पटनाः लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन छठ व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. राजधानी पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान स्थित झील में हर साल हजारों की तादाद में छठ व्रती जुटते हैं. झील के पानी में उतरकर भगवान भास्कर का ध्यान लगाते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं. हर साल तकरीबन 30 से 35 हजार लोग चिड़ियाघर में छठ करने आते हैं.
झील में चारों तरफ की गई बैरिकेटिंग
छठ पूजा के लिए चिड़ियाघर स्थित झील में चारों तरफ से बैरिकेटिंग कर दी गई है. ताकि छठ व्रती आगे गहरे पानी मैं ना चले जाएं. सुरक्षा को लेकर तमाम उपाय किए जा चुके हैं और झील के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर दो कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. कंट्रोल रूम में दंड अधिकारियों की तैनाती है. साथ ही सुरक्षा के लिए पुलिस के जवान काफी संख्या में मौजूद हैं.
सुरक्षा को लेकर किए गए पुख्ता इंतजाम
दंडाधिकारी मनोज कुमार बताते हैं कि सुरक्षा को लेकर सभी इंतजाम किए जा चुके हैं. चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है. झील के चारों तरफ जगह-जगह पर वॉच टावर भी बनाए गए हैं. वहीं, दंडाधिकारी कुमारी मीना बताती हैं कि मेडिकल का भी यहां पुख्ता इंतजाम है. कंट्रोल रूम में डॉक्टरों की भी नियुक्ति की गई है. ताकि अगर किसी की अचानक तबीयत बिगड़ जाए तो उसे संभाला जा सके.
बैनर पर लिखा गया अधिकारियों का फोन नंबर
उन्होंने बताया कि छठव्रती की सुविधा के लिए कई जगहों पर चेंजिंग रूम बनाए गए हैं. ताकि भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद लोग आसानी से कपड़े बदल सकें. कंट्रोल रूम में महत्वपूर्ण अधिकारियों के कांटेक्ट नंबर बैनर पर हैं, ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में कोई भी सूचना दें सकें.
चिड़ियाघर में पटाखे छोड़ने की मनाही
बता दें कि चिड़ियाघर ग्रीन जोन है और झील के आस-पास पटाखे छोड़ने की मनाही है. जानवरों को पटाखों की आवाज से कोई परेशानी ना हो, इसलिए चिड़ियाघर के अंदर स्थित इस घाट के आसपास के पूरे इलाके में पटाखे छोड़ना प्रतिबंधित है. झील के किनारे बैनर के माध्यम से भी आतिशबाजी ना करने की अपील की गई है और आतिशबाजी करने पर भारी दंड का भी प्रावधान है.