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चर्चा में शिक्षा विभाग का स्व घोषणा पत्र- 'दहेज ना लूंगा और ना दूंगा'

बिहार में प्राथमिक शिक्षक नियोजन (Primary Teacher Recruitment In Bihar) के तहत चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र लेने के दौरान उन्हें शपथ पत्र के साथ एक स्व घोषणा पत्र भी देना होगा. जिसमें स्पष्ट लिखा होगा कि मैं ना दहेज लूंगा और ना दहेज दूंगा (Teacher candidates against dowry in Bihar). ये घोषणा पत्र विशेष रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसे में जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार और बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. पढ़ें पूरी खबर..

Primary Teacher candidates
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Published : Feb 18, 2022, 12:53 PM IST

पटना: बिहार के हजारों प्राथमिक शिक्षक अभ्यर्थी जब अपना नियुक्ति पत्र लेने जाएंगे, तो उन्हें शपथ पत्र के साथ एक स्वघोषणा पत्र (Self-Declaration Letter for Primary Teacher Candidates) भी देना होगा. जिसमें स्पष्ट लिखा होगा कि मैं ना दहेज लूंगा और ना दहेज दूंगा. ये घोषणा पत्र विशेष रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि, इस सामाजिक बुराई के खिलाफ पहले भी शिक्षकों को शपथ पत्र देने की परंपरा रही है. 23 फरवरी से बिहार में छठे चरण के तहत चयनित हजारों प्राथमिक शिक्षकों को विभिन्न नियोजन इकाइयों में नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. नियुक्ति पत्र लेने की तैयारी में जुटे अभ्यर्थी सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के तहत शपथ पत्र और एक स्वघोषणा पत्र भर के जमा करेंगे.

यह भी पढ़ें - 23 से मिलेगा प्राथमिक शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र, अभी तक 562 अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट फर्जी

शिक्षक अभ्यर्थियों को जो डाक्यूमेंट्स जमा करने हैं, उनमें दहेज संबंधी घोषणा पत्र चर्चा का विषय बना है. सभी शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र लेने से पहले यह घोषणा पत्र देना है कि दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार, दहेज का लेनदेन एक सामाजिक बुराई है और कानूनी अपराध है. मैं हमेशा दहेज प्रथा के विरुद्ध था/थी, हूं और रहूंगा/रहूंगी। अतः मैं यह घोषणा करता/करती हूं कि मैं और मेरे परिवार का कोई सदस्य वैवाहिक कार्यक्रम में ना किसी से दहेज की मांग करेंगे और ना ही किसी को दहेज देंगे. साथ ही साथ मैं यह शपथ लेता/लेती हूं कि मैं ना किसी को दहेज लेने के लिए और ना ही दहेज देने के लिए समर्थन करूंगा/करूंगी, क्योंकि यह एक सामाजिक बुराई है और इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए मैं अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी.

शिक्षा विभाग का स्व घोषणा पत्र
शिक्षा विभाग का स्व घोषणा पत्र

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि शिक्षक सामाजिक बदलाव के प्रतीक हमेशा से रहे हैं. बिहार में जब सामाजिक बुराइयों के खिलाफ ह्यूमन चेन बनाई गई, तो उसमें कार्यरत शिक्षकों की बड़ी भूमिका रही थी. एक बार फिर जब नए लोग शिक्षक बनकर स्कूलों में जा रहे हैं, तो वह घोषणा पत्र के जरिए अपना कमिटमेंट दर्शाएंगे और नई पीढ़ी को इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूक करेंगे.

वहीं, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि दहेज के खिलाफ शपथ पत्र देने की परंपरा पहले से रही है. उन्होंने कहा कि करीब 23 साल पहले जब उन्होंने स्कूल में अपना योगदान दिया था, तो उस वक्त भी सरकार के समक्ष यह घोषणा पत्र भर कर देना पड़ा था. उन्होंने बताया कि नए आने वाले शिक्षकों के समक्ष भी यह जिम्मेदारी होगी कि वे बच्चों को और समाज को इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूक करें.

यह भी पढ़ें - प्राथमिक शिक्षकों के नियुक्ति पत्र के लिए दिशा-निर्देशों को लेकर भ्रम की स्थिति, डायरेक्टर ने अभ्यर्थियों से की अपील

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पटना: बिहार के हजारों प्राथमिक शिक्षक अभ्यर्थी जब अपना नियुक्ति पत्र लेने जाएंगे, तो उन्हें शपथ पत्र के साथ एक स्वघोषणा पत्र (Self-Declaration Letter for Primary Teacher Candidates) भी देना होगा. जिसमें स्पष्ट लिखा होगा कि मैं ना दहेज लूंगा और ना दहेज दूंगा. ये घोषणा पत्र विशेष रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि, इस सामाजिक बुराई के खिलाफ पहले भी शिक्षकों को शपथ पत्र देने की परंपरा रही है. 23 फरवरी से बिहार में छठे चरण के तहत चयनित हजारों प्राथमिक शिक्षकों को विभिन्न नियोजन इकाइयों में नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. नियुक्ति पत्र लेने की तैयारी में जुटे अभ्यर्थी सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के तहत शपथ पत्र और एक स्वघोषणा पत्र भर के जमा करेंगे.

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शिक्षक अभ्यर्थियों को जो डाक्यूमेंट्स जमा करने हैं, उनमें दहेज संबंधी घोषणा पत्र चर्चा का विषय बना है. सभी शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र लेने से पहले यह घोषणा पत्र देना है कि दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार, दहेज का लेनदेन एक सामाजिक बुराई है और कानूनी अपराध है. मैं हमेशा दहेज प्रथा के विरुद्ध था/थी, हूं और रहूंगा/रहूंगी। अतः मैं यह घोषणा करता/करती हूं कि मैं और मेरे परिवार का कोई सदस्य वैवाहिक कार्यक्रम में ना किसी से दहेज की मांग करेंगे और ना ही किसी को दहेज देंगे. साथ ही साथ मैं यह शपथ लेता/लेती हूं कि मैं ना किसी को दहेज लेने के लिए और ना ही दहेज देने के लिए समर्थन करूंगा/करूंगी, क्योंकि यह एक सामाजिक बुराई है और इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए मैं अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी.

शिक्षा विभाग का स्व घोषणा पत्र
शिक्षा विभाग का स्व घोषणा पत्र

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि शिक्षक सामाजिक बदलाव के प्रतीक हमेशा से रहे हैं. बिहार में जब सामाजिक बुराइयों के खिलाफ ह्यूमन चेन बनाई गई, तो उसमें कार्यरत शिक्षकों की बड़ी भूमिका रही थी. एक बार फिर जब नए लोग शिक्षक बनकर स्कूलों में जा रहे हैं, तो वह घोषणा पत्र के जरिए अपना कमिटमेंट दर्शाएंगे और नई पीढ़ी को इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूक करेंगे.

वहीं, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि दहेज के खिलाफ शपथ पत्र देने की परंपरा पहले से रही है. उन्होंने कहा कि करीब 23 साल पहले जब उन्होंने स्कूल में अपना योगदान दिया था, तो उस वक्त भी सरकार के समक्ष यह घोषणा पत्र भर कर देना पड़ा था. उन्होंने बताया कि नए आने वाले शिक्षकों के समक्ष भी यह जिम्मेदारी होगी कि वे बच्चों को और समाज को इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूक करें.

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