पटनाः बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों की बहाली बीपीएसी के माध्यम से होनी है. इसको लेकर बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि नियोजित शिक्षक इक बहाली में शामिल नहीं होंगे. सभी शिक्षक एकजुट होकर के विधानसभा सत्र के दौरान पटना में प्रदर्शन करेंगे. बताया कि बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक प्रशासी पदवर्ग होता है. इस प्रशासी पद वर्ग ने 1.78 लाख पदों की स्वीकृति दी है, लेकिन बीपीएससी ने जो वैकेंसी निकाली है उसमें 1.78 लाख ही है यानी कि 8000 पद गायब कर दिए गए हैं.
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4 साल से सड़कों पर धूल फांक रहे शिक्षक अभ्यर्थीः शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी 4 साल से सड़कों पर धूल फांक रहे हैं, सरकार की लाठियां खा रहे हैं, वह तो बिहार सरकार के कानून के मुताबिक ही शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं. यह अभ्यर्थी फिर से आयोग द्वारा निर्धारित परीक्षा क्यों देंगे? गोपालगंज, सिवान, रोहतास, गया जैसे कई सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी प्रदेश के हजारों की संख्या में युवक भारत के संविधान के मुताबिक प्रदेश में बताएं नियोजित शिक्षक कार्यरत है. मूल रूप से दूसरे प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन बिहार में बस गए हैं और इनका मूल आवासीय बिहार का नहीं है, परीक्षा में बैठने के लिए अहर्ता रख दी गई है कि बिहार का स्थाई निवासी होना चाहिए, ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों का क्या होगा.
शिक्षक अभ्यर्थी बेरोजगार ही रह जाएंगेः शिक्षक अभ्यर्थियों के आरोप पूरी तरह से जायज है. सरकार नियोजित शिक्षकों को कई बार दक्षता परीक्षा ले चुकी है और शिक्षक उत्तीर्ण हुए हैं. नियोजित शिक्षकों को तो सिर्फ क्वालीफाई करना होगा बल्कि अभ्यर्थियों को अच्छे से अच्छे अंक लाने होंगे. ऐसे में यह जरूरत है कि यदि प्रदेश के सारे चार लाख से अधिक नियोजित शिक्षक परीक्षा में बैठ जाएंगे तो शिक्षक अभ्यर्थी बेरोजगार ही रह जाएंगे और उनके लिए कहीं जगह नहीं बचेगी. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ है कि उसकी नियत में खोट है और वह रोजगार देना नहीं चाहती है. सरकार की मंशा है कि यह नियुक्ति 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 विधानसभा चुनाव तक टाला जाए. सरकार त्रुटिपूर्ण नियमावली लाकर बहाना करना चाहती है जनता के सामने की देखी हमने तो वैकेंसी लाई लेकिन, शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षक बनना ही नहीं चाहते थे नियोजित शिक्षक राज्य कर्मी बनना ही नहीं चाहते थे इसलिए मामले को कोर्ट में लेकर चले गए. सरकार जनता के सामने बहाना बनाना चाहती है कि अभ्यर्थी और शिक्षक मामले को कोर्ट में लेकर चले गए हैं और इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती.
"सरकार को नियमावली में बदलाव लाना पड़ेगा, यह रवैया अधिक दिन नहीं चलेगा. जनता ही सरकार को बाध्य कर देगी की नियमावली में बदलाव लाए. शिक्षकों का सरोकार समाज से है और यह सरकार को समझना होगा. अगर शिक्षकों को सीधे राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देती है तो शिक्षक उग्र से उग्रतर आंदोलन करेंगे. आगामी विधानसभा सत्र के दौरान आम जनता का समर्थन प्राप्त कर शिक्षक पटना की सड़कों पर उतरेंगे विधानसभा घेराव करेंगे और सरकार को नियमावली बदलने के लिए बाध्य करेंगे." -शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, महासचिव, बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