चुके बिहारी अब रग्बी जैसे खेल में भी अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए तैयार हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि रग्बी ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक शक्ति के साथ ही चुस्ती और फुर्ती का भी बराबर तालमेल होना चाहिए, जिसे लेकर बिहार सरकार ने एक जबरदस्त निर्णय लिया है जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल पहली बार बिहार की प्रतिभा को निखारने के लिए विदेश से 2 कोच (South Africa Coach Training In Patna) को बुलाया गया है जो लगातार अपनी देखरेख में बिहारी प्रतिभा को निखार रहे हैं.

पढ़ें- वाह क्या बात है! स्पेन से लौटे फुटबॉलर बेटे के लिए बना दिया 'टर्फ एरिना', मैदान की खासियत जान हो जाएंगे हैरान

बिहार के खिलाड़ियों को निखार रहे अंतरराष्ट्रीय कोच: राजधानी के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कंपलेक्स (Rugby Training In Patliputra Sports Complex) में पिछले कई दिनों से हर रोज सुबह और शाम साउथ अफ्रीका से आए दो रग्बी के कोच ( African Coach In Patna ) अपनी देखरेख में बच्चों की नई पौध को सवार रहे हैं. दरअसल यह पहला मौका है जब बिहार के बच्चों में रग्बी के प्रति जोश को देखते हुए साउथ अफ्रीका से 2 कोच को ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया है. यह दोनों अपनी देखरेख में रग्बी खेल कि हर बारीकी को बच्चों के साथ शेयर कर रहे हैं और खुद उनके साथ खेल भी रहे हैं ताकि बारीकियों को बताने के साथ बच्चों में खेल प्रतिभा और जोश भी बढ़ सके.

कोच को 6 लाख रुपये वेतन: बता दें कि 9 से 12 जून तक राजधानी में सीनियर नेशनल रग्बी (Senior national rugby championship in patna) और 17 से 19 जून तक जूनियर नेशनल रग्बी कंपटीशन ( Junior National Rugby Championship In Patna) का आयोजन किया जाने वाला है. बिहार रग्बी एसोसिएशन ने हाल ही में दो अंतरराष्ट्रीय कोचों को खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए पटना बुलाया है. कोच को 6 लाख रुपये का वेतन दिया जा रहा है. दोनों कोच को दो महीने में 12 लाख रुपये वेतन दिया जाएगा. यह संभवत: पहली बार है जब अंतरराष्ट्रीय कोच खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.

'बिहार के बच्चों में रग्बी के प्रति दिखी दीवानगी': दरअसल इस यूनिक पहल के पीछे बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के डीजी सह बिहार एटीएस के एडीजी रविंद्रन शंकरण का हाथ है. उन्होंने बिहार की वैसी प्रतिभाओं को देखा जिनको अगर उचित ट्रेनिंग में मार्ग दर्शन दिया जाए तो वह रग्बी जैसे खेल में सूबे का नाम रोशन कर सकते हैं. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत करते हुए रविंद्रन शंकरण कहते हैं, बिहार सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि सन 2028 तक हमारे बिहार के बच्चे में से एक या दो भारतीय टीम में शामिल हों.फिर हमने रिसर्च किया तो पता चला कि रग्बी में हमारे पास टैलेंट है. उनको बस ग्रूम करने की जरूरत है.

"राज्य सरकार द्वारा कहा गया कि खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए विदेश से भी कोच बुलाया जा सकता है. हुनर वाले बच्चे को ट्रेनिंग के लिए बाहर भी भेजा जा सकता है. इसके बाद हमने इंडियन रग्बी व बिहार रग्बी एसोसिएशन के साथ मिलकर और विचार करके साउथ अफ्रीका से 2 कोच को बुलाया है. हमारी सभी टीम को कोचिंग कराने के लिए दोनों कोच आए हैं. यह 1 माह की ट्रेनिंग है. इसमें दो चीजें हैं पहला आने वाले नेशनल चैंपियनशिप में हमारा बिहार राज्य पदक जीते वहीं, दूसरा बिहारी बच्चों का टैलेंट पहचान में आए."- रविंद्रन शंकरण,डीजी, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

