पटना : बिहार की राजधानी पटना में सरस मेला का आयोजन किया गया है. इसमें स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों, हस्तशिल्प और लोक कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री की जा रही है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बुधवार को सरस मेले का उद्घाटन किया. 20 सितंबर से लेकर 27 सितंबर तक प्रतिदिन मेला प्रात: 10:00 बजे से लेकर संध्या 8:00 बजे तक आम लोगों के लिए नि:शुल्क खुली रहेगी.
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हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों के 135 स्टाॅल : सरस मेला में देश भर के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं एवं अन्य शिल्पकारों के बनाए उत्पाद एवं कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए काउंटर लगाए गए हैं. देश के 22 राज्यों की महिला शिल्पकार के द्वारा निर्मित वस्तु, पारंपरिक व्यंजन, हैंडलूम, हस्त निर्मित उत्पादों के 135 स्टाॅल लगाए गए हैं. मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि ग्रामीण शिल्प हस्तशिल्प, लोक संस्कृति विद्या से जुड़े लोगों को घर की चारदिवारी से बाहर निकाल कर अपने हुनर से बनाए उत्पादों बाहर लोगों तक पहुंचाना चाहिए.
![सरस मेला में हस्तशिल्प उत्पाद](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-09-2023/19564422_saras.jpg)
"बिहार में इस मेले का आयोजन कई वर्षों से होता रहा है. वर्ष 2014 से आयोजन की जिम्मेवारी बिहार ग्रामीण जीवीकोपार्जन प्रोत्साहन समिति की है. जीविका द्वारा आयोजित बिहार सरस मेला में लगभग सभी राज्यों के शिल्पकार अपने क्षेत्र के संस्कृति और लोक कला के उत्पाद के साथ सरस मेला में पहुंचे हुए हैं.बिहार ग्राम सरस मेला का आयोजन प्रतिवर्ष दो संस्करण में होता है प्रथम संस्करण जिसकी पहचान मिनी सरस मेला के रूप में है जो सितंबर महीने में ज्ञान भवन में लगा है. दूसरा दिसंबर में बड़ा आयोजन गांधी मैदान में किया जाता है".- श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास
![हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित करती महिला उद्यमी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-09-2023/19564422_mela.jpg)
सभी जिलों के उत्पादों की हो रही बिक्री : सरस मेला में बिहार के सभी 38 जिलों के कुल 80 जीविका दीदी अपने-अपने हस्तशिल्प और देसी व्यंजनों को लेकर उपस्थित हुई हैं. मेले में अररिया से जूट से बने उत्पाद, अरवल से लकड़ी से बने उत्पाद, औरंगाबाद से डिजाइनर बैंगल्स कारपेट और कालीन, बांका से सिल्क से बने कपड़े, साड़ी, सूट दुपट्टा और खाद पदार्थों के अंतर्गत कतरनी चूड़ा, चावल ,सत्तू, बेगूसराय जिले से सत्तू , बड़ी, मसाला, भागलपुर से सिल्क साड़ियां, दुपट्टा, सूट, दरभंगा से कृत्रिम आभूषण आदि उत्पाद यहां बिक रहे हैं.