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पटना: मसौढ़ी में देखिए जल जीवन हरियाली योजना की जमीनी हकीकत - मनरेगा विभाग बिहार सरकार

मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली की एक तस्वीर यह भी है कि मनरेगा द्वारा संचालित और उसके द्वारा लगाए गए लाखों रुपए के पौधे आज की ताजा स्थिति में सुख गए हैं

Patna
जल जीवन हरियाली योजना
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Published : Jan 8, 2021, 10:56 PM IST

Updated : Jan 16, 2021, 6:04 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली की जमीनी हकीकत मसौढ़ी में देखिए. यहां मनरेगा द्वारा लगाए गए विभिन्न पंचायतों में हजारों पौधे आज की स्थिति में सूख गए हैं और उन पौधों कि जगह पर सिर्फ उनकी सुरक्षा में लगाई गई घेराबंदी ही बच कर रह गई है.

विभागीय लापरवाही से सूखे पौधे
दरअसल, विभागीय लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण आज सभी पौधे सूख गए हैं. मसौढ़ी में लगभग 18 पंचायतों में पौधारोपण का काम किया गया था और आज करीब-करीब सभी जगहों पर पौधे सूख गए हैं. यह तस्वीर निशियावां पंचायत की है, जहां पर वर्ष 2007-2020-21 में पौधारोपण किया गया था. सड़क के दोनों ओर सैकडों पौधे लगाए गए हैं. जिसकी प्राकलन राशि 9,30,480 है. वहीं, सामाग्री 3,66,668, कार्य श्रमिक में लागत 5,63,814, मानव दिवस 2,907 दिन, श्रमिक दर 194 आई है.

देखें रिपोर्ट.

प्रशासन पर उठे सवाल
वहीं, मनरेगा पदाधिकारी कि माने तो वहां दूसरा पेड़ लगा दिया गया है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जहां लाखों रुपए खर्च कर सरकार विभिन्न पंचायतों में पौधे लगा रही है और देख-रेख के अभाव और विभागीय लापरवाही के कारण यह राशि सरकार की बर्बाद हो रही है, तो इसके जिम्मेदार कौन हैं?

पटना: मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली की जमीनी हकीकत मसौढ़ी में देखिए. यहां मनरेगा द्वारा लगाए गए विभिन्न पंचायतों में हजारों पौधे आज की स्थिति में सूख गए हैं और उन पौधों कि जगह पर सिर्फ उनकी सुरक्षा में लगाई गई घेराबंदी ही बच कर रह गई है.

विभागीय लापरवाही से सूखे पौधे
दरअसल, विभागीय लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण आज सभी पौधे सूख गए हैं. मसौढ़ी में लगभग 18 पंचायतों में पौधारोपण का काम किया गया था और आज करीब-करीब सभी जगहों पर पौधे सूख गए हैं. यह तस्वीर निशियावां पंचायत की है, जहां पर वर्ष 2007-2020-21 में पौधारोपण किया गया था. सड़क के दोनों ओर सैकडों पौधे लगाए गए हैं. जिसकी प्राकलन राशि 9,30,480 है. वहीं, सामाग्री 3,66,668, कार्य श्रमिक में लागत 5,63,814, मानव दिवस 2,907 दिन, श्रमिक दर 194 आई है.

देखें रिपोर्ट.

प्रशासन पर उठे सवाल
वहीं, मनरेगा पदाधिकारी कि माने तो वहां दूसरा पेड़ लगा दिया गया है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जहां लाखों रुपए खर्च कर सरकार विभिन्न पंचायतों में पौधे लगा रही है और देख-रेख के अभाव और विभागीय लापरवाही के कारण यह राशि सरकार की बर्बाद हो रही है, तो इसके जिम्मेदार कौन हैं?

Last Updated : Jan 16, 2021, 6:04 PM IST
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