"यह सब हमारे डीजी के प्रयास का फल है कि साउथ अफ्रीका से हमारे पास कोच आए हैं. जब उनको पता चला कि सीनियर व जूनियर नेशनल चैंपियनशिप होने वाली है तो उन्होंने विदेश से कोच बुलाने की बात कही. सभी खिलाड़ियों को बाहर भेजना संभव नहीं है. यह टीम गेम है. उन्होंने हमें सुविधा दी है. इन दोनों को ₹6 लाख सैलरी पर बुलाया गया है."- पंकज कुमार, महासचिव, रग्बी फुटबॉल एसोसिएशन ऑफ बिहार

'बोले कोच- बिहार के बच्चे बहुत प्रतिभाशाली हैं': ईटीवी भारत के साथ विशेष बात करते हुए साउथ अफ्रीका के कोच जॉन डरे न्यूडे कहते हैं कि सारे बच्चे बेहतर हैं. बस केवल फुटवर्क व स्पीड पर ध्यान देना है. आने वाले वक्त में बड़ा आयोजन है. इसी की तैयारी की जा रही है. वहीं दूसरे कोच कियानो फोरी कहते हैं, इन बच्चों में बहुत टैलेंट है. सभी जल्दी सीख जा रहे हैं. इनको प्रैक्टिस करना देखना अच्छा लग रहा है.

"सभी बहुत टैलेंटेड हैं. फिटनेस भी अच्छा है. हमें कुछ चीजों पर काम करना है. हमें फिटनेस और स्पीड पर ध्यान देना होगा. इन चीजों पर काम करने से सब सेट हो जाएगा. मुझे इस टूर्नामेंट से काफी उम्मीदें हैं. हम इन सभी को तैयार कर रहे हैं."- जॉन डरे न्यूडे, रग्बी कोच

"इन बच्चों में बहुत टैलेंट है. सभी जल्दी सीख जा रहे हैं. कोच होने के नाते इनको प्रैक्टिस करना देखना अच्छा लग रहा है. देखना होगा कि कौन यंग है. हमारे बच्चे खेलने के लिए रेडी हैं. जो बच्चे बेहतर दिखे उन्हें जरूर प्रमोट करने की जरूरत है."- कियानो फोरी, रग्बी कोच

वहीं खिलाड़ी भी कोच द्वारा दी जा रही ट्रेनिंग से काफी खुश हैं. उनका कहना है कि कोच जो टेक्निक बताते हैं वो हमें पहले कभी नहीं सिखाया गया था. राज्य सरकार के कारण हमें उम्मीद जगी है. इस बार गोल्ड मेडल जरूर लाएंगे.

"नए कोच नए स्किल को बता रहे हैं, जो हमें पहले नहीं पता था. बहुत कुछ नई चीजें सीखने को मिल रही है. नए स्किल से हम दूसरे टीम को हराने में सफल होंगे. राज्य सरकार भी हमारी मदद कर रही है तो हम राज्य को गोल्ड मेडल जरूर देंगे."- आरती कुमारी, रग्बी खिलाड़ी

"इनकी तकनीक भारतीय कोच की तकनीक से अलग है. इनका बॉल पासिंग का तरीका अलग है, डिफेंस अलग है. हाई परफारमेंस है. हम लोगों के पास स्पीड बहुत है केवल स्किल की कमी है लेकिन इस बार उम्मीद है कि बिहार की टीम मेडल के लिए फाइट करेगी."- गौरव कुमार,रग्बी खिलाड़ी

पढ़ें- Year Ender 2021: बिहार के खिलाड़ियों का दुनिया ने माना लोहा, अपनी प्रतिभा से बढ़ाया देश और प्रदेश का मान

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