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बिहार के शेल्टर होम की लड़कियों को लगातार तीसरे साल मिला प्लेसमेट, 22 को मिला जॉब ऑफर

बिहार के शेल्टर होम और सुधार गृह में रहने वाली लड़कियों और लड़कों का इस साल भी बेहतर प्लेसमेंट हुआ. 2022-23 में 11 लड़के और 11 लड़कियों समेत कुल 22 का प्लेसमेंट हुआ है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Dec 10, 2022, 10:18 PM IST

पटना: बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली शेल्टर होम की लड़कियां अपने कदमों पर लगातार सफलता की नई मंजिल (Shelter Home Girls In Bihar Got Job Placement) पा रही हैं. इसी कड़ी में इस वर्ष शेल्टर होम की लड़कियों का प्लेसमेंट देश के चुनिंदा फाइव स्टार होटल में हुआ है. शैक्षणिक योग्यता और स्किल के आधार पर प्लेसमेंट मिला है. खास बात यह कि प्लेसमेंट में वैसे बच्चे भी शामिल हैं, जो राज्य सरकार के सुधार गृह में रह रहीं थी.

ये भी पढ़ें-बालिका गृह की लड़कियां भरेंगी सपनों की नई उड़ान, स्टार होटलों में मिली नौकरी

"सीएम नीतीश कुमार के दिशा निर्देश में हम लोग लगातार इसके लिए प्रयास कर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा संख्या में बच्चों को भेजने का प्रयास है. हमारे तरफ से बच्चियों को बेंगलुरु भेजा गया था, जिनका 100% प्लेसमेंट हुआ है. अभी 30 के करीब बच्चों को भेजने की तैयारी चल रही है." -मदन साहनी, मंत्री, समाज कल्याण विभाग



लगातार तीसरे साल मिला प्लेसमेंटः समाज कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत कुमार सीएच ने बताया कि यह तीसरा मौका है, जब शेल्टर होम और सुधार गृह में रहने वाली लड़कियों और लड़कों का प्लेसमेंट हुआ है. 2020-21 में 14 लड़कियों का चयन हुआ था. जबकि 2021-22 में 22 लड़कियां और 9 लड़कों को चयनित किया गया था. जबकि इस साल 2022-23 में 11 लड़के और 11 लड़कियों समेत कुल 22 का प्लेसमेंट हुआ है.

शैक्षणिक योग्यता के आधार पर हुआ प्लेसमेंटः प्रशांत कुमार ने बताया कि छात्र-छात्राओं का सलेक्शन उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किया गया है. दरअसल बिहार सरकार ने बेंगलुरु की यूरिडीयन एकेडमी के साथ एक एमओयू किया है, जो इन बच्चों की प्रतिभा को निखारती है. बिहार सरकार का समाज कल्याण विभाग शेल्टर होम और बाल सुधार गृह में रहने वाले लड़के और लड़के को बिहार बोर्ड ऑफ ओपन स्कूलिंग एंड एग्जामिनेशन यानी बीबीओएसई के माध्यम से पढ़ाई का अवसर उपलब्ध कराया जाता है. इनमें ज्यादातर बच्चे भूले भटके, परित्यक्त या फिर चाइल्ड लेबर होते हैं. जिनको रेस्क्यू करके विभाग में द्वारा संचालित शेल्टर होम्स या बाल सुधार गृह में रखा गया हो.


कई पदों पर प्लेसमेंटः प्रशांत कुमार ने बताया कि सभी बच्चियों के एक साल का वोकेशनल इंडस्ट्रीज में ट्रेनिंग भी होती है. इस साल जिन बच्चे और बच्चियों का प्लेसमेंट हुआ है, वो अलग-अलग सैलरी पैकेज पर अलग-अलग पदों के लिए चुने गए हैं. इन का सिलेक्शन फ्रंट ऑफिस स्टाफ, हेल्पर, जनरल स्टाफ से लेकर फाइव स्टार होटल के विभिन्न पदों के लिए हुआ है. इनकी ट्रेनिंग और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 12-26 हजार रुपए प्रति माह तक है. इन सभी के रहने और खाने की व्यवस्था पूरी तरीके से निशुल्क है. इन बच्चों का सिलेक्शन आईटीसी, लेमन ट्री, होटल ताज ग्रुप के अलावा कई अन्य दूसरे बड़े ब्रांड के फाइव स्टार होटल में किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि वैसे बच्चे जो 18 साल के ऊपर के हैं. उनकी अप्रेंटिसशिप की कराई जाती है.

विभाग करता है मददः विभागीय जानकारी के अनुसार इन बच्चों के पढ़ने से लेकर इनके अपने दम पर खड़े होने तक विभाग मदद करता है. अगर किसी के पास दस्तावेज नहीं है तो विभागीय स्तर पर उसे बनाने की कवायद की जाती है साथ ही उनका एड्रेस प्रूफ भी बनाया जाता है. इसके अलावा उनके स्कूल सर्टिफिकेट व अन्य जरूरी दस्तावेज को भी तैयार कराया जाता है. प्रशांत कुमार ने बताया कि ऐसे बच्चे जो पहले से चयनित हैं, उनका विभागीय स्तर पर रेगुलर फॉलो किया जाता है. विभाग के अधिकारी रेगुलर बेंगलुरु जाकर बच्चों से मिलते हैं. उद्देश्य यही रहता है कि ये सभी बच्चे विपरीत हालात से आए हुए रहते हैं, इनका मनोबल बना रहे और ये अपने दम पर कुछ बेहतर कर सकें.

