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पटना समेत देशभर में धूमधाम से मनाई गयी श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी

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Published : Aug 31, 2021, 8:09 AM IST

देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे धूमधाम के साथ मनाई गयी. कोरोना महामारी के बाद पहली बार मंदिर खुला है. ऐसे में मंदिरों में श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए भगवान के दर्शन कराए गये.

पटना में धूमधाम से मनायी गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
पटना में धूमधाम से मनायी गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

पटना: राजधानी पटना (Patna) में समेत पूरे देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ( Shri Krishna Janmashtami ) धूमधाम से मनाई गयी. पटना के श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, राधे कृष्ण मंदिर, ठाकुरवाड़ी समेत कई राधा-रानी के मन्दिर को दुल्हन की तरह सजायी गई थी. सभी जगह दूधिया लाइट में सराबोर भगवान श्री कृष्ण मंदिर चमक रही है. श्री कृष्ण जन्माष्टमि को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला.

ये भी पढ़ें:भगवान कृष्ण का हुआ जन्म, भक्ति में डूबा देश

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्रद्धालुओं में इस कदर उमंग था कि लोग निर्जला रहकर भगवान के चरणों में गुणगान कर रहे थे. चारों ओर जय कन्हैया लाल की-हाथी घोड़ा पालकी, लड्डूयन गोपाल की गूंज से पूरा वातावरण गूंज सुनाई दे रहा था. वहीं श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर के महंत सुखदेव प्रणामी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म कष्टों को दूर करने लिये हुआ था.

देखें ये वीडियो

उन्होंने कहा कि जब कंस और कई राक्षसों के अत्याचार से लोग कहर रहे थे, तभी भगवान श्री कृष्ण लोगों को अत्याचार से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया था. वहीं मन्दिर प्रसाशन की ओर से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का भी पालन कराया जा रहा था. मंदिर में मास्क और सेनेटाइजर का वितरण कर भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया गया.

पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज में भी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस को धूमधाम से मनाई गयी. कोरोना के चलते लंबे समय के बाद मंदिरों के पट खुले हैंं. जिससे सभी मंदिरों में भव्य तैयारी के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाया गया. रात के 12 बजे भगवान का जन्मदिवस मनाया गया.

वहीं, राम-जानकी मंदिर और बिड़ला मंदिर में भक्त शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाए. मंदिर के पुजारी सत्यनारायण शुक्ला ने कहा कि इस बार कोरोना महामारी के बाद मंदिर खुला है. जिससे भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर मंदिर में सजावट की गई. भक्तों को कोरोना गाइडलाइन को लेकर आवश्यक निर्देश दिए गए है और दूर से ही पूजा अर्चना की बात कही गई है. जिसका सभी अच्छे से पालन कर रहे हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर लोग कान्हा के बाल रूप की पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं.

ये भी पढ़ें:हर तरफ श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, पटना से देखिए कान्हा के जन्म की तस्वीरें...

पटना: राजधानी पटना (Patna) में समेत पूरे देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ( Shri Krishna Janmashtami ) धूमधाम से मनाई गयी. पटना के श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, राधे कृष्ण मंदिर, ठाकुरवाड़ी समेत कई राधा-रानी के मन्दिर को दुल्हन की तरह सजायी गई थी. सभी जगह दूधिया लाइट में सराबोर भगवान श्री कृष्ण मंदिर चमक रही है. श्री कृष्ण जन्माष्टमि को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला.

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्रद्धालुओं में इस कदर उमंग था कि लोग निर्जला रहकर भगवान के चरणों में गुणगान कर रहे थे. चारों ओर जय कन्हैया लाल की-हाथी घोड़ा पालकी, लड्डूयन गोपाल की गूंज से पूरा वातावरण गूंज सुनाई दे रहा था. वहीं श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर के महंत सुखदेव प्रणामी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म कष्टों को दूर करने लिये हुआ था.

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उन्होंने कहा कि जब कंस और कई राक्षसों के अत्याचार से लोग कहर रहे थे, तभी भगवान श्री कृष्ण लोगों को अत्याचार से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया था. वहीं मन्दिर प्रसाशन की ओर से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का भी पालन कराया जा रहा था. मंदिर में मास्क और सेनेटाइजर का वितरण कर भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया गया.

पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज में भी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस को धूमधाम से मनाई गयी. कोरोना के चलते लंबे समय के बाद मंदिरों के पट खुले हैंं. जिससे सभी मंदिरों में भव्य तैयारी के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाया गया. रात के 12 बजे भगवान का जन्मदिवस मनाया गया.

वहीं, राम-जानकी मंदिर और बिड़ला मंदिर में भक्त शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाए. मंदिर के पुजारी सत्यनारायण शुक्ला ने कहा कि इस बार कोरोना महामारी के बाद मंदिर खुला है. जिससे भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर मंदिर में सजावट की गई. भक्तों को कोरोना गाइडलाइन को लेकर आवश्यक निर्देश दिए गए है और दूर से ही पूजा अर्चना की बात कही गई है. जिसका सभी अच्छे से पालन कर रहे हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर लोग कान्हा के बाल रूप की पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं.

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