पटना: राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने केंद्र सरकार पर दलितों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान जैसे आईआईटी, आईआईएम एवं सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में एडमिशन में बड़े पैमाने पर पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण मामले की अवहेलना केंद्र में बैठी हुई मोदी सरकार कर रही है.
'दलितों के आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्र': श्याम रजक ने कहा कि अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल के द्वारा जब आरटीआई दायर की गई तो याचिका में पता चला कि सुनियोजित तरीके से आईआईटी, आईआईएम और सेंट्रल यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर पिछड़े वर्ग, दलित वर्ग एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों को एडमिशन दिया गया है. उन्होंने कहा कि इन सीटों पर बिहार के भी कई छात्रों ने आवेदन किया था. कहा कि सीधे तौर पर पिछड़े और दलित छात्रों के साथ हकमारी की गई है.
आईआईटी मुंबई में इन जातियों की संख्या में कमी: श्याम रजक ने आरोप लगाया कि आईआईटी मुंबई में इस साल 2023 में दलितों के लिए आरक्षित सीटों में सिर्फ 9% और अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में सिर्फ तीन प्रतिशत पर एडमिशन लिया गया है जबकि आरक्षित वर्गों के बहुतायत संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था और इंटरव्यू भी दिया था श्याम रजक ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जहां एक तरफ दलित को आगे बढ़ाने की बात कर रही है वहीं आरक्षण के प्रावधान के बावजूद ऐसे छात्रों का एडमिशन नहीं हो रहा है.
राष्ट्रपति से करेंगे शिकायत: आईआईटी मुंबई के पांच विभागों में पिछले 8 साल में एक भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्र का पीएचडी कोर्स में एडमिशन नहीं किया गया है, जिससे मोदी सरकार पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम इसको लेकर राष्ट्रपति को पत्र भी लिखेंगे कि किस तरह से मोदी सरकार आरक्षण की अवहेलना कर रही है.
"महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसकी शिकायत करेंगे कि किस तरह से मोदी सरकार दलितों, पिछड़ा और अति-पिछड़ा के साथ भेदभाव कर रही है. सरकार की तरफ से आरक्षण की अवहेलना की जा रही है. इसकी जांच की भी मांग करेंगे."- श्याम रजक, राष्ट्रीय महासचिव, राजद
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