पटना: बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को ज्ञान भवन में कुशल युवा प्रोग्राम के छठे वर्षगांठ का आयोजन (Sixth anniversary of skilled youth program) किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश के भूमि एवं राजस्व विभाग के मंत्री आलोक मेहता मौजूद रहे. कुशल युवा प्रोग्राम के तहत इस साल दोगुने युवाओं को तकनीकी एवं कौशल शिक्षा कार्यक्रम से जोड़ने का संकल्प लिया गया. कुशल युवा प्रोग्राम के तहत बीते 6 वर्षों में अब तक 12 लाख बच्चों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है और 6 लाख बच्चों का कौशल प्रशिक्षण कार्य चल रहा है.
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मानवसंसाधन के विकास में बेहतरीन पहल: कार्यक्रम के बारे में बताते हुए प्रदेश की भूमि एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग के तत्वधान में बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन के तहत संचालित कुशल युवा कार्यक्रम मानव संसाधन के विकास में उठता हुआ एक बेहतरीन कदम है. जब इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी तभी से उनकी नजर है और उस समय वह सहकारिता मंत्री थे. कुशल युवा कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को सॉफ्ट और कंप्यूटर की स्किल का प्रशिक्षण दिया जाता है जो अभी के समय में बेहद जरूरी है.
मनीऑर्डर स्टेट के युवाओं काे होगा फायदाः आलोक मेहता ने कहा कि मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के अंतर्गत आर्थिक हल युवाओं को बल के तहत यह एक महत्वपूर्ण योजना है. इससे प्रदेश के युवा कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार से जुड़ेंगे. बिहार पूर्व से मनीआर्डर स्टेट रहा है. इसका मतलब है कि यहां की युवा दूसरे प्रदेशों में जाकर कमाते हैं और वहां से पैसा बिहार भेजते हैं. इससे परीक्षण प्राप्त कर दूसरे जगह पर जाकर युवा रोजगार करेंगे और प्रदेश में पैसा भेजेंगे जिससे प्रदेश का आर्थिक विकास भी होगा और प्रदेश समृद्ध होगा.
"बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग के तत्वधान में बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन के तहत संचालित कुशल युवा कार्यक्रम मानव संसाधन के विकास में उठता हुआ एक बेहतरीन कदम है. बिहार पूर्व से मनीआर्डर स्टेट रहा है. इसका मतलब है कि यहां की युवा दूसरे प्रदेशों में जाकर कमाते हैं और वहां से पैसा बिहार भेजते हैं. इससे परीक्षण प्राप्त कर दूसरे जगह पर जाकर युवा रोजगार करेंगे और प्रदेश में पैसा भेजेंगे" -आलोक कुमार मेहता, मंत्री बिहार सरकार
छह महीने का होता है प्रशिक्षण कार्यक्रम: कुशल युवा प्रोग्राम सेंटर ऑनर्स एसोसिएशन के मीडिया कोऑर्डिनेटर प्रदीप कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम 6 महीने का प्रोग्राम है जो छात्र छात्राओं के लिए पूरी तरह निशुल्क है. इसमें कंप्यूटर की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है, सॉफ्ट स्किल की ट्रेनिंग दी जाती है और मूल रूप से कहे तो यह एक पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम है. इसमें बच्चों को बेहतर जीविकोपार्जन के लिए कॉरपोरेट्स स्तर पर प्रयोग की जाने वाली भाषाओं से अवगत कराया जाता है और उन्हें इंग्लिश स्पोकन का बेसिक ज्ञान दिया जाता है.
जीविकोपार्जन के सिखाए जाते हैं गुरः उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से प्लस टू पास कर चुके बच्चे हीं जुड़ सकते हैं. प्रदेश भर में इसके 1792 सेंटर हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को कंप्यूटर के बेसिक ज्ञान से अवगत कराया जाता है. जो बच्चे कभी माउस का उपयोग नहीं किए रहते हैं, उन्हें हैंडल करना सिखाया जाता है और बाहर जाएं तो लोगों से कैसे बात करें इन सब बातों को सिखाया जाता है ताकि उन्हें रोजगार प्राप्त करने में कोई दिक्कत ना हो, छोटा-मोटा इंटरव्यू फेस करने में दिक्कत ना हो. उन्होंने बताया कि आने वाले विगत 5 वर्षों में एक करोड़ बच्चों को इस कौशल से प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है.
"इस कार्यक्रम 6 महीने का प्रोग्राम है जो छात्र छात्राओं के लिए पूरी तरह निशुल्क है. इसमें कंप्यूटर की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है, सॉफ्ट स्किल की ट्रेनिंग दी जाती है और मूल रूप से कहे तो यह एक पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम है. इसमें बच्चों को बेहतर जीविकोपार्जन के लिए कॉरपोरेट्स स्तर पर प्रयोग की जाने वाली भाषाओं से अवगत कराया जाता है" -प्रदीप कुमार, मीडिया कोऑर्डिनेटर, केवाईपी