ये भी पढ़ें-बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी में 122 पदों पर निकली वैकेंसी, हॉस्पिटल मैनेजर के सर्वाधिक 94 पद


पटना: बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली शेल्टर होम की लड़कियां अपने कदमों पर लगातार सफलता की नई मंजिल (Shelter Home Girls In Bihar Got Job Placement) पा रही हैं. इसी कड़ी में इस वर्ष शेल्टर होम की लड़कियों का प्लेसमेंट देश के चुनिंदा फाइव स्टार होटल में हुआ है. शैक्षणिक योग्यता और स्किल के आधार पर प्लेसमेंट मिला है. खास बात यह कि प्लेसमेंट में वैसे बच्चे भी शामिल हैं, जो राज्य सरकार के सुधार गृह में रह रहीं थी.

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"सीएम नीतीश कुमार के दिशा निर्देश में हम लोग लगातार इसके लिए प्रयास कर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा संख्या में बच्चों को भेजने का प्रयास है. हमारे तरफ से बच्चियों को बेंगलुरु भेजा गया था, जिनका 100% प्लेसमेंट हुआ है. अभी 30 के करीब बच्चों को भेजने की तैयारी चल रही है." -मदन साहनी, मंत्री, समाज कल्याण विभाग



लगातार तीसरे साल मिला प्लेसमेंटः समाज कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत कुमार सीएच ने बताया कि यह तीसरा मौका है, जब शेल्टर होम और सुधार गृह में रहने वाली लड़कियों और लड़कों का प्लेसमेंट हुआ है. 2020-21 में 14 लड़कियों का चयन हुआ था. जबकि 2021-22 में 22 लड़कियां और 9 लड़कों को चयनित किया गया था. जबकि इस साल 2022-23 में 11 लड़के और 11 लड़कियों समेत कुल 22 का प्लेसमेंट हुआ है.

शैक्षणिक योग्यता के आधार पर हुआ प्लेसमेंटः प्रशांत कुमार ने बताया कि छात्र-छात्राओं का सलेक्शन उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किया गया है. दरअसल बिहार सरकार ने बेंगलुरु की यूरिडीयन एकेडमी के साथ एक एमओयू किया है, जो इन बच्चों की प्रतिभा को निखारती है. बिहार सरकार का समाज कल्याण विभाग शेल्टर होम और बाल सुधार गृह में रहने वाले लड़के और लड़के को बिहार बोर्ड ऑफ ओपन स्कूलिंग एंड एग्जामिनेशन यानी बीबीओएसई के माध्यम से पढ़ाई का अवसर उपलब्ध कराया जाता है. इनमें ज्यादातर बच्चे भूले भटके, परित्यक्त या फिर चाइल्ड लेबर होते हैं. जिनको रेस्क्यू करके विभाग में द्वारा संचालित शेल्टर होम्स या बाल सुधार गृह में रखा गया हो.


कई पदों पर प्लेसमेंटः प्रशांत कुमार ने बताया कि सभी बच्चियों के एक साल का वोकेशनल इंडस्ट्रीज में ट्रेनिंग भी होती है. इस साल जिन बच्चे और बच्चियों का प्लेसमेंट हुआ है, वो अलग-अलग सैलरी पैकेज पर अलग-अलग पदों के लिए चुने गए हैं. इन का सिलेक्शन फ्रंट ऑफिस स्टाफ, हेल्पर, जनरल स्टाफ से लेकर फाइव स्टार होटल के विभिन्न पदों के लिए हुआ है. इनकी ट्रेनिंग और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 12-26 हजार रुपए प्रति माह तक है. इन सभी के रहने और खाने की व्यवस्था पूरी तरीके से निशुल्क है. इन बच्चों का सिलेक्शन आईटीसी, लेमन ट्री, होटल ताज ग्रुप के अलावा कई अन्य दूसरे बड़े ब्रांड के फाइव स्टार होटल में किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि वैसे बच्चे जो 18 साल के ऊपर के हैं. उनकी अप्रेंटिसशिप की कराई जाती है.

विभाग करता है मददः विभागीय जानकारी के अनुसार इन बच्चों के पढ़ने से लेकर इनके अपने दम पर खड़े होने तक विभाग मदद करता है. अगर किसी के पास दस्तावेज नहीं है तो विभागीय स्तर पर उसे बनाने की कवायद की जाती है साथ ही उनका एड्रेस प्रूफ भी बनाया जाता है. इसके अलावा उनके स्कूल सर्टिफिकेट व अन्य जरूरी दस्तावेज को भी तैयार कराया जाता है. प्रशांत कुमार ने बताया कि ऐसे बच्चे जो पहले से चयनित हैं, उनका विभागीय स्तर पर रेगुलर फॉलो किया जाता है. विभाग के अधिकारी रेगुलर बेंगलुरु जाकर बच्चों से मिलते हैं. उद्देश्य यही रहता है कि ये सभी बच्चे विपरीत हालात से आए हुए रहते हैं, इनका मनोबल बना रहे और ये अपने दम पर कुछ बेहतर कर सकें.

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