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नगर निगम के कर्मियों का दर्द: तनख्वाह नहीं बढ़ेगी तो 9 हजार में घर चलाएं या बच्चों को पढ़ाएं?

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Published : Jul 4, 2021, 5:54 PM IST

पटना नगर निगम में आउटसोर्स पर बहाल चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की संख्या ढाई हजार से अधिक है. इन्हें महीने का सिर्फ 9 हजार रुपए वेतन मिलता है. ऐसे में इन कर्मचारियों का कहना है कि इतने कम पैसों में घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर भी इसका असर पड़ रहा है. सरकार को हमारे बारे में संजीदगी से सोचना चाहिए.

सफाईकर्मी
सफाईकर्मी

पटना: देश में जितनी तेजी से महंगाई बढ़ रही है, उस अनुपात में लोगों की आमदनी नहीं बढ़ रही है. कम कमाने वालों के लिए तो घर चलाना किसी जंग में जीत हासिल करने से कम नहीं है. पटना नगर निगम के कर्मचारी भी अपनी तनख्वाह नहीं बढ़ने से बेहद परेशान हैं. उनका साफ कहना है कि 9 हजार में घर का भाड़ा, राशन और बच्चों को पढ़ाना नहीं हो पा रहा है. सरकार को हमारा दर्द समझना चाहिए.

ये भी पढ़ें- पटना नगर निगम की चेतावनी: एजेंसियां आउटसोर्स पर बहाल सुरक्षा गार्ड्स को वेतन दें नहीं तो....

नगर निगम में 2500 कर्मचारी
पटना नगर निगम शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर रखने के लिए प्राइवेट एजेंसी गुडवेयर, इंप्रेशन और एवरेस्ट के माध्यम से आउटसोर्स पर बहाल कर्मचारियों की संख्या 2500 से अधिक है. इन्हें इन एजेंसियों के माध्यम से हर महीने 9 हजार तनख्वाह दी जाती है. इस पैसे में यह कर्मी अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन देश भर में महंगाई अपनी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. ऐसे में अब इतने कम पैसों में उनको परिवार चलाने में कठिनाई होने लगी है.

देखें रिपोर्ट

9 हजार रुपए तनख्वाह
नगर निगम में 12 सालों से काम कर रहे मुकेश कुमार का कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन हम लोगों की सैलरी में कोई इजाफा नहीं हो रहा है. आज भी हमें 9 हजार रुपए ही प्रतिमाह मिलता है. अब ऐसी स्थिति में परिवार चलाना बहुत कठिन हो गया है.

कम सैलेरी में घर चलाना मुश्किल
महंगाई की मार झेल रहे निगम कर्मियों ने कहा कि इतने पैसे में घर चलाएं या बच्चों को पढ़ाएं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. किसी तरह तो घर चला ले रहे हैं, लेकिन जिस तरह से गैस और राशन की कीमत में बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में अब कर्ज भी लेना पड़ता है. घर का किराया और बिजली बिल चुकाना मुश्किल होता जा रहा है.

कर्ज लेने की हालत
वहीं, पाटलिपुत्र अंचल कार्यालय के अंतर्गत गांधी मैदान इलाके में शहर की सफाई में लगे अजय पासवान का कहना है कि जिस कंपनी से हम लोगों की बहाली हुई है. उस कंपनी से काट-छांट कर 9062 रुपए ही महीने का मिलता है, लेकिन जिस तरह से महंगाई बढ़ी है. ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने में भी परेशानी हो रही है. महाजन से कर्ज भी लेना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- पटना: नगर निगम के सफाई कर्मियों का प्रदर्शन, मारपीट करने वालों पर कार्रवाई की मांग

गैस महंगा, वेतन कम
सड़कों की सफाई कर रही रोशना देवी बताती हैं पैसे के अभाव में बच्चों की पढ़ाई छुड़वा दिया है. क्योंकि इतनी कम सैलरी में खाने-पीने और बीमारी का इलाज कराने में पैसा नहीं बचता है. ऐसे में बच्चों को कैसे पढ़ाएं. उन्होंने बताया कि पहले गैस की कीमत थोड़ी कम थी, सब्सिडी का पैसा भी आ रहा था, लेकिन इन दिनों गैस की कीमत भी आसमान छू रही है और सब्सिडी भी काफी कम आता है. ऐसे में परिवार को कैसे चलाएं .

पटना: देश में जितनी तेजी से महंगाई बढ़ रही है, उस अनुपात में लोगों की आमदनी नहीं बढ़ रही है. कम कमाने वालों के लिए तो घर चलाना किसी जंग में जीत हासिल करने से कम नहीं है. पटना नगर निगम के कर्मचारी भी अपनी तनख्वाह नहीं बढ़ने से बेहद परेशान हैं. उनका साफ कहना है कि 9 हजार में घर का भाड़ा, राशन और बच्चों को पढ़ाना नहीं हो पा रहा है. सरकार को हमारा दर्द समझना चाहिए.

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नगर निगम में 2500 कर्मचारी
पटना नगर निगम शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर रखने के लिए प्राइवेट एजेंसी गुडवेयर, इंप्रेशन और एवरेस्ट के माध्यम से आउटसोर्स पर बहाल कर्मचारियों की संख्या 2500 से अधिक है. इन्हें इन एजेंसियों के माध्यम से हर महीने 9 हजार तनख्वाह दी जाती है. इस पैसे में यह कर्मी अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन देश भर में महंगाई अपनी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. ऐसे में अब इतने कम पैसों में उनको परिवार चलाने में कठिनाई होने लगी है.

देखें रिपोर्ट

9 हजार रुपए तनख्वाह
नगर निगम में 12 सालों से काम कर रहे मुकेश कुमार का कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन हम लोगों की सैलरी में कोई इजाफा नहीं हो रहा है. आज भी हमें 9 हजार रुपए ही प्रतिमाह मिलता है. अब ऐसी स्थिति में परिवार चलाना बहुत कठिन हो गया है.

कम सैलेरी में घर चलाना मुश्किल
महंगाई की मार झेल रहे निगम कर्मियों ने कहा कि इतने पैसे में घर चलाएं या बच्चों को पढ़ाएं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. किसी तरह तो घर चला ले रहे हैं, लेकिन जिस तरह से गैस और राशन की कीमत में बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में अब कर्ज भी लेना पड़ता है. घर का किराया और बिजली बिल चुकाना मुश्किल होता जा रहा है.

कर्ज लेने की हालत
वहीं, पाटलिपुत्र अंचल कार्यालय के अंतर्गत गांधी मैदान इलाके में शहर की सफाई में लगे अजय पासवान का कहना है कि जिस कंपनी से हम लोगों की बहाली हुई है. उस कंपनी से काट-छांट कर 9062 रुपए ही महीने का मिलता है, लेकिन जिस तरह से महंगाई बढ़ी है. ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने में भी परेशानी हो रही है. महाजन से कर्ज भी लेना पड़ता है.

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गैस महंगा, वेतन कम
सड़कों की सफाई कर रही रोशना देवी बताती हैं पैसे के अभाव में बच्चों की पढ़ाई छुड़वा दिया है. क्योंकि इतनी कम सैलरी में खाने-पीने और बीमारी का इलाज कराने में पैसा नहीं बचता है. ऐसे में बच्चों को कैसे पढ़ाएं. उन्होंने बताया कि पहले गैस की कीमत थोड़ी कम थी, सब्सिडी का पैसा भी आ रहा था, लेकिन इन दिनों गैस की कीमत भी आसमान छू रही है और सब्सिडी भी काफी कम आता है. ऐसे में परिवार को कैसे चलाएं .

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